Sunday, August 20, 2017

ऊंचाई और दुरी - 2



नियम : यदि एक खम्बे या पोल को दो बिंदु जो आधार से क्रमशः a और b दुरी पर स्थित है से देखा जाए और इन दोनों बिन्दुओं पर बनने वाला कोण एक दुसरे के पूरक हों तो पोल की लम्बाई = √ab होगी .

उदाहरण :- एक स्तम्भ को दो बिंदु जो स्तम्भ से क्रमशः 4मी और 9 मी की दुरी पर स्थित है से देखा जाता है , इन दोनों बिन्दुओं पर बनने वाले कोण एक दुसरे के पूरक है तो स्तम्भ की ऊंचाई निकालें?
हल :- उपरोक्त विधि से स्तम्भ की ऊंचाई = = 6 मी. होगा

उदाहरण:- किसी टावर को जमीन पर स्थित एक बिंदु से देखने पर उसका उन्नयन कोण 30 डिग्री होता है , टावर की ओर 100 मी. चलने पर उन्नयन कोण बदल कर 60 डिग्री हो जाता है तो टावर की ऊंचाई निकालें

नियम :- यदि h मी. ऊँची एक टावर को जमीन पर स्थित किसी बिंदु से θ उन्नयन कोण से देखा जाता है और टावर की ओर d मी. जाने पर उन्नयन कोण बदल कर Φ हो जाता है तो टावर की ऊंचाई
h = d / (cotθ – cotΦ) होगा

हल :- यहाँ d = 100मी. , θ = 30 तथा Φ = 60 है
h = 100 / (cot 30 – cot 60)
= 100/ (√3 – 1/√3) = 50√3 मी. होगा


डॉ राजेश कुमार ठाकुर

Tuesday, June 13, 2017

अंको की दुनिया



आओ आओ खेलें खेल
चल पड़ी अंको की रेल
आकर बैठो डब्बों में
चलो करे दुनिया की सैर।

एक , दो, तीन , चार
डिब्बे इसमें नौ है यार
पांच, छह , सात , आठ
अंको की देखो तुम ठाठ ।

एक अंक की इन संख्या का
बोलो तुम राजा है कौन?
जोर लगाकर मिलकर बोलो
नौ नौ नौ नौ ।

ड्राइवर जीरो बैठा है आगे
संख्या रेल पटरी पर भागे।
पहले अरब की सैर करे हम
अलख जगा दुनिया मे आगे ।

सरपट खटपट दौड़ा रेल
खुशी में खोला मोर ने पंख
इन दस अंको ने मिलकर
बना दिया संख्या असंख्य।

डॉ राजेश कुमार ठाकुर

Sunday, June 4, 2017

संख्याओं के प्रकार - कविता




संख्या

गिनती की संख्या “ प्राकृत “ कहलाती है
शून्य जोड़ते ही “ पूर्ण “ बन जाती है
अगर “ ऋणात्मक ” अंक साथ में जोड़ा जाये
यह संख्या “ पूर्णांक” समूह बतलाती है .

p/q के रूप में संख्या को लिख सको तुम
“ भिन्नात्मक संख्या ” परिमेय बन जायेगा
लेकिन शर्त मानना पड़ेगा यारों फिर
q का मान “शून्य ” न होने पाए

शून्य “अंश” में होते ही फिर होगा अंत
अगर डाल दिया “हर” में तो हो – अनंत

पाइथागोरस ने खोजी थी कुछ ऐसी संख्या
जिसका मान अनंत काल तक चलता जाता
√2 , √3 ... ऐसी ही संख्या है
जिसका समूह फिर “अपरिमेय ” कहलाता

आत्मनिर्भर होती है , कुछ संख्याये भी
जो सिवा स्वयं न आती किसी पहाड़े में
ऐसा संख्या समूह “अभाज्य ” कहलाता है
जो साथ 1 लड़ जाती है अखाड़े में


---- डॉ राजेश कुमार ठाकुर

भारतीयों की गणित गाथा




बड़ी – बड़ी संख्याओं को जब
लिखने में होती थी परेशानी
हल लेकर भारत आया तब
विश्व को हुई आसानी ..

1 से 9 तक के अंको में
0 का जब हुआ प्रवेश
दाशमिक प्रणाली के आगमन से
हर्षित हो गया देश- विदेश .

भास्कराचार्य की लीलावती में
बीजगणित का मान बढाया
पाई, दशमलव, अंकगणित में
भारत ने प्रथम कदम बढाया .

शुल्व सूत्र ने विश्व पटल पर
खोल दिया ज्यामिति का राज
आर्यभट्ट के त्रिकोंणमिति से
विश्व अचंभित है आज

चाहे हो श्रीधर का द्विघात समीकरण
या रामानुजन का संख्या से प्यार
भारत की गणितीय गाथा का
आज ऋणी पूरा संसार


डॉ राजेश कुमार ठाकुर


Sunday, April 9, 2017

माचिस का खेल



डॉ राजेश कुमार ठाकुर

वर्गमूल निकलने के मजेदार और बेहतरीन विधि


वर्गमूल निकलने के मजेदार और बेहतरीन विधि

आइये मैं आपको एक बहुत ही मजेदार विधि सिखाता हूँ जिसके बाद आप अवश्य ही अपनी सीट से उठ खड़े होंगे और कहेंगे – वाह ! वाह
परन्तु यह विधि 3 – 4 अंक के वर्गमूल निकालने के लिए ही प्रयाप्त है.

