Tuesday, November 29, 2016

गणित की तैयारी कैसे करें

मित्रों , गणित को हमेशा से एक डरावना विषय मानने की भूल लोग करते है और इसी पूर्वाग्रह के चलते लोग यह मानकर चलते है की किसी प्रतियोगी परीक्षा में गणित के २० पूछे गए प्रश्नों में १०% से अधिक ठीक होने की संभावना नहीं है और यह डर अक्सर छात्रों को ले डूबता है. संस्कृत में एक कहावत है

तावद् भयस्य भेतव्यम यावद् भयमनागतम
आगतं तू भयं वीक्ष्यं प्रतिकुर्याद यथोचितं

इसका अर्थ है की भय से तबतक डरना चाहिए जबतक वो सामने न आ जाये और यदि वो सामने आ जाये तो उसका बढ़कर स्वागत करना चाहिए. आज के बर्तमान युग में गणित एक ऐसी हकीकत है जिससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है और आप ऐसे किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के बारे में सोचिये जिसमे गणित पर सवाल न आते हों तो शायद ही आपके जहन में कोई नाम आये.

गणित की इसी सार्वभौमिकता की वजह से गौस ने इसे सभी विषयों की रानी कहा है. और यह बात कुछ हद तक उचित भी है क्योंकि यदि आपने सचमुच ही गणित से प्यार कर लिया तो यह आपका साथ हर बुरे वक्त में देती है और इसके इसी गुण के कारन वेदों में भी गणित को सर्वोच्च स्थान दिया गया है,
यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।
तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥

जैसे मोरों के सिर पर शिखा और नागों के सर पर मणि शोभा पाती है , वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । आइये गणित की इसी यात्रा को हम साथ- साथ निकले और उन सारे कंटीले रास्तों, पेड़, पर्वत को पार करने की कोशिश करे जिससे गणित का राह सुगम बने.

प्रतियोगिता परीक्षा और गणित

प्रतियोगी परीक्षा में गणित का सिलेबस विशेषकर – अंकगणित, बीजगणित, त्रिकोंमिति, सांख्यकी से आते है और अधिकांश परीक्षा चाहे वो किसी अफसर का हो या किसी साधारण सी नौकरी का गणित के प्रश्न अवश्य आते हैं. परीक्षा की तैयारी के लिए यह आवश्यक है की आपको पूर्ववर्ती कक्षा की भरपूर जानकारी हो अन्यथा जैसे बिना मजबूत नीव के मकान कमजोर रहता है वैसे ही बिना गणित के अच्छे नीव के आपके गणित का ज्ञान कमजोर रहेगा. अतः आवश्यक है की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी से पूर्व सभी अध्याय की महत्वपूर्ण बातें , सूत्र , प्रमेय इत्यादि को आप याद रख्रें .

क्या करें :- परीक्षा की तैयारी से पूर्व

1. प्रत्येक परीक्षा के गणित सेक्शन का सिलेबस आपको पता होना चाहिए। सिलेबस से अवगत रहने से आपको अपने मजबूत और कमज़ोर पक्षों की जानकारी होती है।
2. गणित पेपर को हल करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण टिप है कि आप अपनी गति को सुधारें। गणित में आपकी गति तभी ठीक होगी जब आप नियमित अभ्यास की आदत बनायेंगे और साथ ही अभ्यास प्रश्नों को समय प्रबंधन करना सुनिश्चित करने में आप कामयाब हों.
3. पिछले वर्षों के पेपर हल करें। इससे प्रश्नों के पैटर्न को समझने में और उन्हें हल करने में काफ़ी मदद मिलती है। इससे आप प्रत्येक विषय की कठिनाई का स्तर भी जान पाएंगे।
4. 25 तक पहाड़े, 50 तक के वर्गमूल, 15 तक के घन, 15 तक के घन मूल और बुनियादी एल्जेब्रा के फॉर्मूले याद कर लें। साथ ही जरुरत है की आपको दो संख्या के बीच की अभाज्य संख्या निकालना, भाज्यता की जांच, भिन्न शांत है या अशांत, लघुत्तम, महत्तम जैसे बुनियादी बातें आना आवश्यक है.
5. उन विषयों के बुनियादी कॉनसेप्ट को समझें जिनका उल्लेख सिलेबस में किया गया है। यदि आप कहीं किसी विषय पर अटक जाते हैं तो संदर्भ पुस्तकों का सहारा लें और इसके लिए आप किसी शिक्षक की मदद ले सकते हैं या कोई अच्छे प्रकाशक की पुस्तक अवश्य पढ़ें । कोई भी विषय ना छोड़ें तब भी जब आपको लगे कि अपेक्षाकृत अधिक महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि प्रश्न कहीं से भी पूछे जा सकते हैं।
6. कोशिश करें कि अपने ही शॉर्टकट तरीके अपनाएं. अंकगणित के लिए आप वैदिक गणित , मैथ्स मेड इजी जैसी पुस्तकों से सैकड़ों नियम सीख सकते है जो आके अंकगणित में गणना करना आसान हो जाये.
7. जहाँ तक सम्भब हो बाजार या ऑनलाइन उपलब्ध मॉक टेस्ट और प्रश्न बैंक को हल करें। इससे आपको पता चलता है कि किस प्रकार प्रश्नों को सेट किया जाता है। नए ट्रिक्स और याद करने के स्मार्ट तरीके अपनाएं ताकि आप समय और परिश्रम का कुशल प्रयोग कर सकें।
8. परीक्षा पूर्व आप उन गलतियों को जरुर दूर करने की कोशिश करें जिसमे आप अपने आपको असहज महसूस करते हों और इसके लिए यह आवश्यक है कि अपनी सभी गलतियों की एक लिस्ट बनायें. करणी पर आधारित सवालों में अक्सर छात्र गलती करते हैं, साथ ही बीजगणित में अचर और चर को लोग जोड़ने की गलती भी करते दिखते हैं. द्विघात समीकरण के सवाल में भी दो मूल लेने के बजाय कई बार एक धनात्मक मूल लेने की भूल कर अपने अंक गँवा लेते है ऐसी अनेकों गलतियों से आप सावधानीपूर्वक बच सकते हैं.
9. त्रिकोंमिति के सभी सूत्र और कोणों के मान – 30, 45, 60, 90 का मान सभी निष्पति – sin, cos, tan, cot,sec, cosec के लिए याद कर लें. साथ ही पाइथागोरस त्रिक (3,4,5), (6,8,10), (7, 24, 25), (8, 15,17), (9, 40, 41)... याद करें जिससे त्रिकोंमिति के सूत्र निकालने में आपको आसानी होगी.
10. अंकगणित में आप – लाभ और हानि ,साधारण और चक्रवृद्धि व्याज , समय, दूरी और काम, लघुत्तम , सांख्यिकी , प्रायिकता जैसे ऐसे सवाल हैं जो परीक्षा में अवश्य आते है और इन्हें थोड़ा सा ध्यान देकर सीखा जा सकता है.
11. क्षेत्रमिति के सवाल अधिकांशतः सूत्र पर आधारित होते है जिसके लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं है, अगर आपको सूत्र में पकड़ है और आप थोड़ी सी सावधानी बरतें तो अवश्य ही इस प्रकार के प्रश्नों को हल कर पाएंगे.

टाइम मेनेजमेट कैसे करें :-


परीक्षा में समय प्रवंधन ही सबसे महत्वपूर्ण विषय है जिसे आप नियंत्रण कर अपनी सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं पर ऐसा तभी कर पाएंगे जब आपकी तैयारी अच्छी हो और आप परीक्षा पूर्व नियोजित रूप से काम कर चुकें हो. आपको गणना करने की द्रुत विधि जैसे- वैदिक विधि आपको आती हो. अंकगणित और बीजगणित के सभी सूत्र भी आपको आते हो और आपने कई टेस्ट दे रखा हो. परीक्षा में आप शांतचित होकर जाएँ जिससे आपको घबराहट न हो और आप प्रश्नों को हल करने में आनंद का अनुभव करें. कठिन प्रश्नों को बाद में हल करें इसके लिए आप प्रश्न हल करने का तरीका पंक्तिबद्ध न होकर मिश्रित और आसान से कठिन को अपनाएं. यदि 1 घंटे में आपको 60 प्रश्न हल करने है तो इसका अर्थ हुआ की आप 1 मिनट में 1 प्रश्न हल करेंगे यदि 15 -20 प्रश्न हल करने के बाद यह लगता हो की आपकी गति अनुकूल नहीं है तो स्पीड बढ़ाने की आवश्यकता है साथ ही कछुए और खरगोश की कहानी भी आप भूले न. सही समय प्रवंधन से आपको अपने उत्तर को दुबारा जांच करने के लिए समय बच जायेगा अन्यथा आप सारे प्रश्न जानते हुए भी हल नहीं कर पाएंगे. आजकल परीक्षा में निगेटिव मार्किंग स्कीम भी रहता है अतः आपकी स्पीड के साथ यह भी जरुरी है की आप गलत सवालों के हल अटकल में न करें अन्यथा लेने के देने पड़ सकते हैं. मान लीजिये की आपने चार उत्तर गलत किये तो 0.25 के हिसाब से 1 अंक गँवा दिए. परीक्षा में जहाँ लाखों छात्र बैठते है वहां 0.25 अंक की अपनी महत्ता है.

