Sunday, June 23, 2019

वैदिक गणित - एकाधिकेन पूर्वेण - भाग - 1


वैदिक गणित

मित्रों, वैदिक गणित 16 सूत्रों और 16 उपसुत्रों पर आधारित एक ऐसी प्रणाली है जिसमे अंकगणित, बीजगणित, नियामक ज्यामिति , कैलकुलस जैसे गणित के जटिलतम शाखाओं के जटिलतम सवालों को पलक झपकते करने का रहस्य छिपा हुआ है. इसके सूत्रों के खोज और इसके वेदों से सम्बन्ध पर चर्चा करना निरर्थक है परन्तु जगद्गुरु स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ जी द्वारा लिखी पांडुलिपि को 1965 में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित करवाया गया जिसे वैदिक गणित के रूप में ख्याति मिली. हमें भारत के गणित और इसकी प्राचीन परम्परा के बारे में पता तो है पर एक कहावत है – घर का जोगी जोगडा, आन गाव का सिद्ध . हमारी हालत भी कुछ ऐसी ही है. पुरे विश्व को गणित में शून्य, दाशमिक प्रणाली, द्विघात समीकरण का हल, अपरिमेय संख्याओं का मान, पाइथागोरस प्रमेय से पूर्व शुल्व सूत्र में भारत ने कर्ण, आधार और लम्ब का सम्बन्ध स्थापित किया. मेरु प्रस्तार जिसे पास्कल त्रिभुज कहते है इत्यादि खोज करने के बावजूद हम विदेशी नियमों और सिद्धांतो के गुलाम बने हुए है. आइये भारतीय गणित की इसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए कुछ तरीकों पर चर्चा करना आरम्भ करते हैं . आशा है ये श्रृंखला आपको गणित के और करीब लाने में मदद करेगी और हमारा साझा प्रयास भारत को गणित के क्षेत्र में आगे ले जाने में सहायक होगा.

सूत्र :- एकाधिकेन पूर्वेण
एकाधिकेन पूर्वेण का अर्थ है पहले से एक अधिक. इसका अर्थ ये है की 1 का एकाधिक 1 + 1 = 2 होगा , 3 का एकाधिक 3 + 1 = 4 होगा. इस सूत्र का प्रयोग वर्ग निकालने में या आवर्ती दशमलव के भाग देने में काफी सहायक होता है. इस अंक में हम एक भाग द्वारा इस सूत्र को समझने का प्रयास करेंगे.
उदाहरण:- 1/19 को हल करें
हल :- यदि किसी भिन्न का हर 19, 29, 39, ---- हो तथा अंश 1 हो ( ये जरुरी नहीं है) को जब आप भाग देंगे तो आपका उत्तर एक आवर्ती दशमलव में आएगा. यहाँ हर 19 है अतः आवर्ती दशमलव 19 – 1 = 18 अंक तक रहेगा.
19 में 9 से पूर्व 1 है और 1 का एकाधिक 1 + 1 = 2 होगा. आइये इसी एकाधिक का प्रयोग कर बिना मुश्किल भाग दिए इस प्रश्न को हल करें. यहाँ हमारा गुणक अंक 2 है. सबसे पहले अंश में 1 लिखें और गुणक से गुणा करते रहें
पहला पद : - 1            दूसरा पद : 21( 1 को गुणक 2 से गुणा कर उत्तर पीछे लिखें)
तीसरा पद : - 421 ( 2 × 2 = 4)          चौथा पद :- 8421 ( 4 × 2 = 8)   
पांचवा पद :- 168421 ( 8 × 2 = 16; 6 को लिखा गया है और शेष 1 को नीचे लिखा है )
छठा पद:- 1368421 (6 X 2 =12, +1 = 13 का 3 लिखा गया है और शेष 1 को नीचे लिखा है)
सातवां पद:- 7368421 (3 X 2, = 6 +1 = 7)          आठवां पद:- 147368421 (7 X 2 =14)
नौवा पद : 947368421 (4 X 2, = 8, +1 = 9)        दश्वा पद :- 18947368421(9 X 2 =18)
ग्यारहवां पद :- 178947368421(8 X 2 =16,+1=17)   
बारहवाँ पद:- 1578947368421(7 X 2 =14,+1=15)
तेरहवां पद :- 11578947368421(5 X 2 =10,+1=11)
चौदहवां पद:- 31578947368421(1 X 2 =2,+1=3)
पन्द्रहवां पद :-  631578947368421(3 X 2 =6)
सोलहवां पद:- 12631578947368421(6 X 2 =12)
सत्रहवां पद:- 52631578947368421(2 X 2 =4,+1=5)
अठारहवां पद:- 1052631578947368421(5 X 2 =10)
अठारहवां पद के बाद अंकों की पुनरावृति शुरू हो जाएगी अतः पुरे उत्तर को आप एक लाइन में लिखने का प्रयास करें
1 / 19 = 0.052631578947368421
यहाँ आपकी सुविधा के लिए पुरे प्रक्रिया को पुरे चरणों में दिखाया गया था जिसे अभ्यास के साथ साथ  आप एक लाइन में करते हुए वैदिक गणित के सूत्रों के रहस्यों से पर्दा उठा सकते हैं. इसी कड़ी में आप 1/29, 1/39 को हल करने का प्रयास करें. अगले अंक में नये उदाहरणों और सूत्रों पर चर्चा करेंगे.
-डॉ राजेश कुमार ठाकुर




3 comments:

  1. बेहतरीन लिखा है और सधे शब्दों में सूत्र की व्याख्या कर दी है अगर कुछ प्रश्न रूप में हल के लिए भी छोड़ दिया जाए तो और बेहतर दिखेगा।

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    1. यह लेख अखवार के लिए लिखा था जिसमे शब्दों की मर्यादा का ध्यान रखना पड़ता है . आपका आभार

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गणित और रामायण

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