• जैसा पिछले ब्लॉग में बताया जा चूका है कि आप संख्या को बाएं से दाये ओर बढ़ते हुए 2 – 2 का समूह बनायेंगे और इसी समूह में सबसे पहले युग्म से आप a का मान निकाले
• अब दुसरे युग्म की बात करते हैं. यदि संख्या के अंतिम अंक 1, 4, 6, 9 होंगे तो आपके उत्तर के दो संभावना होंगे.
• a को a + 1 से गुणा करें यदि गुणनफल a × (a + 1) > पहला युग्म तो दोनों संभावनाओं में सबसे छोटा हिस्सा लिया जायेगा , जो b होगा
• यदि गुणनफल a × (a + 1) ≤ पहला युग्म तो दोनों संभावनाओं में सबसे बड़ा हिस्सा लिया जायेगा जो b होगा.

उदाहरण : 2304 का वर्गमूल निकालें
हल :- सबसे पहले युग्म में संख्या को बांटे
23 04
यहाँ पहले युग्म से पता चलता है कि
4^2 < 23 < 5^2 अतः a = 4 अब दुसरे युग्म की बात करते हैं. यदि संख्या के अंतिम अंक 1, 4, 6, 9 होंगे तो आपके उत्तर के दो संभावना होंगे ऐसा ऊपर बताया गया है. यहाँ अंतिम अंक 4 है अतः b के दो मान 2 या 8 होंगे. a को a + 1 से गुणा करें यहाँ a = 4 तथा a + 1 = 5 है 4 × 5 = 20 < 23 अतः b = 8 इसलिए √2304 = 48 उदाहरण : 676 का वर्गमूल निकालें हल :- सबसे पहले युग्म में संख्या को बांटे 6 76 यहाँ पहले युग्म से पता चलता है कि 2^2 < 6 < 3^2 अतः a = 2 अब दुसरे युग्म की बात करते हैं. यदि संख्या के अंतिम अंक 6 हैं अतः तालिका 1 से आपके उत्तर के दो संभावना होंगे. इसलिए b के दो मान 4 या 6 होंगे. a को a + 1 से गुणा करें यहाँ a = 2 तथा a + 1 = 3 है 2 × 3 = 6 = 6 अतः b = 6 इसलिए √676 = 26 उदाहरण : 8836 का वर्गमूल निकालें हल :- सबसे पहले युग्म में संख्या को बांटे 88 36 यहाँ पहले युग्म से पता चलता है कि 9^2 < 88 < 10^2 अतः a = 9 अब दुसरे युग्म की बात करते हैं. यदि संख्या के अंतिम अंक 6 हैं अतः तालिका 1 से आपके उत्तर के दो संभावना होंगे. इसलिए b के दो मान 4 या 6 होंगे. a को a + 1 से गुणा करें यहाँ a = 9 तथा a + 1 = 10 है 9 × 10 = 90 >88
अतः b = 4
इसलिए √8836 = 94

यहाँ तालिका 1 और 2 की बात की गयी है उसे आप पिछले ब्लॉग की मदद से देख सकते हैं

आपका धन्यवाद

अपने मित्रों को भी ब्लॉग के बारे में बताएं

डॉ राजेश कुमार ठाकुर

वर्गमूल निकलने के आसान तरीके



(a + b)^ 2 = a^2 + 2ab + b^2 से वर्गमूल निकालना

आपमें से अधिकांश इस सूत्र का प्रयोग वर्ग निकलने में करते होंगे. जैसे –
(15)^2 = (10 + 5)^2 = 10^2 + 2 x 10 x 5 + 5^2
= 100 + 100 + 25
= 225
परन्तु आपको यह जानकार काफी खुशी होगी की इसका प्रयोग आप वर्गमूल निकालने में भी कर सकते हैं .3 से 4 अंक की संख्या का वर्गमूल आप आसानी से इस सूत्र से निकाल सकते हैं शर्त यह है की संख्या एक पूर्ण वर्ग है.
आगे बढ़ने से पहले कुछ बातों को जान लेना बहुत आवश्यक है –
• एक पूर्ण वर्ग के अंत में 0, 1, 4, 5 , 6 और 9 होता है
• यदि किसी संख्या के अंत में 2, 3 , 7 और 8 हो तो वह पूर्ण वर्ग नहीं होगा
• यदि किसी संख्या के n अंक है तो उसके वर्गमूल में n/2 अंक होगा यदि n सम है अन्यथा (n + 1)/2 यदि n विषम है