कामयाबी हासिल करने का मंत्र

कामयाबी हासिल करने के लिए संयमित होना आवश्यक है साथ ही विषय पर पूरी पकड़ के साथ नियमित अभ्यास करते रहें. हर फॉर्मूले की एप्लीकेशन आनी चाहिए यह जरुरी है. चैप्टर वाइज फॉर्मूले अच्छी तरह याद कर लें और उनका निरंतर अभ्यास करें। पेपर हल करते समय यह कोशिश करते रहें की सारे प्रश्न तय समय से पहले हो जाये और जब भी आप हल करने बैठें तो प्रश्न के अंतिम प्रश्न तक हल करें न कि विश्राम करते हुए कई सिटिंग में इसे हल करें. स्पीड को हासिल करने के लिए जरुरी है कि आप वैदिक गणित या अन्य क्विकर गणित की विधि जरुर सीखे और इसका अप्प्लीकेशन भी करते रहें नहीं तो अक्सर यह देखा जाता है की आपको बहुत सारे शोर्ट कट आते है पर जब उसे इस्तेमाल का असली समय आता है तो आप भूल जाते है और इसे तभी आप ठीक कर पाएंगे जब आपको हर सूक्ष्म विधि पर कई सारे सवालों को हल करने का अभ्यास हो.
गणित आपके स्कोर ग्राफ उठाने में अहम् भूमिका निभा सकता है अतः इस विषय के साथ आपकी दोस्ती अटूट हो. गणित के सूत्र रटने भर से आपको गणित नहीं आ सकती खासकर जब आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है तो आपको विषय पर पकड़, सूक्ष्म विधि, आधारभूत प्रमेय, वर्ग, घन, अंकगणित, बीजगणित , पर बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्नों की सूची के साथ साथ विषयवार अध्ययन वो भी समय की मर्यादा देखते हुए नियमित रूप से करने की जरूरत है.

गणित के विषय में प्रचलित एक मशहुर कविता है जिसका हिंदी रूपांतरण कुछ इस तरह है – यह काफी अच्छा होगा की आप कुछेक का सबकुछ पढ़े न कि सभी अध्याय का कुछ-कुछ पढ़े और इससे बढ़िया बात कोई नहीं यदि आप सब अध्याय का सबकुछ पढ़ें.

डॉ राजेश कुमार ठाकुर

Sunday, October 16, 2016

औसत -2

औसत

मित्रों पिछले अंक में आपने बीजगणितीय सूत्रों पर आधारित कुछ सवालों को सीखा साथ ही कुछ सूक्ष्म विधि द्वारा औसत के ऐसे सवालों पर चर्चा की गयी थी जो प्रतियोगी परीक्षा में अक्सर पूछे जाते हैं , इसे क्रम को आगे बढ़ाते हुए कुछ सवालो पर इस अंक में हम प्रकाश डालेंगे.

प्रश्न ;- एक कक्षा के 20 छात्रों में से एक छात्र जिसका औसत भार 25 किग्रा. है चला जाता है और उसके स्थान पर एक नया छात्र आ जाता है, जिससे छात्रों के औसत भार में 1 किग्रा. की वृद्धि हो जाती है. नए छात्र का भार बताएं.

हल :- ऐसे प्रश्न भी आप बखूबी सूक्ष्म विधि से हल कर सकते हैं

वृद्धि होने पर
आने वाले व्यक्ति की आयु = जाने वाले व्यक्ति की आयु + समूह में व्यक्तियों की संख्या x औसत वृद्धि

कमी होने पर
आने वाले व्यक्ति की आयु = जाने वाले व्यक्ति की आयु – समूह में व्यक्तियों की संख्या x औसत में कमी

आने वाले व्यक्ति का भार = 25 + 20 x 1 = 45

प्रश्न:- नीलभ ने क्रिकेट मैच के फाइनल में 25 रन देकर 5 विकेट लिए जिससे औसत 0.4 घट गया , नीलभ का नया औसत ज्ञात करें यदि अब तक ली गयी विकेट की संख्या 100 है.
हल :- माना फाइनल से पहले नीलभ का औसत = x
( 100 – 5 ) x + 25 = 100 ( x – 0.2)
95x + 25 = 100 x – 20
100x – 95x = 25 + 20
5x = 45
x = 9
नीलभ का नया औसत = 9 – 0.2 = 8.8

प्रश्न :- किसी ऑफिस में काम करने वाले सभी कर्मचारियों की औसत आमदनी 700 रु. प्रति दिन है जबकि वहां काम करने वाले अफसरों की औसत आमदनी 1150रु. प्रति दिन है तथा अन्य कर्मचारियों की औसत आमदनी 400 रु. प्रति दिन है. यदि ऑफिस में 20 अफसर है तो अन्य कर्मचारियों की संख्या निकालें?
हल :- माना अन्य कर्मचारी = x
» 400x + 20 x 1150 = 700 ( 20 + x)
» 400x + 23000 = 14000 + 700x
» 300x = 9000
x = 30

औसत -1

औसत

दो या दो से अधिक सजातीय राशियों के जोड़ को कुल राशी के साथ भाग देने पर औसत प्राप्त होता है. प्रतियोगी परीक्षा में इसपर आधारित सवालों की अपेक्षा भी रहती है. यूँ तो इस तरह के सवाल कुछ बीजगणितीय सूत्रों पर आधारित रहते हैं या फिर शब्द समस्या पर, जिसे थोड़ी मेहनत कर आप सीख सकते हैं.
यदि संख्याए x1 , x2 , x3 --- xn हो तो इनका औसत = (x1 + x2 + x3 + --- + xn) / n होगा .

औसत पर आधारित कुछ सूत्र
1. प्रथम n प्राकृत संख्याओं का औसत = (n + 1) / 2
2. प्रथम n सम संख्याओं का औसत = (n + 1)
3. प्रथम n विषम संख्याओं का औसत = n
4. प्रथम n प्राकृत संख्याओं के वर्गों का औसत = (n +1) (2n + 1) / 6
5. प्रथम n प्राकृत संख्याओं के घनों का औसत = n (n + 1)2 / 4
6. 1 से लेकर n तक की विषम संख्याओं का औसत = (n+1)/2
7. 1 से लेकर n तक की सम संख्याओं का औसत = (n + 2)/2

प्रश्न :- 1 से लेकर 31 तक की संख्या का औसत निकालें
हल :- ऊपर बताये गए सूत्र संख्या 6 से औसत = (31 + 1) / 2 = 16

प्रश्न :- 1 से 25 तक के सभी संख्याओं के वर्गों का औसत निकालें ?
हल :- सूत्र 4 से औसत = (25 + 1) (2 x 25 + 1) / 6 = 221 , यहाँ n = 25

प्रश्न :- 1 से 10 तक की सभी संख्याओं के घनों का औसत निकालें ?
हल :- सूत्र 5 से , औसत = 10 x (10+ 1)2 / 4 = 302.5

प्रश्न :- लव-कुश अपने घर से विद्यालय 12 किमी/घ की रफ़्तार से गया और शाम को छुट्टी के समय 10 किमी/घ की रफ़्तार से घर वापस आया तो बताएं उसकी औसत चाल कितनी थी ?
हल :- ऐसे प्रश्नों को सीधे ही सूक्ष्म विधि के सूत्रों द्वारा हल किया जा सकता है –
यदि समान दुरी तय करने में क्रमशः चाल x किमी/घ और y किमी/घ हो तो औसत चाल = 2xy /x + y होगी
यहाँ x = 12 तथा y = 10 है अतः औसत चाल = (2 x 12 x 10)/ 10 +12 = 10.9 किमी/घ

प्रश्न :- अब्दुल रहीम अपने घर से 15 किमी/घ की चाल से स्कुल जाता है और अपने शिक्षक की मोटरसाइकिल लेकर 10 किमी/घ की रफ़्तार से वापस लौटता है, फिर मोटरसाइकिल ठीक कराकर वह 20 किमी/घ की रफ़्तार से स्कुल पहुँचता है, तो उसकी औसत चाल क्या है ?
हल :- औसत चाल यदि a किमी/घ , b किमी/घ तथा c किमी/घ हो तो परन्तु हर स्थिति में दुरी समान हो तो औसत चाल = किमी/घ होगी .
इसी सूत्र की मदद से हम इस प्रश्न को हल करें तो

Friday, September 16, 2016

अनुपात और समानुपात - १

अनुपात और समानुपात

अनुपात और समानुपात पर कई प्रश्न परीक्षा में पूछे जाते रहे हैं और ऐसे प्रश्न इस अध्याय के अलावा भी कई अन्य अध्याय जिसमे अनुपात शब्द का प्रयोग हुआ हो वहां भी आपको प्रश्न को हल करने में सहायक होंगे. मैं आशान्वित हूँ की पिछले कई अंको में आपने गणित के प्रश्नों को हल करने की त्वरित विधि का अपने दैनिक अभ्यास में समायोजन कर लिया होगा और इससे आप अपनी गणितीय गणना को और शीघ्र कर पाने में सफल हो रहे होंगे.

अनुपात :- यह एक ऐसी संख्या है जो दो सजातीय राशियों के बीच में सम्बन्ध स्थापित करता है. यदि a और b दो सजातीय राशि है तो a और b का अनुपात a : b होता है और इसमें a को प्रथम पद (antecedent) और b को उत्तर पद (consequent) कहते हैं. इसके लिए : चिन्ह का प्रयोग करेंगे.
समानुपात:- जैसा आप देख रहे हैं की यह शब्द सम और अनुपात के संयोग से बना है. सम का अर्थ समान और अनुपात यदि हम यूँ कहें कि – 5 : 10 = 15 : 30 है तो इसे हम समानुपात कहेंगे और इसके लिए : : चिन्ह का प्रयोग करेंगे; अर्थात 5 : 10 : : 15 : 30. यहाँ 5 और 30 को बाहरी राशी ( Extremes) तथा 10 और 15 को माध्यमिक राशियाँ ( Means) कहा जाता है.

