0 |
बिन्दु, नभस्, रन्ध्र, ख, आकाश, अभ्र, वियत्, पूर्ण, व्योमन्, अम्बर, जलधर, शून्य, ब्रह्मन् |
1 |
आदि, मुख, कु, वाच्, भूमि, रूप, भू, चन्द्र, वदन, ब्रह्मन्, इन्दु, कलि |
2 |
नेत्र, अयन, हस्त, युग्म, यम, युगल, अश्विन, चक्षुस्, पक्ष, अक्षि, पाणि |
3 |
शूल, गुण, शरीर, ग्राम, अग्नि, शक्ति, लोक, वह्नि, पुर, राम, काल |
4 |
उपाय, आम्नाय, समुद्र, आश्रम, कृत, जलधि, अब्धि, वेद, वर्ण, युग |
5 |
अर्थ, भूत, प्राण, पाण्डव, बाण, तन्मात्र, इन्द्रिय, वायु, काम, कामदेव, खग, तत्त्व, तन्मात्र, धी, नाराच, नालीक, पक्षि, पञ्च, पतङ्ग, पत्रिन्, पर्व, पवन, पाण्डव, भाव, भूत, भेदक, मरुत्, महाभूत, महाव्रत, मार्गण, रत्न, लेय, लेयक, |
6 |
तर्क, ऋतु, रस, रिपु, दर्शन, गुहवक्त्र, चक्रार्ध, अरि, अङ्ग, कृत्तिका, काल, रिपु, लेख्य, लेश्या, वर्ण, शक्ति, शास्त्र, शिलीमुखपद, शिशु, षट्, षण्मुख, समास, सेना, |
7 |
अचल, वासर, द्वीप, पर्वत, स्वर, अश्व, मुनि, तुरग, अद्रि, शैल |
8 |
गज, सर्प, नाग, दिग्गज, वसु, सिद्धि, भद्र, भुजग, भुजङ्ग, भुजङ्गम, भूति, मङ्गल, मतङ्गज, मति, मद, |
9 |
द्वार, गो, रन्ध्र, रस, निधि, अङ्क, नन्द, छिद्र, दुर्गा, ग्रह |
10 |
अवतार, अङ्गुलि, पङ्क्ति, दिश्, आशा, दिक्पाल |
11 |
मदनारि, शिव, रुद्र, शम्भु, ईश |
12 |
चक्र, राशि, गण, अर्क, आदित्य, मास, सूर्य |
13 |
अघोष, विश्वेदेव |
14 |
भुवन, मनु, विद्या |
15 |
तिथि, दिन, दिवस, द्युनिशा, पक्ष, परमाधार्मिक, वासर, सन्ध्या |
16 |
कला, अष्टि, भूपति, यज्ञ, नृप, इन्दुकला, कला, क्ष्माप, |
17 |
अत्यष्टि, घटा, घन, जीमूत, तोयद, बलाह, बलाहक, मेघ, मैत्र, |
18 |
धृति अब्रह्म, तीर्थ, पापस्थानक, पुराण, विद्या, स्मृति |
19 |
अतिधृति, वघ, साम, |
20 |
नख, अङ्गुलि, कृति, नख, नखर, |
21 |
स्वर, प्रकृति, उत्कृति, मूर्च्छना, स्वर्ग, यज्ञ, वृन्द, समिधः, समित्, स्वर्, स्वः, स्वर्ग |
22 |
जाति, यज्ञ, वृन्द, समिधः, समित्, स्वर्, स्वः, स्वर्ग |
23 |
विकृति, सङ्कृति, आकृति |
24 |
गायत्री, सिद्ध, जिन |
25 |
तत्व, तत्त्व, अतिकृति |
26 |
उत्कृति |
27 |
भा, नक्षत्र, तार, तारक, तारका, तारा, धिष्ण्य, भ, भानि |
30 |
अमा, जटा, तिथि, दिन, साध्वी |
32 |
दन्त, दाशन, द्विज |
33 |
सुर, देव |
40 |
नरक, ताल , पङ्क्ति |
45 |
त्रिपक्षी |
48 |
जगती |
49 |
तान , अनिल , पवन , वायु |
55 |
सुष्टि |
59 |
काच, मोक्ष |
64 |
कला |
- विबुधनेत्रगजाहिहुताशनत्रिगुणवेदाभवारणबाहवः
- नवनिखर्वमितेवृतिविस्तरे परिधिमानमिदं जगदुर्बुधः
इसका अर्थ है- 9 x 1011 व्यास वाले वृत्त की परिधि 2872433388233होगी।
कहत कत परदेसी की बात।
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