उपरोक्त तालिका से यह पता चलता है की –
• किसी संख्या जिसके अंत में 1 हो उसके वर्गमूल का अंतिम अंक 1 या 9 होगा
• किसी संख्या जिसके अंत में 4 हो उसके वर्गमूल का अंतिम अंक 2 या 8 होगा
• किसी संख्या जिसके अंत में 9 हो उसके वर्गमूल का अंतिम अंक 3 या 7 होगा
• किसी संख्या जिसके अंत में 6 हो उसके वर्गमूल का अंतिम अंक 4 या 6 होगा
• किसी संख्या जिसके अंत में 5 हो उसके वर्गमूल का अंतिम अंक 5 होगा
• किसी संख्या जिसके अंत में 00 हो उसके वर्गमूल का अंतिम अंक 0 होगा




चलिए इसके कार्य विधि के बाए में जाने -
नियम : -
1. सबसे पहले दायें से बायीं ओर दो दो के युग्म पर निशान बनाना शुरू करें
2. तालिका 2 से सबसे बायीं ओर के युग्म का मिलान कर निकटतम वर्गमूल निकालें और इसे a कहें
3. सबसे बायीं ओर के युग्म से a^2 घटायें और साधारण भाग की तरह भाज्य से एक अंक नीचे उतारें
4. अब आपका अगला लक्ष्य है b की तलाश करना. चरण 3 में प्राप्त संख्या को 2ab के बराबर करें और इसमें a का प्राप्त मान डालें और b निकालने का प्रयास करें
5. चरण 4 में प्राप्त मान में से 2ab घटायें और भाज्य में से अगला अंक नीचे लायें . अब b^2 का मान भी इसी चरण में जांच सकते हैं. अंतिम शेष ही b^2 है.

आइये कुछ उदाहरण द्वारा इसे समझने का प्रयास करें
उदाहरण : - 225 का वर्गमूल निकालें
हल :- पहले दायें से बायीं ओर दो दो के युग्म पर निशान बनाना शुरू करें. यहाँ दो युग्म बनेंगे अतः पूर्ण वर्गमूल में 2 अंक होंगे.


यहाँ पहले युग्म 2 की तुलना तालिका 2 से करने पर a = 1 प्राप्त होगा क्योंकि 1^2 ≤ 2 ≤ 2^2
युग्म से a^2 घटायें और साधारण भाग की तरह भाज्य से एक अंक नीचे उतारें
2 – 1 = 1
अगला अंक 2 नीचे लिखें अब 2ab ≤ 12
अतः b ≤ 6
यदि आप b = 6 लेते हैं तो 12 – 2 ab = 0 होगा जिससे b^2 = 36 होगा परन्तु आपके पास तो अब एक ही अंक नीचे 5 दिखेगा जिसे आपने भाज्य से अगले चरण के लिए नीचे लिखा होगा.
अतः b = 5 लेते हैं जिससे 12 – 2 ab = 2
अगला अंक 5 को भाज्य से नीचे लिखने पर 25 बनता है जो b^2 = 5^2 = 25 होता है
इसलिए 225 का वर्गमूल = 15

उदाहरण : 8836 का वर्गमूल निकालें
हल :

यहाँ पहले युग्म 88 की तुलना तालिका 2 से करने पर a = 9 प्राप्त होगा क्योंकि 9^2 ≤ 88 ≤ 10^2
युग्म से a^ 2 घटायें और साधारण भाग की तरह भाज्य से एक अंक नीचे उतारें
88 – 81 = 7
अगला अंक 3 नीचे लिखें अब 2ab ≤ 73
अतः b ≤ 5
यदि आप b = 5 लेते हैं तो 2 ab = 2 x 9 x 5 = 90 > 73 होगा
अतः b = 4 होगा
b = 4 लेते हैं जिससे 73 – 2 ab = 1
अगला अंक 6 को भाज्य से नीचे लिखने पर 16 बनता है जो b^2 = 4^2 = 16 होता है
इसलिए 8836 का वर्गमूल = 94

पढ़ते रहिये और अपनी प्रतिक्रिया अवश्य भेजिए

डॉ राजेश कुमार ठाकुर




Thursday, April 6, 2017

समय और दुरी - 2



उदाहरण:- अपने वास्तविक चाल के 4/5 चाल से चलकर सुनिधि अपने स्कुल 10 मिनट देर से पहुँचती है. स्कुल तक पहुँचने का वास्तविक समय, नए चाल से पहुँचने में लगा समय ज्ञात कीजिये?
हल :- अपने वास्तविक चाल के a/b चाल से चलकर कोई व्यक्ति अपने गंतव्य स्थान पर c मिनट देर से पहुँचता है तो गन्तव्य स्थान पहुँचने का वास्तविक समय = ac/ b – a तथा नए चाल से पहुँचने में लगा समय = bc / b – a होगा
वास्तविक समय = ac/ b – a = (10 x 4)/ 5 - 4 = 40 मिनट
नए चाल से पहुँचने में लगा समय = bc / b – a = 5 x 10 5 - 4 = 50मिनट

उदाहरण :- एक कछुआ ,एक खरगोश का पीछा करते हुए 16 किमी की दुरी 4 घंटे में तय करनी है, यदि वह अपनी यात्रा का ¼ भाग कुल समय के ¾ भाग में तय करती है तो शेष समय में शेष दुरी तय करने के लिए कछुए की चाल क्या होगी ?
हल :- कुल दुरी = 16 किमी, कुल समय = 4 घंटे
शेष दुरी = 16 - 16 x ¼ = 12 किमी
शेष समय = 4 – 4 x ¾ = 1 घंटा
चाल = दुरी /समय = 12/1 = 12 किमी/घंटा