अनुपात और समानुपात सम्बंधित कुछ नियम:-

• यदि a, b और c वितत अनुपात में हो तो मध्य अनुपात b^2 = a x c होगा
• a और b का तीसरा समानुपात (Third Proportional) = b^2 / a होगा
• a और b का विलोमानुपात b : a होगा
• a और b का वर्गानुपात a^2 : b^2 होगा
• a और b का तिहरा या धन अनुपात a^3 : b^3 होगा
• यदि a : b : : c : d हो तो a x d = b x c होगा
• यदि अनुपात a : b : c हो तो प्रथम राशी = ak, दूसरी राशी = bk और तीसरी राशी = ck होगा

• यदि अनुपात भिन्नात्मक हो जैसे – 1/a : 1/b : 1/c तो सबसे पहले हर का लघुत्तम लें और प्रत्येक भिन्न अनुपात को इससे गुणा करें जिससे एक सरल अनुपात में बदला जा सके. मान ले की अनुपात ½ : 1/3 : 1/6 है तो सबसे पहले हर 2, 3 और 6 का लघुत्तम निकालें और प्रत्येक भिन्न के साथ गुना करें. लघुत्तम = 6, अनुपात ½ x 6 : 1/3 x 6 : 1/6 x 6 = 3 : 2 : 1

• यदि
हो तो इसका अर्थ है की राशी a : b : c होगा .
आइये कुछ उदाहरण की मदद से हम इसे समझने का प्रयास करें.

प्रश्न :- 2:3, 5:6 , 8:9 का मिश्रित अनुपात बताएं
हल :- मिश्रित अनुपात निकालने के लिए प्रथम अनुपात को गुना : दुसरे अनुपात का गुना अतः हल =
2 x 5 x 8 : 3 x 6 x 9 = 80 : 162

प्रश्न :-5400 रु. को A, Bतथा C में इस प्रकार बांटे की A/2 = B/3 = C/4 हो तो B का हिस्सा बताएं
हल :- A/2 = B/3 = C/4 = k से A = 2k, B = 3k तथा C = 4k
B का भाग = 3/2+3+4 x 5400 = 1800 रु.

प्रश्न:- 740 रु. को A, B तथा C में क्रमशः ¼ : 1/5 : 1/6 के अनुपात में बांटा जाये तो B का हिस्सा क्या होगा?
हल :- हमने ऊपर बताया कि यदि अनुपात भिन्न में हो तो पहले हर का लघुत्तम निकाल सबसे गुना करना पड़ता है.
A : B : C = ¼ X 60 : 1/5 X 60 : 1/6 X 60 = 15 : 12 : 10
B का भाग = 12 / (15 + 12 + 10) X 740 = 240 रु.

मित्रों अगले अंक में ढेर सारे प्रश्नों और उसे हल करने की सूक्ष्म विधि पर चर्चा करेंगे तब तक आप नियमो को ध्यान से पढ़े और आत्मसात करें .

डॉ. राजेश कुमार ठाकुर


Friday, August 5, 2016

लाभ और हानि

लाभ और हानि

लाभ और हानि पर सवाल बैंक, एसएससी, रेलवे , कैट इत्यादि परीक्षाओं में अक्सर पूछे जाते रहे हैं और इनमे समय की प्रतिबद्धता को आप अगर ध्यान में रखेंगे तो आप अधिक से अधिक सवाल हल कर पाएंगे और इसके लिए आपको जरुरत है की आप सवाल को साधारण विधि से न हल करके इसे सूक्ष्म विधि से हल करें जिससे की आप कम समय में ज्यादा सवाल और वो भी गलती रहित कर पायेंगे.

जैसा की आप जानते है की जब कोई व्यक्ति व्यापार करता है तो सामान को खरीदता है और फिर उसे ग्राहक को बेच देता है. ख़रीदे गए कीमत को क्रयमूल्य(CP) और बेचे गए कीमत को विक्रय मूल्य (SP) कहते हैं. यदि क्रयमूल्य कम और विक्रय मूल्य अधिक हो तो लाभ होगा अन्यथा हानि.

प्रश्न :- हरीश ने अपनी पुराणी टाइप मशीन १२०० रूपये में खरीदी और इसकी मरम्मत में २०० रूपये खर्च किया. उसने इसे 1680 रूपये में बेच दिया तो उसे अपनी मशीन पर कितना लाभ हुआ. प्रतिशत लाभ भी बताएं?

उत्तर :- क्रय मूल्य = 1200 + 200 = 1400
विक्रय मूल्य = 1680
यहाँ SP > CP अतः लाभ = SP – CP = 1680 – 1400 = 280 होगा
लाभ % = लाभ x 100 / क्रयमूल्य = 280 x 100 = 20%
1400
प्रश्न;- किसी साईकिल का क्रय मूल्य 1360 रूपये हैं तथा उसे 12% लाभ पर बेचने के लिए उसकी कीमत कितनी होगी?
उत्तर :- सूत्र से SP = CP (100+ R) / 100 जहाँ R = दर

SP = 1360 x 112 / 100 = 1523.20 रूपये

प्रश्न:- किसी बस्तु को 320 रूपये में बेचने पर 20% की हानि होती है तो उसे कितने में बेचा जाये की 25% का लाभ हो?
उत्तर:- साधारण विधि से करने पर यह सवाल काफी लम्बा और समय बर्बाद करने वाला प्रतीत होता है परन्तु यदि आप सूक्ष्म विधि का प्रयोग करें तो आपको काफी लाभ मिलेगा. ऐसे प्रश्न जिसमे किसी बस्तु को x रूपये में बेचने पर y% की हानि हो तो z% लाभ पाने के लिए उसका विक्रय मूल्य =
(100 + z ) x / 100 – y होगा

विक्रय मूल्य = (100 + 25 ) x 320 / 100 – 20 = 125 x 4 = 500 रूपये

प्रश्न:- किसी बस्तु को 320 रूपये में बेचने पर 20% का लाभ होती है तो उसे कितने में बेचा जाये की 25% की हानि हो?

उत्तर :- ऐसे प्रश्नों को भी परीक्षा में पूछा जाता है और अक्लमंदी यही है की आप इसे सूत्र की सहायता से हल करें न की साधारण विधि से.
बस्तु को x रूपये में बेचने पर y% का लाभ हो तो z% की हानि के लिए उसका विक्रय मूल्य =
(100 - z ) x /100 + y होगा

अतः विक्रय मूल्य = (100 - 25 ) x 320 / 100 + 20 = = 200 रूपये

प्रश्न:- किसी बस्तु को 320 रूपये में बेचने पर 20% का लाभ होती है तो उसे कितने में बेचा जाये की 25% का लाभ हो?
उत्तर:- बस्तु को x रूपये में बेचने पर y% का लाभ हो तो z% की हानि के लिए उसका विक्रय मूल्य =
(100 + z ) x / 100 + y होगा

अतः विक्रय मूल्य = (100 + 25 ) x 320 / 100 + 20 = 333.33 रूपये


(अगले अंक में जारी )
डॉ राजेश कुमार ठाकुर








Thursday, June 23, 2016

सरलीकरण

सरलीकरण

सरलीकरण एक महत्वपूर्ण अध्याय है जिसमे अंकगणित और बीजगणित के प्रश्न जो कुछेक सूत्रों पर आधारित होते है या किसी नियम विशेष पर कार्य करते हैं प्रतियोगिता परीक्षा में पूछे जाते रहें है. किसी व्यंजक अथवा किसी जटिल भिन्न को साधारण भिन्न अथवा संख्या में बदलने की क्रिया को सरलीकरण कहते हैं. अगर हमें किसी भी भिन्न के सरलीकरण का नियम ज्ञात न हो तो हमें उसका उत्तर पता लगाने में कठिनाई होती है अतः सरलीकरण के नियमों से ही हमें यथोचित उत्तर प्राप्त होता है. इस अंक में हम सरलीकरण से सम्बंधित नियम को जानकर उसपर आधारित प्रश्नों को हल करने के तरीके पर चर्चा करेंगे.

1. VBODMAS नियम :- किसी दिए गए व्यंजक को सरल करने के लिए निम्नलिखित क्रम में क्रिया की जाती है.

V – VINCULUM – रेखा कोष्टक (–)
B – BRACKETS – कोष्टक - ( छोटा कोष्टक ) , { मध्यम कोष्टक }, [ बड़ा कोष्टक ]
O – OF – का
D – DIVISION – भाग - (÷)
M – MULTIPLICATION – गुणा – (×)
A – ADDITION – योग - (+)
S – SUBTRACTION – घटा - (–)
यह आवश्यक नहीं है की किसी प्रश्न में सभी चिन्ह मौजूद हों परन्तु सरलीकरण का क्रम ऐसा ही रहेगा.

2. MODULUS:- किसी वास्तविक संख्या ‘x’ का MODULUS या मापांक को हम इस प्रकार परिभाषित करते हैं-
| x | = x ; x > 0
= –x ; x < 0 अर्थात , | 5 | = 5 तथा |–5 | = –(–5) = 5 3. वितत भिन्न :- ऐसे भिन्न जो


के रूप में लिखा गया हो वितत भिन्न कहलाता है. इसे नीचे से ऊपर की दिशा में हल किया जाता है.

सरलीकरण में उपरोक्त नियम के अलावा निम्न बीजगणित के सूत्र का भी हमे उपयोग करने की आवश्यकता होती है जो यहाँ आपकी सुविधा के लिए लिखा जा रहा है, इनपर आधारित प्रश्नों को हम आगे हल करेंगे पर आपको इन सूत्रों को याद करने की जरुरत पड़ेगी तो आगे बढे तबतक आप इन सूत्रों को आत्मसात करें.


