Tuesday, June 13, 2017

अंको की दुनिया



आओ आओ खेलें खेल
चल पड़ी अंको की रेल
आकर बैठो डब्बों में
चलो करे दुनिया की सैर।

एक , दो, तीन , चार
डिब्बे इसमें नौ है यार
पांच, छह , सात , आठ
अंको की देखो तुम ठाठ ।

एक अंक की इन संख्या का
बोलो तुम राजा है कौन?
जोर लगाकर मिलकर बोलो
नौ नौ नौ नौ ।

ड्राइवर जीरो बैठा है आगे
संख्या रेल पटरी पर भागे।
पहले अरब की सैर करे हम
अलख जगा दुनिया मे आगे ।

सरपट खटपट दौड़ा रेल
खुशी में खोला मोर ने पंख
इन दस अंको ने मिलकर
बना दिया संख्या असंख्य।

डॉ राजेश कुमार ठाकुर

Sunday, June 4, 2017

संख्याओं के प्रकार - कविता




संख्या

गिनती की संख्या “ प्राकृत “ कहलाती है
शून्य जोड़ते ही “ पूर्ण “ बन जाती है
अगर “ ऋणात्मक ” अंक साथ में जोड़ा जाये
यह संख्या “ पूर्णांक” समूह बतलाती है .

p/q के रूप में संख्या को लिख सको तुम
“ भिन्नात्मक संख्या ” परिमेय बन जायेगा
लेकिन शर्त मानना पड़ेगा यारों फिर
q का मान “शून्य ” न होने पाए

शून्य “अंश” में होते ही फिर होगा अंत
अगर डाल दिया “हर” में तो हो – अनंत

पाइथागोरस ने खोजी थी कुछ ऐसी संख्या
जिसका मान अनंत काल तक चलता जाता
√2 , √3 ... ऐसी ही संख्या है
जिसका समूह फिर “अपरिमेय ” कहलाता

आत्मनिर्भर होती है , कुछ संख्याये भी
जो सिवा स्वयं न आती किसी पहाड़े में
ऐसा संख्या समूह “अभाज्य ” कहलाता है
जो साथ 1 लड़ जाती है अखाड़े में


---- डॉ राजेश कुमार ठाकुर

भारतीयों की गणित गाथा




बड़ी – बड़ी संख्याओं को जब
लिखने में होती थी परेशानी
हल लेकर भारत आया तब
विश्व को हुई आसानी ..

1 से 9 तक के अंको में
0 का जब हुआ प्रवेश
दाशमिक प्रणाली के आगमन से
हर्षित हो गया देश- विदेश .

भास्कराचार्य की लीलावती में
बीजगणित का मान बढाया
पाई, दशमलव, अंकगणित में
भारत ने प्रथम कदम बढाया .

शुल्व सूत्र ने विश्व पटल पर
खोल दिया ज्यामिति का राज
आर्यभट्ट के त्रिकोंणमिति से
विश्व अचंभित है आज

चाहे हो श्रीधर का द्विघात समीकरण
या रामानुजन का संख्या से प्यार
भारत की गणितीय गाथा का
आज ऋणी पूरा संसार


डॉ राजेश कुमार ठाकुर


गणित और रामायण

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