प्रश्न :- एक चोर एक कार चोरी करके 2 बजे दोपहर भागता है और चोरी की घटना का पता 2.30 मिनट को पुलिस को चला , यदि चोर कार को 80 किमी/घ की रफ़्तार से ले गया और पुलिस उस कार का पीछा 100 किमी/घ से करे तो कितनी देर में चोर पकड़ा जा सकेगा?
हल :- यदि कोई व्यक्ति x किमी/घ से भागे और t समय के बाद उसे पकड़ने के लिए y किमी/घ की दर से पीछा करे तो उसे पकड़ने में लगा समय xt /y - x होगा
प्रश्न से , चोर को पकड़ने में लगा समय = 80 x ½ / 100 – 80
= 2 घंटा
अतः पुलिस , चोर को 2 + 2 = 4 बजे पकड़ लेगा

प्रश्न :- एक पुलिसवाला 200 मी, की दुरी पर खड़े एक पॉकेटमार को पकड़ने के लिए दौड़ता है और इसे देखकर पॉकेटमार भी दौड़ना शुरू कर देता है, यदि पुलिस 6 मिनट में 1 किमी दौड़ता है तथा चोर 8 मिनट में 1 किमी दौड़ता है तो पकडे जाने के पहले पॉकेटमार कितनी दुरी तय कर चूका होगा.
हल :- एक पुलिसवाला d मी, की दुरी पर खड़े एक चोर को पकड़ने के लिए दौड़ता है और इसे देखकर चोर भी दौड़ना शुरू कर देता है, यदि पुलिस b किमी/घंटा तथा चोर a किमी/घंटा के रफ़्तार से दौड़ता है तो पकडे जाने के पहले पॉकेटमार द्वारा तय दुरी = d x a / b - a
होगी जहाँ b > a
b = 1 किमी / 6 मिनट = 1000/ 6 x 60 = 2,77 मी/से.
a = 1 किमी / 8 मिनट = 1000/ 8 x 60 = 2.08 मी./से
d = 200मी.
पकडे जाने के पहले पॉकेटमार द्वारा तय दुरी= 200 / 2.77 - 2.08 = 290 मी (लगभग )

उदाहरण:- नीलभ और निष्ठा एक वृतीय पथ पर चलते है जिसका परिधि 1000 मी. है. नीलभ 50 मी/मिनट तथा निष्ठा 40 मी./मिनट की चाल से चलती है तो दोनों एक ही स्थान पर कब मिलेंगे यदि दोनों एक ही समय से और एक ही दिशा में चलना आरम्भ करते हैं?
हल :- नीलभ को 1 चक्कर लगाने में लगा समय = 1000/50 = 20 मिनट
निष्ठा को 1 चक्कर लगाने में लगा समय = 1000/40 = 25 मिनट
ल.स. (20, 25) = 100 मिनट
अर्थात वे दोनों 100 मिनट बाद मिलेंगे
उम्मीद है प्रश्नों का चयन आपको अच्छा लगा होगा और आप इसका अभ्यास करते रहेंगे
राजेश कुमार ठाकुर











समय और दुरी -1



समय और दुरी
समय और दुरी एक ऐसा अध्याय है जिससे प्रश्न परीक्षा में न आये ऐसा संभव नहीं है अतः आप लघु विधि पर अपनी पकड़ बनाने से पहले प्रत्येक सवाल को विस्तृत रूप से हल करने का अभ्यास करते रहे और फिर आप पाएंगे की लघु विधि के सूत्र हल करना कितना आसान है. यदि किसी वस्तु द्वारा इकाई समय में तय की गयी दुरी को चाल कहते हैं और दिशायुक्त चाल को वेग कहते है. चाल और दुरी में अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है.
चाल = दुरी / समय समय = दुरी / चाल दुरी = चाल x समय

यदि दो ट्रेन क्रमशः x किमी/घ. तथा y किमी/घ. के चाल से एक ही दिशा में चल रही है तो उनकी सापेक्षिक चाल x – y किमी/घ. होगा परन्तु यदि दोनों ट्रेन विपरीत दिशा में चल रही हो तो सापेक्षिक चाल = x + y किमी/घ. होगा

आइये इस अध्याय पर परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों पर एक नजर देखें.