आइये कुछ उदाहरणों की सहायता से सवालों को हल करने की कोशिश करें

हल :- यहाँ जैसा की आप देख रहें है – रेखा कोष्टक , छोटी कोष्टक , मध्यम कोष्टक और बड़ी कोष्टक का प्रयोग किया गया है , VBODMAS के नियम से सबसे पहले आप रेखा कोष्टक का प्रयोग करेंगे फिर आपको कोष्टक में छोटी कोष्टक , मध्यम कोष्टक और बड़ी कोष्टक का प्रयोग क्रमशः करना पड़ेगा.
= n – [ n – (m+n) – { n – (n – m + n) } + 2m ]
= n – [ n – (m+n) – { n – (2n – m) } + 2m ]
= n – [ n – (m+n) – { n – 2n + m } + 2m ]
= n – [ n – (m+n) – { –n + m } + 2m]
= n – [ n – (m+n) + n – m } + 2m]
= n – [ n – m – n + n – m + 2m]
= n – n = 0
उदाहरण:- यदि x /y = 6 / हो तो x^2 – y^2/x^2 +y^2 का मान निकालें

हल :-
x^2 – y^2/x^2 +y^2 = x^2 / y^2 – y^2/ y^2 / x^2/ y^2 + y^2/ y^2
= (6 / 5)2 – 1
(6 / 5)2 + 1




उदाहरण :- यदि x(x + y + z) = 9 , y( x + y + z) = 16 ; z(x + y + z) = 144 हो तो x का मान निकालें
हल :- x(x + y + z) = 9 -------------- (1)
y( x + y + z) = 16 --------- (2)
z(x + y + z) = 144 ---------- (3)
तीनो समीकरणों को जोड़ने पर
(x + y + z ) ( x + y + z) = 9 + 16 + 144 = 169
(x + y + z) 2 = 169
x + y + z = 13
समीकरण 1 में x + y + z = 13 का मान रखने पर –
x(x + y + z) = 9
13 x = 9
x = 9/13




उदाहरण :- ( 28 –10 √3 )1/2 – (7 + 4 √3 )1/2
हल :- प्रथम पद = ( 28 –10 √3 )1/2
= ( 25 + 3 – 2 x 5 x √3)1/2
= { (5)2 + (√3)2 – 2 x 5 x √3)1/2 }
= { (5 - √3)2 }1/2
= 5 - √3
दूसरा पद
= (7 + 4 √3 )1/2
= (22 + (√3)2 + 2 x 2 x √3 ) 1/2
= { (2 + √3)2 }1/2
= 2 + √3
अतः ( 28 –10 √3 )1/2 – (7 + 4 √3 )1/2 = 5 - √3 + 2 + √3 = 7

उदाहरण :- 999 1/7 + 999 2/7 + 999 3/7 + 999 4/7 + 999 5/7 + 999 6/7 का मान निकालें
हल :- 999 (1/7 + 2/7 +3/7 + 4/7 + 5/7 +6/7 )
= 999 ( 6 x 7 ) = 999 x 3 = 2997
2 x 7
(यहाँ 1 + 2 + 3 + -- --- -- + n = n x (n + 1) / 2 सूत्र का प्रयोग किया गया है )



आपने देखा की सरलीकरण के सवाल के अंतर्गत भिन्न , घातांक , करनी के साथ साथ बीजगणित में भी आपकी पकड़ अच्छी होनी आवश्यक है अन्यथा आप इसे हल नहीं कर पायेंगे. अतः उपरोक्त सूत्र को आत्मसात करें और इस तरह के प्रश्नों को अधिक से अधिक संख्या में हल करने की कोशिश करें.


डॉ. राजेश कुमार ठाकुर

Wednesday, April 6, 2016

गुणा - जब संख्या के बीच का अंतर 10 हो

. जब संख्या के बीच का अंतर 10 हो

नियम :-a) सबसे पहले दोनों संख्या का माध्य निकाले. यदि दो संख्या a और b हो और a > b तो माध्य = a – 5 या b + 5
b) माध्य का वर्ग निकालें
c) परिणाम में 25 घटायें

उदाहरण:- 84 x 94 = ?
हल :- a) दोनों संख्या का माध्य निकाले = 35 + 4 = 39
b) माध्य का वर्ग निकालें = 392 = 1521
c) परिणाम में 16 घटायें = 1521 – 16 = 1505
अतः 35 × 43 = 1505

उदाहरण:- 66 x 76 = ?
हल :- a) दोनों संख्या का माध्य निकाले = 66 + 5 = 71
b) माध्य का वर्ग निकालें = 712 = 5041
c) परिणाम में 25 घटायें = 5041 – 25 = 5016
अतः 66 × 76 = 5016

उदाहरण:- 25 x 35 = ?
हल :- a) दोनों संख्या का माध्य निकाले = = 25 + 5 = 30
b) माध्य का वर्ग निकालें = 302 = 900
c) परिणाम में 25 घटायें = 900 – 25 = 875
अतः 25 × 35 = 875


डॉ राजेश कुमार ठाकुर

गुणा - जब संख्या के बीच का अंतर 8 हो

जब संख्या के बीच का अंतर 8 हो

नियम :-a) सबसे पहले दोनों संख्या का माध्य निकाले. यदि दो संख्या a और b हो और a > b तो माध्य = a – 4 या b + 4
b) माध्य का वर्ग निकालें
c) परिणाम में 16 घटायें

उदाहरण:- 64 x 72 = ?
हल :- a) दोनों संख्या का माध्य निकाले = 64 + 4 = 68
b) माध्य का वर्ग निकालें = 682 = 4624
c) परिणाम में 16 घटायें = 4624 – 16 = 4608
अतः 64 × 72 = 4608

उदाहरण:- 41 x 49 = ?
हल :- a) दोनों संख्या का माध्य निकाले = 41 + 4 = 45
b) माध्य का वर्ग निकालें = 452 = 2025
c) परिणाम में 16 घटायें = 2025 –16 = 2009
अतः 41 × 49 = 2009

उदाहरण:- 35 x 43 = ?
हल :- a) दोनों संख्या का माध्य निकाले = 35 + 4 = 39
b) माध्य का वर्ग निकालें = 392 = 1521
c) परिणाम में 16 घटायें = 1521 – 16 = 1505
अतः 35 × 43 = 1505

डॉ राजेश कुमार ठाकुर

गुणा - जब संख्या के बीच का अंतर 6 हो

जब संख्या के बीच का अंतर 6 हो
नियम :-a) सबसे पहले दोनों संख्या का माध्य निकाले. यदि दो संख्या a और b हो और a > b तो माध्य = a – 3 या b + 3
b) माध्य का वर्ग निकालें
c) परिणाम में 9 घटायें

उदाहरण:- 42 x 48 = ?
हल :- a) दोनों संख्या का माध्य निकाले = 42 +3 = 45
b) माध्य का वर्ग निकालें = 452 = 2025
c) परिणाम में 9 घटायें = 2025 – 9 = 2016
अतः 42 × 48 = 2016

उदाहरण:- 61 x 67 = ?
हल :- a) दोनों संख्या का माध्य निकाले = 61 +3 = 64
b) माध्य का वर्ग निकालें = 642 = 4096
c) परिणाम में 9 घटायें = 4096 – 9 = 4087
अतः 67 × 61 = 4087

उदाहरण:- 73 x 79 = ?
हल :- a) दोनों संख्या का माध्य निकाले = 73 + 3 = 76
b) माध्य का वर्ग निकालें = 762 = 5776
c) परिणाम में 9 घटायें = 5776 – 9 = 5767
अतः 73 × 79 = 5767

डॉ राजेश कुमार ठाकुर

गुणा - जब संख्या के बीच का अंतर 4 हो

. जब संख्या के बीच का अंतर 4 हो


नियम :-a) सबसे पहले दोनों संख्या का माध्य निकाले. यदि दो संख्या a और b हो और a > b तो माध्य = a – 2 या b + 2
b) माध्य का वर्ग निकालें
c) परिणाम में 4 घटायें

उदाहरण :- 65 x 69 = ?
हल :- a) दोनों संख्या का माध्य निकाले = = 65 + 2 = 67
b) माध्य का वर्ग निकालें = 672 = 4489
c) परिणाम में 4 घटायें = 4489 – 4 = 4485
अतः 65 × 69 = 4485

उदाहरण :- 84 x 88 = ?
हल :- a) दोनों संख्या का माध्य निकाले = 84 + 2 = 86
b) माध्य का वर्ग निकालें = 862 = 7396
c) परिणाम में 4 घटायें = 7396 – 4 = 7392
अतः 84 × 88 = 7392

उदाहरण :- 42 x 46 = ?
हल :- a) दोनों संख्या का माध्य निकाले = 42 + 2 = 44
b) माध्य का वर्ग निकालें = 442 = 1936
c) परिणाम में 4 घटायें = 1936 – 4 = 1932
अतः 42 × 46 = 1932

डॉ राजेश कुमार ठाकुर

दो संख्या का गुना जब संख्या का अंतर तीन हो

जब संख्या के बीच का अंतर 3 हो
नियम :- अ) छोटी संख्या में 1 जोड़ें और इनका वर्ग करें
ब) छोटी संख्या में 1 घटा कर इसे पिछले परिणाम में जोड़े

उदाहरण :- 28 × 31 = ?
हल :- अ) छोटी संख्या में 1 जोड़े = 28 + 1 = 29
ब) वर्ग करें = 292 = 841
स) छोटी संख्या में 1 घटा कर इसे पिछले परिणाम में जोड़े = 841 + 28 – 1 = 868

अतः 28 × 31 = 868
उदाहरण :- 24 × 27 = ?
हल :- अ) छोटी संख्या में 1 जोड़े = 24 + 1 = 25
ब) वर्ग करें = 252 = 625
स) छोटी संख्या में 1 घटा कर इसे पिछले परिणाम में जोड़े = 625 + 24 – 1 = 648
अतः 24 × 27 = 648

उदाहरण :- 95 × 98 = ?
हल :- अ) छोटी संख्या में 1 जोड़े = 95 + 1 = 96
ब) वर्ग करें = 962 = 9216
स) छोटी संख्या में 1 घटा कर इसे पिछले परिणाम में जोड़े = 9216 + 95 – 1 =9310
अतः 95 × 98 = 9310

डॉ राजेश कुमार ठाकुर

दो संख्या का गुणा जब संख्या के बीच का अंतर 2 हो


जब संख्या के बीच का अंतर 2 हो

a) नियम :- पहले संख्या का माध्य निकाले और वर्ग करें . दो संख्या a और b का माध्य = (a + b )/ 2
b) 1 घटायें

उदाहरण :- 25 x 27 = ?
हल:- माध्य = ( 25 + 27) / 2 = 26.
वर्ग करें = 26 2 = 676
1 घटायें = 676 – 1 = 675
अतः 25 x 27 = 675

