Saturday, June 17, 2023

0/0 और 1/0 में क्या अंतर है

 

ऐसा क्यों होता है – 5

शून्य से विभाज्यता को लेकर अक्सर भ्रम रहता है. आपने देखा होगा कि 0/0 और 1/0 के बारे में लोगों के राय विल्कुल भिन्न हैं और ऐसा क्यों हैं पर लोगों में एक ख़ामोशी है . आखिर 0/0 और 1/0 है क्या?

उपरोक्त दोनों ही स्थितियों में हर शून्य है. शून्य हर वाले संख्या पर ऐसे तो सबसे पहले ब्रह्मगुप्त ने अपने विचार रखे. परन्तु ब्रह्मगुप्त भी इसकी सही- सही व्याख्या नहीं कर पाये. उन्होंने लिखा कि किसी संख्या में  अगर 0 से भाग दिया जाता है तो इसका परिणाम शून्य ही आएगा , अर्थात 0/0 = 0. महावीराचार्य ने इस गलती को 830 इसवी में सुधारने का प्रयास किया और उन्होंने लिखा अगर संख्या को शून्य से भाग दिया जाये तो कोई परिवर्तन नहीं होता. दोनों ही स्थितियां गणित के सर्वमान्य नियमों के उलट है. आगे बढ़ने के पहले श्रीनिवास रामानुजन कि कहानी जाननी आवश्यक है. उनकी तीसरी कक्षा में एक दिन एक शिक्षक भाग पढ़ा रहे थे जहाँ शिक्षक ने कहा – अगर हम किसी संख्या को उसी संख्या से भाग दें तो भागफल 1 आएगा. 3 / 3 = 1 तथा 1000/1000 = 1 , रामानुजन ने तपाक से पूछा – 0/0 भी 1 आएगा ?

भाग देने का अंकगणितीय अर्थ किसी वस्तु को समान रूप से बाँटना. अगर हमारे पास 10 केले हैं और इसे 5 आदमी में बराबर- बराबर बाँटना हो तो प्रत्येक को 2 नग केले मिलेंगे. अर्थात 10/5 = 2 यहाँ शेषफल शून्य है.  अर्थात 2 x 5 = 10

अगर आपके पास 10 केले हैं और इसे आपको 0 आदमी में इसे बाँटना हो तो प्रत्येक आदमी को कितने केले मिलेंगे ? अवश्य ही ऐसा करना संभव नहीं है. क्योंकि जब व्यक्ति जिन्हें केले देने हैं वो है ही नहीं तो ये संभव कैसे होगा, अर्थात इसे हम अपरिभाषित कह सकते हैं. इसे गणित कि भाषा से समझने का प्रयास कीजिये.

1/0 = ?

मान लीजिये 1/0 = y , इसका अर्थ ये है y × 0 = 1

शून्य से गुणा के नियम से हम पाते हैं कि किसी संख्या को शून्य से गुणा करने पर परिणाम शून्य होता है. Y कि जगह पर आप 1 रखे यह 1 लाख या कोई अन्य संख्या किसी भी हाल में उत्तर 1 नहीं हो सकता. अब आप 53/0 पर विचार करें यदि 53/0 = y हो तो y × 0 = 53 होगा और इस हिसाब से अगर अंश का मान अलग-अलग हो और हर शून्य हो तो परिणाम हर हाल में अलग आना चाहिए जो कि संभव ही नहीं है . इसलिए ऐसी स्थिति जब किसी अशून्य संख्या को शून्य से विभाजित करते हैं तो परिणाम अनंत या अपरिभाषित होता है.

भास्कराचार्य के अनुसार – ख भाजितो: राशि खहर स्यात – अर्थात शून्य से किसी संख्या में भाग देने पर खहर (अनंत) कि प्राप्ति होती है. इसे आप दुसरे तरीके से समझने का प्रयास कीजिये.


 अर्थात जैसे जैसे हर छोटा होता जाता है उत्तर बड़ा होता जाता है. यहाँ अंतिम संख्या का हर 1/10000000 है तो परिणाम 10000000  हो जाता है. हर ऐसे ही और छोटा करते जाएँ कि यह शून्य के करीब हो जाये तो परिणाम कितना बड़ा होगा? रिमेन स्पेस में a/0 कुछेक a के लिए परिभाषित है.

0/0 = ?

मान लीजिये कि 0/ 0 = y

अर्थात 0 = 0 . इस स्थिति में y के प्रत्येक मान के लिए यह उत्तर सही आएगा.


इसलिए 0/0 को अपरिभाषित कहते हैं. कैलकुलस में इसे indeterminate form कहा जाता है.  दोनों ही स्थितियों में जब किसी संख्या को शून्य से भाग देते हैं तो वह अपरिभाषित होता है और अलग- अलग जगह हम अलग अलग शब्दों का प्रयोग करते हैं. आपने कई बार शून्य हर कि इसी अबोधता कि वजह से 1 = 0 या 1 = 2 सिद्ध होते देखा होगा जो कि मूल रूप से संभव नहीं है.

महत्वपूर्ण बात – शून्य कि खोज आर्यभट ने नहीं कि थी. आर्यभट ने अपनी पुस्तक में वर्णाक्षर पद्धति का जिक्र किया जिसकी मदद से हिंदी के अक्षरों को किसी अंक से निरुपित कर वे बड़ी से बड़ी संख्या लिख लेते थे पर उसमे कहीं भी शून्य के लिए कोई अक्षर का प्रयोग नहीं किया था. ब्रह्मगुप्त ने सबसे पहली बार शून्य के बारे में और इससे सम्बंधित संक्रिया के बारे में लिखा. भारत में ग्वालियर के चतुर्भुज मंदिर में लगे शिलालेख में शून्य का चिन्ह दिखता है यह शिलालेख 876 इसवी में  राजा जयवर्धन द्वितीय के शासनकाल में लगाया गया था.



 

No comments:

Post a Comment

गणित और रामायण

पढ़कर आप अपनी प्रतिक्रिया नीचे दिए कमेंट में जरुर दें . अपना नाम लिखना ना भूले