किलोमीटर/घंटा से मीटर/सेकंड और मीटर/सेकंड से किलोमीटर/घंटा

किमी /घ से मी/से में बदलने के लिए 5 /18 से गुना करें तथा मी/से से किमी/घ में बदलने के लिए 18 / 5 से गुना करें
उदाहरण :- 72 किमी / घ को मी./ से में बदलें
हल :- 5/18 से गुना करें = 72 × 5/18 = 20 मी / से

उदाहरण :- 20 मी / से को किमी./ घ में बदलें
हल :- 18 / 5 से गुना करें = 20 × 18/5 = 72 किमी / से

उदाहरण :- यदि नीलभ अपने स्कुल जाने के लिए अपने घर से कुछ दुरी 6 किमी/घ. की चाल से तय करता है और शेष दुरी 4 किमी/घ. की चाल से तय करता है तो पूरी यात्रा में उसका औसत चाल क्या है ?
हल :- यदि कोई वाहन/ व्यक्ति x किमी/घ की चाल से कही जा रहा है और y किमी/घ की चाल से वापस आती है तो कुल दुरी के लिए उसकी औसत चाल = 2xy/ (x + y) किमी/घ होगा
औसत चाल = 2 × 6 × 4/ 6 + 4 = 4.8 किमी/घ

उदाहरण:- एक व्यक्ति 5 किमी/घ. की चाल से चलता है. प्रत्येक 1 किमी चलने के बाद वह व्यक्ति 6 मिनट आराम करता है तो वह 25 किमी की दुरी तय करने में कितना समय लगेगा?
हल :- 25 किमी की दुरी तय करने में वह व्यक्ति 24 बार रुकेगा.
रुकने में लगा समय = 24 x 6 = 144 मिनट = 2 घंटा 24 मिनट
25 किमी की दुरी तय करने में लगा समय = 25/5 = 5 घंटा
कुल समय = 5 घंटा + 2 घंटा 24 मिनट = 7 घंटा 24 मिनट

उदाहरण :- दिव्यांजलि गुप्ता अपने घर से अपने स्कुल के लिए 12 किमी/घंटा की चाल से चलने पर 5 मिनट लेट पहुँचती है. यदि वह 15 किमी/घंटा की चाल से चले तो 4 मिनट पहले स्कुल पहुँचती है तो घर से स्कुल की दुरी कितनी है ?
हल :- यदि कोई व्यक्ति x किमी/घ से जाने पर a घंटा देर पहुँचता है और y किमी/घ की चाल से चलने पर b घंटा पहले पहुँच जाता है तो दुरी = xy ( a + b ) किमी
(y – x) × 60
दुरी = 12 x 15 x (5 + 5)
(15 – 12 ) x 60
= 10 किमी/घ

प्रश्न :- एक बन्दर किसी चिकने खम्भे पर 1 मिनट में 9 मीटर ऊपर चढ़ता है तथा दुसरे मिनट में 2 मीटर नीचे फिसल जाता है , यदि खम्भे की ऊंचाई 60 मीटर है तो बन्दर कितने समय में खम्भे के ऊपर चढ़ जायेगा ?
हल :- बन्दर खम्भे पर 1 मिनट में 9 मीटर ऊपर चढ़ता है तथा दुसरे मिनट में 2 मीटर नीचे फिसल जाता है, अतः 2 मिनट में 9 – 2 = 7 मीटर ऊपर चढ़ेगा. 7 के ऐसे गुणज जो 60 के पास हो 7 × 8 = 56 < 60
अर्थात 2 × 8 = 16 मिनट लगेगा अब शेष दुरी 60 – 56 = 4 मीटर चढ़ने में लगा समय = 4/9 मिनट
कुल समय = 16 मिनट + 4/9 मिनट = 16 4/9 मिनट

डॉ राजेश कुमार ठाकुर





Wednesday, March 1, 2017

उम्र सम्बन्धी प्रश्न



अवश्य पढ़े

http://epaper.amarujala.com/dl/ud/20170301/09.html?format=img

राजेश ठाकुर

विश्व गणित दिवस



विश्व गणित दिवस

यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।
तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥

अर्थात जिस प्रकार मोरों में शिखा और नागों में मणि का स्थान सबसे उपर है, वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है ।
गणित की इसी विशालता को और इसे और मनोरंजन बनाने हेतु राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और ऐसे ही एक कार्यक्रम की शुरआत 2007 में 14 मार्च को हुई और पूरा विश्व ऑनलाइन होने वाली इस गणित प्रतियोगिता का दीवाना बन गया. गणित के इस कार्यक्रम को विश्व गणित दिवस के रूप में मनाया गया. 14 मार्च को गणित दिवस मनाने के पीछे शायद इसे लिखने के अमेरिकी ढंग 3/14 छिपा है जो पाई का एक मान है जिससे सभी परिचित हैं –पाई



पाई का नाम सुनते ही दिलोदिमाग में अपने भारतीय होने का एहसास चरम पर पहुँच जाता है क्योंकि भारतीय गणित के पुरोधा आर्यभट ने ही पहली बार पाई का दशमलव के चार अंक तक सही मान पुरे विश्व को बताया था.

चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्त्राणाम्।
अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्य आसन्नौ वृत्तपरिणाहः॥

अर्थात 62832 परिधि वाले वृत्त का व्यास 20000 होगा.
π = परिधि / व्यास = 62832/ 20000 = 3.1416


यही नहीं कृष्ण की इस भक्ति पूर्ण स्तुति का कत्यापादी विधि से अनुवाद करने पर पाई का मान दशमलव के पश्चात् 31 अंको तक निकाला जा सकता है.