उदाहरण :- 74 x 76 = ?
हल:- माध्य = ( 74 + 76) / 2 = 75.
वर्ग करें = = 75 2 = 5625
1 घटायें = = 5625 – 1 = 5624
अतः 74 x 76 = 5624

उदाहरण :- 82 x 84 = ?
हल:- माध्य = ( 82 + 84) / 2 = 83.
वर्ग करें = = 83 2 = 6889
1 घटायें = = 6889 – 1 = 6888
अतः 82 x 84 = 6888

डॉ राजेश कुमार ठाकुर

दो अंको का गुना जब संख्या के बीच का अंतर 1 हो

जब संख्या के बीच का अंतर 1 हो

कहने का तात्पर्य है की अगर दो संख्या लगातार हो तो उनके बीच का अंतर 1 होगा और ऐसी संख्या के लिए यहाँ एक बेहद आसान सा लगने वाला नियम है

अ) बड़े या छोटे संख्या को वर्ग करें
ब) पिछले परिणाम में बड़ी संख्या को घटायें / छोटी संख्या को जोड़े

उदाहरण:- 23 x 24 = ?
हल :- अ) छोटे संख्या को वर्ग करें = 23 x 23 = 529
ब) पिछले परिणाम में छोटी संख्या को जोड़े = 529 + 23 = 552
अतः 23 × 24 = 552

उदाहरण:- 75 x 76 = ?
हल :- अ) छोटे संख्या को वर्ग करें = 75 x 75 = 5625
ब) पिछले परिणाम में छोटी संख्या को जोड़े = 5625 + 75 = 5700
अतः 75 × 76 = 5700

उदाहरण:- 95 x 94 = ?
हल :- अ) बड़े संख्या को वर्ग करें = 95 x 95 = 9025
ब) पिछले परिणाम में बड़ी संख्या को घटायें = 9025 −95 = 8930
अतः 95 × 94 = 8930

राजेश कुमार ठाकुर

मस्तिष्क में गुणा

मस्तिष्क में गुणा
गुना को कुछ ट्रिक सीख कर बेहद मनोरंजक बनाया जा सकता है. पिछले दो अध्यायों में हमने गुना की कई बारीकियां सीखी और आपने महसूस किया की इन ट्रिक की मदद से आप न केवल गुणा को आसानी से हल कर सकते हैं बल्कि आपका समय भी बचता है. इसी बात को जानकर आपकी इच्छा हो रही होगी की क्यों न आप भी कुछ ऐसे ही जानदार विधि को सीखे जिससे आपका गणना करने की गति तेज हो जाये साथ ही आपको कागज और कलम से भी निजात मिले.

ऐसे सैकड़ों विधि है जिनकी सहायता से आप विना कलम और कागज के अपने मन में ही गुना कर उत्तर प्राप्त कर सकते हैं . जानते हैं की इन नियमों की सबसे खास बात क्या है की आप इसमें गलती करेंगे इसकी संभावना बिलकुल नगण्य है. चलिए मैं आपसे एक सवाल पूछता हूँ – 456789 को 1000 से गुना करने पर आपका उत्तर क्या आएगा? आप सोच रहे होंगे की मैंने क्या बचकानी सवाल आपसे पूछा है. क्योंकि आपको किसी संख्या जिसे आप 10, 100 ,1000 ... से गुना करना चाहते है तो आपको संख्या के आगे उतने शून्य लगाने है जितना 1 के आगे शून्य है.

तो दोस्तों कहने का तात्पर्य यह है की ऐसे ही आसान सा नियम सीखकर आप आसानी से सवाल हल कर सकते हैं. तो हो जाइये तैयार और कुछ ऐसे ही नियम को सीख आप भी गणित में अपना जलवा दिखा सकते हैं.

1. जब इकाई के अंको का योग 10 हो और बांकी के अंक समान हो

नियम:- अ) उत्तर के दो हिस्से होंगे सबसे पहले इकाई के हिस्से को गुना करें और परिणाम दायीं ओर लिखे. दायीं ओर दो अंक होंगे यदि अंक कम हो तो संख्या के पहले शून्य लगाकर दो अंक की संख्या बनायें
ब) दुसरे हिस्सा = दहाई का अंक x (दहाई अंक + 1)

उदाहरण:- 42 × 48 =?

हल :- जैसा की आप देख रहे हैं की इकाई के अंको का योग 10 (2+8) है.
दायाँ हिस्सा = 2 x 8 = 16
बायाँ हिस्सा = 4 x (4 + 1) = 20
अतः 42 × 48 = 2016

उदाहरण:- 74 × 76 =?
हल :- जैसा की आप देख रहे हैं की इकाई के अंको का योग 10 (4 + 6) है और दहाई का अंक समान है
दायाँ हिस्सा = 4 × 6 = 24
बायाँ हिस्सा = 7 x (7 + 1) = 56
अतः 74 × 76 = 5624

उदाहरण:- 99 × 91 =?
हल :- जैसा की आप देख रहे हैं की इकाई के अंको का योग 10 (1 + 9) है और दहाई का अंक समान है
दायाँ हिस्सा = 9 × 1 = 09 (यहाँ दो अंक की आवश्यक शर्त पूरा करने के लिए 09 लिखा गया )
बायाँ हिस्सा = 9 x (9 + 1) = 90
अतः 99 × 91 = 9009

2. जब दहाई के अंको का योग 10 हो और इकाई के अंक समान हो

नियम :- उत्तर के दो हिस्से होंगे
बायाँ हिस्सा = दहाई के अंको का गुना + इकाई अंक
दायाँ हिस्सा = इकाई के अंको का गुना
हमेशा याद रखे की दायीं ओर दो अंक होंगे और यदि आपको एक अंक प्राप्त होता है तो आप परिणाम के पहले एक शून्य लगाये.
उदाहरण :- 84 × 24 =?
हल :- यहाँ दहाई के अंको का योग 10 (8+2 = 10) है और इकाई के अंक समान है.
बायाँ हिस्सा = दहाई के अंको का गुना + इकाई अंक = 8×2 + 4 = 20
दायाँ हिस्सा = इकाई के अंको का गुना = 4 × 4 = 16
अतः 84 × 24 = 2016
उदाहरण :- 93 × 13 =?
हल :- यहाँ दहाई के अंको का योग 10 (9+1 = 10) है और इकाई के अंक समान है.
बायाँ हिस्सा = दहाई के अंको का गुना + इकाई अंक = 9 × 1 + 3 = 12
दायाँ हिस्सा = इकाई के अंको का गुना = 3 × 3 = 09 (यहाँ दो अंक की आवश्यक शर्त पूरा करने के लिए 09 लिखा गया )
अतः 93 × 13 = 1209
उदाहरण :- - 75 × 35 =?
हल :- यहाँ दहाई के अंको का योग 10 (7 + 3 = 10) है और इकाई के अंक समान है.
बायाँ हिस्सा = दहाई के अंको का गुना + इकाई अंक = 7× 3 + 5 = 26
दायाँ हिस्सा = इकाई के अंको का गुना = 5 × 5 = 25
अतः 75 × 35 = 2625

डॉ. राजेश कुमार ठाकुर

Saturday, March 12, 2016

क्रिकेट में ग्राफ का प्रयोग -4

विभिन्न ग्राफ का उपयोग
क्रिकेट में दंड आलेख (bar graph), बारंबारता बहुभुज (Frequency Polygon), वैगन व्हील , पाई चार्ट इत्यादि का काफी प्रयोग होता है . यह सभी ग्राफ गणित का एक अभिन्न अंग है और बिना इसके क्रिकेट के रोमांच को आम आदमी तक पहुचाना मुश्किल है . तो बच्चो आओ हम कुछ ग्राफ के द्वारा क्रिकेट के रोमांच को यही विराम दें .


माइकल क्लार्के की बल्लेबाजी का पाई चार्ट द्वारा प्रदर्शन

सचिन तेंदुलकर द्वारा एक दिवसीय खेल का बल्लेबाजी का प्रदर्शन

रेखीय ग्राफ द्वारा दो देश के रनों का तुलनात्मक अध्ययन

क्रिकेट में दर्शाया जाने वाला यह चित्र वैगन व्हील के नाम से जाना जाता है जिसमे एक बल्लेबाज द्वारा क्रिकेट के मैदान में बनाये रन, शॉट की दिशा और पिच से दुरी को दर्शाने के लिए प्रयोग किया जाता है.
तो प्यारे बच्चो तुम्हे क्रिकेट का गणित कैसा लगा ?
बच्चे :- अंकल सचमुच ये सब जानकर मजा आ गया की गणित की उपयोगिता एक क्रिकेट खिलाड़ी के लिए भी उतनी ही जरुरी है जितने हमारे लिए .
नीलभ :- पापा, क्रिकेट में गणित पर रोचक जानकारी देकर तो आपने मुझे गणित की सार्बभोमिकता के बारे में बता कर मुझे और मन से गणित पढने के लिए प्रेरित कर दिया . पापा मेरे दो प्रशन है –
1. किसी ऐसे मशहूर गणितज्ञ के बारे में बता सकते हैं जो क्रिकेट का दीवाना रहा हो ?
2. क्या फुटबॉल में गणित की उपयोगिता है ?

(अगले अंक में जारी )

डॉ राजेश कुमार ठाकुर
09868060804

क्रिकेट में संखियिकी (statistics) का अनुप्रयोग -3

संखियिकी (statistics) का अनुप्रयोग
क्रिकेट में सांखियिकी का अनुप्रयोग बल्लेबाज, गेंदबाज, उद्घोषक क्रिकेट के दौरान और विश्लेषक खेल के दौरान और खेल के पश्चात् भी आंकड़ो को सहेज कर रखते है और ये आंकड़े सांखियिकी से सम्बंधित होते हैं. ये आंकड़े किसी खिलाड़ी के लिए उसके पुरे क्रिकेट करियर में साथ रहते हैं. क्रिकेट के विभिन्न प्रकार के लिए अलग – अलग आंकड़े जुटाए जाते हैं. टेस्ट मैच , एक दिवसीय , राज्य स्तरीय खेल के लिए अलग अलग आंकड़े की आवश्यकता होती है.