π =3.1415926535897932384626433832792
यह हमारे लिए गर्व की बात है कि भारत के ही महान गणितीय प्रतिभाशाली श्रीनिवास रामानुजन ने पाई के मान निकालने के लिए जिस श्रृंखला का प्रयोग किया आज वही श्रेणी सुपर कंप्यूटर का पाई के मान निकालने
में सहायता मिली



जिस तरह पाई अनंत अंक तक चलने वाली संख्या है उसी तरह गणित के क्षेत्र में भारतीयों का योगदान भी अनंत है. आर्यभट ने पूरी धरती की परिधि , गोले का आयतन , क्षेत्रफल निकालने की विधि का प्रतिपादन किया तथा संख्या को अक्षरों – स्वर और व्यंजनों की सहायता से लिखने की विधि की भी खोज की. ब्रह्मगुप्त ने शून्य के सभी संक्रियाओं पर विवेचना की और साथ ही भास्कराचार्य ने अपनी पुस्तक लीलावती के जरिये गणित के क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दिया.

वैदिक काल में ऋषियों ने हवन कुंड को अलग- अलग ज्यामिति आकृति देकर तथाकथित पाइथागोरस प्रमेय को बहुत पहले ही खोजने में सफलता पा ली थी. वेदों में भी दाशमिक पद्धति, संख्या के बढ़ते क्रम, बड़ी- बड़ी संख्या को लिखने के तरीके के बारे में व्यापक चर्चा की गयी है, शुल्व सूत्र नामक प्राचीन ग्रन्थ में अपरिमेय संख्या और संख्या के अनंत की व्यापकता पर विवेचना देखने को मिलती है.

महान व्याकरणविद आचार्य पिंगल ने तो ईशा पूर्व 200 में अपनी पुस्तक छंदशास्त्र में शून्य का उल्लेख किया है और आज पुरे विश्व में जो संख्या लिखने की परिपाटी है वह सब पूर्ण रूपेण भारतीय है. शून्य, दशमलव, की खोज ही नही बरन इसके संकेत का उल्लेख भी महाराजा जयवर्धन द्वितीय के शासन में मिली 876 में मिली शिलालेख में मिलता है जहाँ से शून्य की वर्तमान संकेत लिया गया है. अंकगणित के उपर श्रीधर आचार्य, महावीर, ब्रह्मगुप्त, भास्कर , आचार्य हेमचन्द्र ने अपार काम किया जिसे रामानुजन ने भी आगे बढाया और पार्टीशन नंबर, मोक थीटा फंक्शन जैसे कई शोध द्वारा भारत का नाम रौशन किया. इसी कड़ी में अभी 2014 में मंजुल भार्गव जो भारतीय मूल के अमेरिकी गणितविद है को गणित का नोबल पुरस्कार कहे जाने वाले फील्ड मेडल से सम्मानित किया गया जो भारत की गणितीय परंपरा की गहराई को बताता है. विश्व को गणित की प्रत्येक विधा में योगदान देने के लिए आज भी विश्व भारत का ऋणी है और विश्व गणित दिवस के दिन हम विश्व को यही सन्देश दे और अपनी गणित की प्रतिभा से पुरे विश्व को अपना लोहा मनवायें यही संकल्प लें


Dr Rajesh Kumar Thakur



Sunday, February 5, 2017

परीक्षा हेतु गणित कैसे पढ़े

मित्रों , गणित को हमेशा से एक डरावना विषय मानने की भूल लोग करते है और इसी पूर्वाग्रह के चलते लोग यह मानकर चलते है की किसी प्रतियोगी परीक्षा में गणित के २० पूछे गए प्रश्नों में १०% से अधिक ठीक होने की संभावना नहीं है और यह डर अक्सर छात्रों को ले डूबता है. संस्कृत में एक कहावत है

तावद् भयस्य भेतव्यम यावद् भयमनागतम
आगतं तू भयं वीक्ष्यं प्रतिकुर्याद यथोचितं

इसका अर्थ है की भय से तबतक डरना चाहिए जबतक वो सामने न आ जाये और यदि वो सामने आ जाये तो उसका बढ़कर स्वागत करना चाहिए. आज के बर्तमान युग में गणित एक ऐसी हकीकत है जिससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है और आप ऐसे किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के बारे में सोचिये जिसमे गणित पर सवाल न आते हों तो शायद ही आपके जहन में कोई नाम आये.

गणित की इसी सार्वभौमिकता की वजह से गौस ने इसे सभी विषयों की रानी कहा है. और यह बात कुछ हद तक उचित भी है क्योंकि यदि आपने सचमुच ही गणित से प्यार कर लिया तो यह आपका साथ हर बुरे वक्त में देती है और इसके इसी गुण के कारन वेदों में भी गणित को सर्वोच्च स्थान दिया गया है,

यथा शिखा मयूराणां , नागानां मणयो यथा ।
तद् वेदांगशास्त्राणां , गणितं मूर्ध्नि वर्तते ॥

जैसे मोरों के सिर पर शिखा और नागों के सर पर मणि शोभा पाती है , वैसे ही सभी वेदांग और शास्त्रों मे गणित का स्थान सबसे उपर है । आइये गणित की इसी यात्रा को हम साथ- साथ निकले और उन सारे कंटीले रास्तों, पेड़, पर्वत को पार करने की कोशिश करे जिससे गणित का राह सुगम बने.

प्रतियोगिता परीक्षा और गणित

प्रतियोगी परीक्षा में गणित का सिलेबस विशेषकर – अंकगणित, बीजगणित, त्रिकोंमिति, सांख्यकी से आते है और अधिकांश परीक्षा चाहे वो किसी अफसर का हो या किसी साधारण सी नौकरी का गणित के प्रश्न अवश्य आते हैं. परीक्षा की तैयारी के लिए यह आवश्यक है की आपको पूर्ववर्ती कक्षा की भरपूर जानकारी हो अन्यथा जैसे बिना मजबूत नीव के मकान कमजोर रहता है वैसे ही बिना गणित के अच्छे नीव के आपके गणित का ज्ञान कमजोर रहेगा. अतः आवश्यक है की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी से पूर्व सभी अध्याय की महत्वपूर्ण बातें , सूत्र , प्रमेय इत्यादि को आप याद रख्रें .

क्या करें :- परीक्षा की तैयारी से पूर्व

1. प्रत्येक परीक्षा के गणित सेक्शन का सिलेबस आपको पता होना चाहिए। सिलेबस से अवगत रहने से आपको अपने मजबूत और कमज़ोर पक्षों की जानकारी होती है।
2. गणित पेपर को हल करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण टिप है कि आप अपनी गति को सुधारें। गणित में आपकी गति तभी ठीक होगी जब आप नियमित अभ्यास की आदत बनायेंगे और साथ ही अभ्यास प्रश्नों को समय प्रबंधन करना सुनिश्चित करने में आप कामयाब हों.
3. पिछले वर्षों के पेपर हल करें। इससे प्रश्नों के पैटर्न को समझने में और उन्हें हल करने में काफ़ी मदद मिलती है। इससे आप प्रत्येक विषय की कठिनाई का स्तर भी जान पाएंगे।
4. 25 तक पहाड़े, 50 तक के वर्गमूल, 15 तक के घन, 15 तक के घन मूल और बुनियादी एल्जेब्रा के फॉर्मूले याद कर लें। साथ ही जरुरत है की आपको दो संख्या के बीच की अभाज्य संख्या निकालना, भाज्यता की जांच, भिन्न शांत है या अशांत, लघुत्तम, महत्तम जैसे बुनियादी बातें आना आवश्यक है.
5. उन विषयों के बुनियादी कॉनसेप्ट को समझें जिनका उल्लेख सिलेबस में किया गया है। यदि आप कहीं किसी विषय पर अटक जाते हैं तो संदर्भ पुस्तकों का सहारा लें और इसके लिए आप किसी शिक्षक की मदद ले सकते हैं या कोई अच्छे प्रकाशक की पुस्तक अवश्य पढ़ें । कोई भी विषय ना छोड़ें तब भी जब आपको लगे कि अपेक्षाकृत अधिक महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि प्रश्न कहीं से भी पूछे जा सकते हैं।
6. कोशिश करें कि अपने ही शॉर्टकट तरीके अपनाएं. अंकगणित के लिए आप वैदिक गणित , मैथ्स मेड इजी जैसी पुस्तकों से सैकड़ों नियम सीख सकते है जो आके अंकगणित में गणना करना आसान हो जाये.
7. जहाँ तक सम्भब हो बाजार या ऑनलाइन उपलब्ध मॉक टेस्ट और प्रश्न बैंक को हल करें। इससे आपको पता चलता है कि किस प्रकार प्रश्नों को सेट किया जाता है। नए ट्रिक्स और याद करने के स्मार्ट तरीके अपनाएं ताकि आप समय और परिश्रम का कुशल प्रयोग कर सकें।
8. परीक्षा पूर्व आप उन गलतियों को जरुर दूर करने की कोशिश करें जिसमे आप अपने आपको असहज महसूस करते हों और इसके लिए यह आवश्यक है कि अपनी सभी गलतियों की एक लिस्ट बनायें. करणी पर आधारित सवालों में अक्सर छात्र गलती करते हैं, साथ ही बीजगणित में अचर और चर को लोग जोड़ने की गलती भी करते दिखते हैं. द्विघात समीकरण के सवाल में भी दो मूल लेने के बजाय कई बार एक धनात्मक मूल लेने की भूल कर अपने अंक गँवा लेते है ऐसी अनेकों गलतियों से आप सावधानीपूर्वक बच सकते हैं.
9. त्रिकोंमिति के सभी सूत्र और कोणों के मान – 30, 45, 60, 90 का मान सभी निष्पति – sin, cos, tan, cot,sec, cosec के लिए याद कर लें. साथ ही पाइथागोरस त्रिक (3,4,5), (6,8,10), (7, 24, 25), (8, 15,17), (9, 40, 41)... याद करें जिससे त्रिकोंमिति के सूत्र निकालने में आपको आसानी होगी.
10. अंकगणित में आप – लाभ और हानि ,साधारण और चक्रवृद्धि व्याज , समय, दूरी और काम, लघुत्तम , सांख्यिकी , प्रायिकता जैसे ऐसे सवाल हैं जो परीक्षा में अवश्य आते है और इन्हें थोड़ा सा ध्यान देकर सीखा जा सकता है.
11. क्षेत्रमिति के सवाल अधिकांशतः सूत्र पर आधारित होते है जिसके लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं है, अगर आपको सूत्र में पकड़ है और आप थोड़ी सी सावधानी बरतें तो अवश्य ही इस प्रकार के प्रश्नों को हल कर पाएंगे.