एक बल्लेबाज ने कितने मैच खेले , कितने इन्निंग्स में बल्लेबाजी की , कितनी बार नोट आउट रहा, कितने रन बनाये, एक इनिंग में सर्बाधिक कितने रन बने, कितने अर्ध शतक और कितने शतक बनाये ये सब आंकड़े एक बल्लेबाज के दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. एक बल्लेबाज के लिए यह भी महत्वपूर्ण है की उसका बल्लेबाजी का औसत क्या है

औसत = कुल रन / इनिंग – नोट आउट
यह औसत दशमलब के दो अंको तक निकाला जाता है.

येही नहीं बल्लेबाज द्वारा प्रत्येक 100 बॉल पर बनाये रनों के औसत को क्रिकेट की भाषा में स्ट्राइक रेट कहते है . एक बल्लेबाज जिसका स्ट्राइक रेट अच्छा है उसके सम्बन्ध में ये कहा जाता है की वह तेजी से रन बना सकता है

स्ट्राइक रेट को भी दशमलव के बाद दो अंको तक निकाला जाता है
इसी तरह एक बॉलर भी आंकड़ो का बखूबी इस्तेमाल करता है. जैसे उसका स्ट्राइक रेट , बोलिंग औसत , मेडेन ओवर की संख्या, सर्वश्रेष्ठ बोलिंग , एक इनिंग में 5 विकेट की संख्या यह सब सांखियिकी का ही रूप है . एक बॉलर के लिए उसका इकॉनमी रेट काफी मायने रखता है.

इकोनोमी रेट = रन x 6 / बॉल

खेल में गणित की इतनी सारी ज्ञान की बात सुनकर मेरे मित्र अमित चन्दन की बिटिया शाम्भवी ने क्रिकेट में ग्राफ के उपयोग पर प्रकाश डालने का अनुरोध किया जिसे मैं ठुकरा नहीं पाया.
राजेश ठाकुर:- हाँ शाम्भवी बेटा, क्रिकेट में ग्राफ का प्रयोग अक्सर दोनों टीम के बीच के रनों की तुलना करने के लिए , वैगन व्हील ग्राफ का प्रयोग बल्लेबाजों द्वारा मैदान के चारो ओर लगाये रनों को दर्शाने के लिए किया जाता है , साथ ही बल्लेबाज के एक ओवर में बनाये रनों को दर्शाने के लिए भी हमें ग्राफ की जरुरत होती है.


(अगले अंक में जारी)

डॉ राजेश कुमार ठाकुर
09868060804











बोलिंग और बल्लेबाजी में गणित -2

BOWLING ACTION

मान लीजिये की बॉल का भार M और त्रिज्या a है यदि स्लाइडिंग घर्षण μ हो तो बॉल पर लगने वाला घर्षण बल F = μMg होगा और ये घर्षण बॉल पर एक रेखीय गति को कम करेगा तथा बल का संवेग दक्षिणावर्त कोणीय त्वरण पैदा करेगा जो बॉल को घुमने में मदद करेगा.
एक दायें हाथ के ऑफ स्पिन बॉलर की बात करें तो हम पातें है की स्पिन दक्षिणावर्त (CLOCKWISE) है . यदि घूर्णन का अक्ष क्षैतिज और आगे की ओर हो तो बॉल काफी तेजी से घूमते हुए अपनी दिशा बदलेगी वही यदि घूर्णन का अक्ष उर्ध्वाधर हो तो बॉल जमीन पर गिरने के बाद अपनी दिशा नहीं बदलेगी . यदि घूर्णन का अक्ष विकर्ण के अनुदिश बायीं ओर हो तो यह पहले दायीं ओर जाती दिखेगी पर जमीन पर गिरने के बाद यह बायीं ओर मुड़ जाएगी. अतः ऑफ स्पिन बॉलर घूर्णन के अक्ष को बदल बदल कर बॉल को घुमा सकता है और उसी तरह बाएं हाथ के लेग स्पिन बॉलर भी बॉल को अपनी इच्छा से घुमा कर बैट्समैन को चकमा दे सकता है.

बल्लेबाजी का गणित
न्यून कोण त्रिभूज समकोण त्रिभुज

एक बल्लेबाज अपनी खेल में कई तरह की ज्यामिति रचना का प्रयोग करते हुए रन बनाता है. बल्लेबाजी के दौरान वह कई बार समकोण और तो कई बार न्यून कोण बनाते हुए रन बनाता है . साथ ही जब एक बल्लेबाज गेंद पर प्रहार कर उसे बाउंड्री के बाहर छह रन के लिए भेजता है तो गेंद एक परबलय की रचना करती है. जिसका गणितीय समीकरण y^2 = 4ax होता है .

डॉ राजेश कुमार ठाकुर
09868060804

क्रिकेट में गणित -1

मशहूर फुटबॉलर पेले भारत आ रहे हैं यह खबर अखबार में पढ़ते ही नीलभ की आंखे चमक उठी . वह मन ही मन पेले से मिलने के सपने देखने लगा. नीलभ को यह तो पता था की जिस तरह ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है और सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान उसी तरह पेले को फुटबॉल की दुनिया में पूजा जाता है.
शाम का वक्त था, खाली समय में नीलभ की इच्छा विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय दो खेलों के बारे में जानने की हुई और गहराई से जानने की इसी चाह ने उसे इन्टरनेट से जानकारी जुटाने के लिए बाध्य किया . इन्टरनेट पर क्रिकेट और फुटबॉल के बारे में जानने तथा इन दोनों खेलों से सम्बंधित जानकारी को नीलभ अपनी कॉपी पर नोट करता जा रहा था . अचानक उसके पिता की नजर उस पर पड़ी और उत्सुकतावश उन्होंने पूछा – बेटा क्या स्कूल में कोई प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए दिया है जो इस तल्लीनता से इन्टरनेट से जानकारी जूटा रहे हो

नीलभ :- नहीं पिताजी , क्रिकेट और फुटबॉल के और खेल के बारे में जानकारी इकठ्ठा कर रहा हूँ.

पिता: - अद्भुत ! बेटे, क्या आपको इस बात की जानकारी है की फुटबॉल और क्रिकेट में गणित है . गणित के कई क्षेत्र जैसे ----क्षेत्रमिति , ज्यामिति ,गति विज्ञानं, सांख्यकी व गणित की कई विधाओं का प्रयोग होता है.

नीलभ यह सुनकर चौक गया कि खेल में गणित कैसे हो सकता है. काफी सोच विचार कर उसने अपने पिता से इस रोचक विषय पर प्रकाश डालने का अनुरोध कर डाला.

पिता:- बेटा रविवार को आप अपने दोस्तों के साथ शाम को आना और मैं विस्तार से इस विषय पर चर्चा करूँगा.
नीलभ ने अपने कई दोस्तों से इस बारे में बात की और रविवार नियत समय पर सभी दोस्त नीलभ के घर पर इकठ्ठा हो गए. सभी हॉल में आज के मजेदार विषय खेल में गणित पर चर्चा कर रहे थे की तभी नीलभ के पिता श्री राजेश ठाकुर जी वहां आ गए.

राजेश ठाकुर: - नमस्ते बच्चों, कैसे हो ?

बच्चे :- नमस्ते अंकल , हम ठीक है और आज इस परिचर्चा के लिए काफी उत्साहित है की गणित का अनुप्रयोग खेल में कैसे हो सकता है.
राजेश ठाकुर:- बच्चों यूँ तो प्रत्येक जगह गणित मौजूद है पर आज के परिचर्चा का विषय को हम और संक्षेप में लेते हुए क्रिकेट और फुटबॉल पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे. आपके लिए यह जानना भी आवश्यक है की गणित का सम्बन्ध प्रकृति, पेंटिंग , डांस , संगीत , फल, फूल, रसोई , व्यापार, वास्तुकला, सांख्यकी , अभियाँत्रिक, खेल और ऐसे ही अन्य विषयों के साथ सम्बन्ध है पर आज का हमारा विषय गणित का खेलों में अनुप्रयोग है और जैसा की मैंने बताया हम सिर्फ महत्वपूर्ण खेल पर अपना ध्यान रखेंगे . तो आइये हम सबसे पहले क्रिकेट से अपनी परिचर्चा को आगे बढ़ाते हैं.

क्रिकेट

क्रिकेट बल्ले और गेंद से खेले जाने वाला एक ऐसा खेल है जिसमे दो टीम के 11 -11 खिलाड़ी एक मैदान के बीचो-बीच बने 22 गज के एक आयताकार पिच के इर्द- गिर्द खेलते है. जिसमे एक टीम के 2 खिलाड़ी बल्ले से गेंद पर बारी – बारी से प्रहार करते है जबकि दुसरे टीम के 11 खिलाड़ी गेंद को रोकने का प्रयास करते हैं . यह खेल 5 दिन , 50 ओवर या 20 ओवर का होता है जिसमे एक ओवर में 6 बॉल फेकने होते हैं.

ICC ने क्रिकेट मैदान के लिए यूँ तो किसी तरह के दिशा निर्देश जारी नहीं किये हैं कि मैदान कितना बड़ा होना चाहिए परन्तु एक निम्न सीमा जरुर तय की है जिसके अनुसार क्रिकेट मैदान की कम से कम व्यास 137.16 मी. तथा पिच से बाउंड्री की निम्न सीमा 65 गज (59.50 मी.) तथा अधिकतम लम्बाई 90 गज ( 82.29 मी.) तय की है. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की क्रिकेट के पिच से बाउंड्री को देखने पर यह दीर्ध वृत्त सा दिखता है .


(सौजन्य:- http://www.sportsknowhow.com/cricket/dimensions)

क्रिकेट पिच का आकार


एक क्रिकेट पिच की लम्बाई 22 गज (20.12 मी.) तथा चौड़ाई 10 फीट (3.05 मी.) होती है , जिसमे पोप्पिंग क्रीज़ के बीच की दुरी 17.68 मी. होती है.
तभी वहां पड़ोस में रहने वाली सारिका कश्यप का छोटा बेटा स्वरित अपने बल्ले और बॉल के साथ नीलभ को खेलने बुलाने आ गया. जब उसने देखा की नीलभ के पापा बच्चो के साथ क्रिकेट पर चर्चा कर रहे है तो उससे रहा नहीं गया.

स्वरित:- अंकल, क्या बल्ले और बॉल में भी गणित का प्रयोग हो सकता है.

राजेश ठाकुर :- हाँ बेटा, तुम्हारे पास जो ये बल्ला और गेंद है इसमें भी गणित छुपा है. पहले यहाँ बैठो और फिर मैं तुम्हे बिस्तर से इसके बारे में बताता हूँ . यही नहीं क्रिकेट के स्टंप और गिल्ली में भी गणित के नियमों का अनुप्रयोग होता है.

बल्ला और गेंद का आकार:-




क्रिकेट के नियम 6 के अनुसार एक क्रिकेट बल्ले की लम्बाई 38 इंच तथा इसकी चौड़ाई 4.25 इंच से अधिक नहीं हो सकती . बल्ले का वजन 1.2 से 1.4 किग्रा तक हो सकता है .
एक बॉल की परिधि 8 13/16 से 9 इंच ( 22.4 सेमी से 22.9 सेमी) तथा इसका वजन 5.5 से 5.75 औंस ( 155.9 ग्राम से 163 ग्राम) तक होता है.

बेल और स्टंप का आकार


क्रिकेट पिच के दोनों तरफ 3 लकड़ी के डंडे होते हैं जिन्हें विकेट या स्टंप कहते हैं जिसकी लम्बाई 28 इंच (71.1 सेमी) होती है तथा इन्हें इस प्रकार लगाया जाता है की तीनो स्टंप के चौड़ाई 9 इंच से अधिक न हो . इनके ऊपर रखे बेल की ऊंचाई 0.5 इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए.
बच्चों ये तो हुआ क्रिकेट का साधारण ज्ञान जिसमे लम्बाई, चौड़ाई, ऊंचाई ,क्षेत्रफल और वजन पर हमने चर्चा की जिसमे गणित का प्राथमिक ज्ञान शामिल है . आओ हम एक बोलर को बॉल फेंकने में गणित कैसे सहायक होगा इसकी चर्चा करें.

यह एक क्रिकेट पिच की स्तिथी है जिसमे पोप्पिंग क्रीज़ से पोप्पिंग क्रीज़ के बीच की दुरी 17.68 मीटर होती है. मान लीजिये की ग्लेन मैकग्रा 150 किमी / घंटा के हिसाब से बोलिंग कर रहा है तो वह बॉल सामने खड़े बैट्समैन तक पहुँचने के लिए लगभग 0.424 सेकंड का समय लेगा. अब कल्पना करो की मैकग्रा ने पोप्पिंग क्रीज़ से D दुरी पीछे से बॉल फेंकी तो अब उसकी 150 किमी /घंटे की स्पीड बैट्समैन तक पहुँचने में कम हो जाएगी और यह स्पीड (17.68 x 150) / (17.68 + D) किमी / घंटा रहेगी . मान लीजिये की सोहेब अख्तर 150 किमी / घंटा के स्पीड से बोलिंग कर रहा है परन्तु नो- बॉल न हो पाए इस लिए पोप्पिंग क्रीज़ से 20 सेमी पहले ही सामने खड़े बैट्समैन को बॉल कर देता है तो बैट्समैन तक बॉल
(17.68 x 150) / (17.68 +0.20) किमी / घंटा = 148.32 किमी / घंटा के स्पीड से पहुंचेगी . इससे यह पता चलता है की अगर एक क्रिकेट खिलाड़ी गणित में भी अच्छी जानकारी रखता हो तो उसे नो- बॉल कम करने में मदद मिलेगी और साथ ही अपनी स्पीड को नियंत्रित रखने और अपनी बालिंग में सुधार करने में मदद मिलेगी.

डॉ राजेश कुमार ठाकुर
09868060804

Friday, March 11, 2016

गणितीय क्षमता बढ़ाने के लिए अवश्य पढ़े



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Thursday, March 10, 2016

घन करने के आसान तरीके

घन करने के आसान तरीके
घन करने का अर्थ किसी दी हुई संख्या को आपस में तीन बार गुणा करना है. यदि आपसे यह कहा जाये की आप 2 का घन निकाले तो आपको 2 को आपस में तीन बार गुणा करना पड़ेगा; इसी तरह 3 का घन निकालने के लिए आप 3× 3× 3 = 27 करेंगे

यदि आपको 2 या 3 अंक की किसी संख्या का घन निकालने के लिए कहा जाये तो आप जो मौजूदा तरीके अपनाएंगे वह काफी उबाऊ और समय बर्बाद करने वाला होगा परन्तु हम यहाँ जिन विधियों की चर्चा करेंगे वो काफी आसान, कम उबाऊ और आपके समय को बचाने वाला होगा लेकिन इसके लिए आपको पहले 10 संख्याओं का योग करना पड़ेगा. आपकी सुविधा के लिए यहाँ पहले 10 संख्या का घन दिया गया है
संख्या 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10
घन 1 8 27 64 125 216 343 512 729 1000

इस तालिका को याद रखने के बाद आपको तीव्र गणना करने में मदद मिलेगी. चलिए हम सबसे पहले घन करने की सबसे आसान विधि के बारे में जानें. शुरू करने से पहले आपसे अनुरोध करूँगा की आप सबसे पहले गुणा करने की कुछ विधि को जो इस पुस्तक में दी गयी है को दुबारा आत्मसात कर ले और सबसे महत्वपूर्ण बात की आपको दो लगातार संख्या का तीव्र गुणन करना आना चाहिए.
क्या आप नए विधि को जानने के लिए उत्सुक हैं. तो आइये बिना समय गवाएं हम इस नयी विधि को सीखें. आप जानते हैं की -
a^3 = a^3 – a + a
= a (a^2 – 1) + a
= (a – 1) × a × (a+1) + a

उपरोक्त उदाहरणों से यह स्पष्ट हो जाता है की आपको तीन संख्या का गुणा करना आना आवश्यक है तभी आप तीव्रता से घन कर पाएंगे. मैंने इसी पुस्तक में तीन लगातार संख्या को गुणा करने की विधि की बात की है.
उदाहरण:- 11 का घन बताएं
हल:- यहाँ a = 11 है अतः इसके पूर्ववत और अगली संख्या क्रमशः 10 और 12 होंगे. सबसे पहले आप 10 , 11 एवं 12 को गुणा करें और परिणाम में 11 जोड़ दें.

उदाहरण:- 25 का घन बताएं
हल:- यहाँ a = 25 है अतः इसके पूर्ववत और अगली संख्या क्रमशः 24 और 26 होंगे. सबसे पहले आप 24 , 25 एवं 26 को गुणा करें और परिणाम में 25 जोड़ दें.

उदाहरण:- 99 का घन बताएं
हल:- यहाँ a = 99 है अतः इसके पूर्ववत और अगली संख्या क्रमशः 98 और 100 होंगे. अतः सबसे पहले आप 98 , 99 एवं 100 को गुणा करें और परिणाम में 99 जोड़ दें. किसी संख्या को 100 से गुणा करने के लिए आपको परेशानी नहीं होगी.

डॉ राजेश कुमार ठाकुर
rkthakur1974@gmail.com

Tuesday, March 8, 2016

बड़ी -बड़ी संख्याओं का देश भारत

मनुष्य जन्म के साथ ही गणित की छोटी-छोटी बारीकियां समझना और समझाना शुरू कर देता है . जन्म के समय शिशु का वजन, जन्म-समय, दिन, माह साल इत्यादि अंको का ही तो खेल है. अंको का यह सफ़र मृत्युपर्यंत चलता रहता है . प्राचीन समय में लोगों की इच्छाएं सीमित थी और साधन भी अतः उन्हें हाथ और पैर की उंगलीयों पर गिन कर काम चल जाता था परन्तु कालान्तर में जैसे जैसे मनुष्य की जरूरत बढती गयी संख्याओं की जरूरत भी उतनी ही महती होती गयी और अब संख्या को लिखने के लिए शब्द की जरुरत होने लगी. जैसे 1 (एक ),2(दो), 3(तीन), 4(चार) ------10(दश) इत्यादि . प्रस्तुत लेख में हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में संख्याओं के सफ़र पर संक्षिप्त चर्चा करेंगे.
हिन्दू धर्म
हिन्दुओं का सबसे प्राचीनतम और महानतम ग्रन्थ वेद है. वेद का अर्थ होता है – जानना. वैदिक संस्कृति हमारी सांस्कृतिक धाती है और वेद हमारी अतीत गाथा की उद्गाता. वेदों की संख्या चार है – ऋग्वेद, सामवेद , अथर्ववेद और यजुर्वेद. प्रस्तुत लेख में वेदों के अलावा रामायण , महाभारत और गीता पर भी चर्चा करने का भरसक प्रयास रहेगा. वेदों में शून्य के साथ- साथ 10^19 तक की संख्या का उल्लेख मिलता है. ऋग्वेद में 10^12 तक की संख्या के बारे में बर्णन है तो यजुर्वेद में 10^19. रामायण के बाल कांड में 10^60 तक की संख्याओं के बारे में पता चलता है . कृष्ण यजुर्वेद की इस श्लोक को देखिये जिसमे 1, 2, 3, 4, ---10, 100 , 1000 ---- अनंत की बात हुई है.