टाइम मेनेजमेट कैसे करें :-

परीक्षा में समय प्रवंधन ही सबसे महत्वपूर्ण विषय है जिसे आप नियंत्रण कर अपनी सफलता का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं पर ऐसा तभी कर पाएंगे जब आपकी तैयारी अच्छी हो और आप परीक्षा पूर्व नियोजित रूप से काम कर चुकें हो. आपको गणना करने की द्रुत विधि जैसे- वैदिक विधि आपको आती हो. अंकगणित और बीजगणित के सभी सूत्र भी आपको आते हो और आपने कई टेस्ट दे रखा हो. परीक्षा में आप शांतचित होकर जाएँ जिससे आपको घबराहट न हो और आप प्रश्नों को हल करने में आनंद का अनुभव करें. कठिन प्रश्नों को बाद में हल करें इसके लिए आप प्रश्न हल करने का तरीका पंक्तिबद्ध न होकर मिश्रित और आसान से कठिन को अपनाएं. यदि 1 घंटे में आपको 60 प्रश्न हल करने है तो इसका अर्थ हुआ की आप 1 मिनट में 1 प्रश्न हल करेंगे यदि 15 -20 प्रश्न हल करने के बाद यह लगता हो की आपकी गति अनुकूल नहीं है तो स्पीड बढ़ाने की आवश्यकता है साथ ही कछुए और खरगोश की कहानी भी आप भूले न. सही समय प्रवंधन से आपको अपने उत्तर को दुबारा जांच करने के लिए समय बच जायेगा अन्यथा आप सारे प्रश्न जानते हुए भी हल नहीं कर पाएंगे. आजकल परीक्षा में निगेटिव मार्किंग स्कीम भी रहता है अतः आपकी स्पीड के साथ यह भी जरुरी है की आप गलत सवालों के हल अटकल में न करें अन्यथा लेने के देने पड़ सकते हैं. मान लीजिये की आपने चार उत्तर गलत किये तो 0.25 के हिसाब से 1 अंक गँवा दिए. परीक्षा में जहाँ लाखों छात्र बैठते है वहां 0.25 अंक की अपनी महत्ता है.

कामयाबी हासिल करने का मंत्र

कामयाबी हासिल करने के लिए संयमित होना आवश्यक है साथ ही विषय पर पूरी पकड़ के साथ नियमित अभ्यास करते रहें. हर फॉर्मूले की एप्लीकेशन आनी चाहिए यह जरुरी है. चैप्टर वाइज फॉर्मूले अच्छी तरह याद कर लें और उनका निरंतर अभ्यास करें। पेपर हल करते समय यह कोशिश करते रहें की सारे प्रश्न तय समय से पहले हो जाये और जब भी आप हल करने बैठें तो प्रश्न के अंतिम प्रश्न तक हल करें न कि विश्राम करते हुए कई सिटिंग में इसे हल करें. स्पीड को हासिल करने के लिए जरुरी है कि आप वैदिक गणित या अन्य क्विकर गणित की विधि जरुर सीखे और इसका अप्प्लीकेशन भी करते रहें नहीं तो अक्सर यह देखा जाता है की आपको बहुत सारे शोर्ट कट आते है पर जब उसे इस्तेमाल का असली समय आता है तो आप भूल जाते है और इसे तभी आप ठीक कर पाएंगे जब आपको हर सूक्ष्म विधि पर कई सारे सवालों को हल करने का अभ्यास हो.
गणित आपके स्कोर ग्राफ उठाने में अहम् भूमिका निभा सकता है अतः इस विषय के साथ आपकी दोस्ती अटूट हो. गणित के सूत्र रटने भर से आपको गणित नहीं आ सकती खासकर जब आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है तो आपको विषय पर पकड़, सूक्ष्म विधि, आधारभूत प्रमेय, वर्ग, घन, अंकगणित, बीजगणित , पर बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्नों की सूची के साथ साथ विषयवार अध्ययन वो भी समय की मर्यादा देखते हुए नियमित रूप से करने की जरूरत है. गणित के विषय में प्रचलित एक मशहुर कविता है जिसका हिंदी रूपांतरण कुछ इस तरह है – यह काफी अच्छा होगा की आप कुछेक का सबकुछ पढ़े न कि सभी अध्याय का कुछ-कुछ पढ़े और इससे बढ़िया बात कोई नहीं यदि आप सब अध्याय का सबकुछ पढ़ें.

DR Rajesh Kumar Thakur
rkthakur1974@gmail.com

Tuesday, January 31, 2017

द्विघात समीकरण -३


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Dr Rajesh Kr Thakur

Wednesday, January 11, 2017

गणित और रामायण

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