हे अग्नि देव आपको 1 बार, 2 बार , 3 बार --- 10 बार, 100 बार , 1000 बार --- अपरिमित बार नमस्कार है.
इतना ही नहीं वेदों में विषम संख्याओं पर भी चर्चा हुई है. विषम संख्या 2 से विभाजित नहीं होने वाली संख्या है जैसे – 1, 3, 5, 7, 9----


इस श्लोक में जो संख्या का प्रयोग हुआ है वह निश्चित ही विषम संख्या 1, 3, 5, --- 33 का एक समूह है . यही नहीं वेदों में एक ऐसा श्लोक दीखता है जो आपको सम संख्या के अलावा , समान्तर श्रेणी और 4 के गुनज के रूप में चर्ची की हुई है.


इस श्लोक में 4, 8, 12, 16,... 48 तक की संख्याओं को जो 4 के गुणज है साथ ही एक समांतर श्रेणी का निर्माण करते है जिसका प्रथम पद 4 , सार्व-अंतर और = 4 और अंतिम पद 48 है .
वेदों में दशगुणोत्तर गणना के बारे में भी चर्चा का उल्लेख मिलता है. याजुर्वेद्द के वाजसनेयी संहिता के 17वें अध्याय में गणना के लिए 13 नाम की सूचि दी गयी है.


यहाँ 1 (एक), 10(दश), 100(सौ), 1000(सहस्र), 10000(अयुत), 100000(नियुत),1000000(प्रयुत), 10000000(अर्बुद), 100000000(न्यर्बुद),1000000000(समुद्र), 10000000000(मध्य), 100000000000(अन्त) और 1000000000000(परार्ध) का प्रयोग किया गया है. इसी सूचि को आगे बढ़ाते हुए यजुर्वेद के तैतरीयसंहिता में 10^12 से आगे की संख्या के नाम मिलते है – 10^13 (उसस) , 10^14(वयुष्टि), 10^15(देशयत) , 10^16(उद्धयत), 10^17(उदित), 10^18(सुबर्ग) और 10^19(लोक) का वर्णन मिलता है . यदि मैं वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड की बात करूँ तो हमें वहां 10^60 तक की संख्या का पता चलता है . श्री राम जब अपनी सेना के साथ समुद्र पर 100 योजन लम्बा और 10 योजन चौड़ा पुल निर्माण कर लंका में दाखिल हुए तो रावण इतनी बड़ी सेना को देख डर सा गया और उसने तुरन्त अपने गुप्तचर शुक को सेना की ताकत और संख्या का पता लगाने भेजा और शुक ने वापस आकर जब राम की सेना का बखान किया तो सब अचंभित हो गए .


100 लाख = 1 कोटि = 10^7
1 लाख कोटि = 1 शंकु = 10^12
1 लाख शंकु = 1 महाशंकू = 10^17
1 लाख महाशंकु = 1 वृन्द = 10^22
1 लाख वृन्द = 1 महा वृन्द = 10^27
1 लाख महा वृन्द = 1 पद्म = 10^32
1 लाख पद्म = 1महापद्म = 10^37
1 लाख महापद्म = 1 खर्व = 10^42
1 लाख खर्व = 1 महाखर्व = 10^47
1000 महाखर्व = 1 समुद = 10^50
1 लाख समुद्र = 1 ओघ = 10^55
1 लाख ओघ = 1 महा औघ = 10^60

इस लक्षगणनोत्तर प्रणाली द्वारा राम की सेना में सैनिको की कल्पना आप बखूबी कर सकते हैं. महाभारत में भी बड़ी संख्या का प्रयोग तो दीखता है पर वह इतनी बड़ी नहीं है. परार्ध संख्या से आगे महाभारत में मुझे कुछ नहीं मिला पर एक मजेदार घटना का उल्लेख मैं अवश्य करूँगा . युद्ध समाप्ति के बाद जब युधिष्ठिर हस्तिनापुर लौटे और घृतराष्ट्र से मिलने गए तो उन्होंने युद्ध में मरे सैनिकों और बचे सैनिकों के बारे में जानकारी मांगी जिसका जवाब युधिष्ठिर ने कुछ यूँ दिया –


अर्थात मरने वाले सैनिकों की संख्या = 1000,000,000 + 660,000,000 + 20000 = 1660020000 तथा जीवित सैनिकों की संख्या = 240165 थी .आपने महात्मा बुद्ध का नाम तो अवश्य सुना होगा. महाराज दण्डपाणी की पुत्री गोपा से जब उनका विवाह ठीक हुआ तो उन्हें उस समय के रीति के अनुसार परीक्षा देना पड़ा और जब बारी गणित के आई तो गुरु अर्जुन ने उनसे पूछा – राजकुमार गौतम क्या तुम कोटि से आगे की शतोत्तर गणना जानते हो ? राजकुमार का जबाब हाँ में था और उन्होंने 10^53 = तल्लक्ष्ण तक की संख्या बता दी इसके आगे भी उनहोंने अग्रसारा एक संख्या का उल्लेख किया जिसका मान आजके सबसे बड़े सख्या गुगोल (10^100) से अधिक है .
1अग्रासारा = 10^421.
महात्मा बुद्ध द्वारा बताई गयी संख्या इतनी ही नहीं है , अगर आप ललितविस्तर पुस्तक पढ़े तो सबसे बड़ी संख्या ज्योतिबा दिखती है जिसका मान 10^ 80000 अनंत के बराबर है. अगर हम वेदों की बात करें तो हम पाते हैं की ऋग्वेद में 10 के गुणज यथा 20, 30 ---- के बारे में भी समान रूप से उल्लेख मिलता है.


इस श्लोक में 10, 20, 30, 40, 50, 60, 70, 80, 90, 100 तक की चर्चा की गयी है. संख्याओं को नाम देने में जोड़, घटा व् गुणन के सिद्धांत का भी बखूबी पालन किया गया है. पंचदश(15 = 5 + 10), सप्त-विंशति (27 = 7+ 20) , एकन्न चात्वरिशत (39 = 40 – 1), इसी क्रम को आगे बढ़ाएं


यहाँ संख्या को 3339 = 33 + 303 + 3003 के रूप में विस्तारित कर लिखा गया है .


में 60099 = 60 × 1000 + 90 + 9 के रूप में लिखने का अर्थ संख्या के विस्तारण का अर्थ प्राचीन वैदिक काल के ऋषियों को था यह हम स्पष्ट रूप से कह सकते हैं . इतना ही नहीं अर्द्ध (1/2) , त्रिपाद(3/4), पंचमश्य चतुर्विंश ( 1/5 का 1/24) इत्यादि का उल्लेख उनके भिन्न के जानकारी का ध्योतक है. अब सवाल उठता है की क्या वेदों में शून्य के सम्बन्ध में कुछ कहा गया है की नहीं . कई विद्वान इसे न में उत्तर देंगे तो कई इसे हाँ कहेंगे और इसमें मैं भी शामिल हूँ. मैंने धर्म और गणित नाम से जव अंग्रेजी में एक पुस्तक लिखी जिसमे कई धार्मिक ग्रंथो को वर्षों पढने के बाद पाया की अथर्ववेद में अनुपलब्धता को दिखने के लिए शुन्येषी शब्द का प्रयोग हुआ है.

शून्य की खोज जीवन में एक क्रांति की तरह है और आपको महेंद्र कपूर का यह गाना तो याद होगा –
जब जीरो दिया मेरे भारत ने , दुनिया को तब गिनती आई
इसी बात को प्रो. हालस्टीड ने अपने शब्दों में यूँ व्यक्त किया है –
शुन्य के अविष्कार तथा इसके महत्व की जितनी भी प्रशंसा की जाये कम है . कुछ नहीं वाले इस शून्य को न केवल एक स्थान , नाम , चिन्ह या संकेत प्रदान करना, वल्कि इसमें उपयोगी शक्ति भरना, उस भारतीय मस्तिष्क की एक विशेषता है जिसने इसे जन्म दिया . यह निर्वाण को विद्युत शक्ति में बदलने जैसा है. गणित के किसी अन्य अविष्कार ने मानव की बुद्धि और शक्ति को इतना अधिक बलशाली नहीं बनाया है .
आचार्य पिंगल ने अपनी पुस्तक छंदशास्त्र में इसा पूर्व 200 सदी में शून्य को गायत्री मन्त्र से जोड़ दिया. गायत्री मन्त्र में 4 पद हैं और इसमें प्रत्येक पद में 6 अक्षर है . यदि इसे आधा कर इसमें 1 घटा दिया जाये और फिर इसे आधा कर पुनः इसमें 1 घटा दिया जाये तो हमें शून्य प्राप्त होता हैं .


0 = ½ {1/2 of 6 – 1} - 1
आधुनिक समय में शून्य के लिए जो हम संकेत की बात करते है वह संकेत ग्वालियर के विष्णु मंदिर में स्थित राम शिला पर उधृत है . जहाँ 270 में 0 का वही संकेत मौजूद है जो हम उपयोग करते हैं.


हमारे धर्मशास्त्रो में अनंत की असीम कल्पना की गयी है – हरि अनंत हरी कथा अनंता द्वारा ईश्वर की अनन्त होने की कल्पना दिखती है. ईशोपनिषद् में एक श्लोक आता है -


जिसका अर्थ है – यदि हम पूर्ण में पूर्ण को घटाए तो शेष भी पूर्ण ही रहता है. इसी बात की पुष्टि हमारे ग्रन्थ श्रीमद भगवद्गीता में भी मिलता है.


आपने यहाँ देखा की धर्मग्रन्थ में संख्या के बारे में इतनी जानकारी दी गयी है की आप इसे सुनना ही चाह रहे होंगे परन्तु मैं अपने सुधि पाठकों को पहले इसे आत्मसात करने को कहूँगा और फिर किसी अन्य विषय जैसे ज्यामिति , अंकगणित , वेदांग गणित , ज्योतिष , त्रिकोणमिति पर चर्चा करूँगा .

डॉ. राजेश कुमार ठाकुर
235 , पॉकेट- जी एच -4, सेक्टर -28 , रोहिणी
दिल्ली -110042
फ़ोन- 9868060804
email :- rkthakur1974@gmail.com

गणित और रामायण

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