Friday, June 23, 2023

भूत संख्या एक परिचय

0

बिन्दुनभस्रन्ध्रआकाशअभ्रवियत्पूर्णव्योमन्अम्बरजलधरशून्यब्रह्मन्

1

आदिमुखकुवाच्भूमिरूपभूचन्द्रवदनब्रह्मन्इन्दुकलि

2

नेत्रअयनहस्तयुग्मयमयुगलअश्विनचक्षुस्पक्षअक्षिपाणि

3

शूलगुणशरीरग्रामअग्निशक्तिलोकवह्निपुररामकाल

4

उपायआम्नायसमुद्रआश्रमकृतजलधिअब्धिवेदवर्णयुग

5

अर्थभूतप्राणपाण्डवबाणतन्मात्रइन्द्रियवायुकाम, कामदेव, खग, तत्त्व, तन्मात्र, धी, नाराच, नालीक, पक्षि, पञ्च, पतङ्ग, पत्रिन्, पर्व, पवन, पाण्डव, भाव, भूत, भेदक, मरुत्, महाभूत, महाव्रत, मार्गण, रत्न, लेय, लेयक,

6

तर्कऋतुरसरिपुदर्शनगुहवक्त्रचक्रार्धअरिअङ्गकृत्तिकाकाल, रिपु, लेख्य, लेश्या, वर्ण, शक्ति, शास्त्र, शिलीमुखपद, शिशु, षट्, षण्मुख, समास, सेना,

7

अचलवासरद्वीपपर्वतस्वरअश्वमुनितुरगअद्रिशैल

8

गजसर्पनागदिग्गजवसुसिद्धि, भद्र, भुजग, भुजङ्ग, भुजङ्गम, भूति, मङ्गल, मतङ्गज, मति, मद,

9

द्वारगोरन्ध्ररसनिधिअङ्कनन्दछिद्रदुर्गाग्रह

10

अवतारअङ्गुलिपङ्क्तिदिश्आशादिक्पाल

11

मदनारिशिवरुद्रशम्भुईश

12

चक्रराशिगणअर्कआदित्यमाससूर्य

13

अघोषविश्वेदेव

14

भुवनमनुविद्या

15

तिथि, दिन, दिवस, द्युनिशा, पक्ष, परमाधार्मिक, वासर, सन्ध्या

16

कलाअष्टिभूपतियज्ञनृप,  इन्दुकला, कला, क्ष्माप,

17

अत्यष्टि, घटा, घन, जीमूत, तोयद, बलाह, बलाहक, मेघ, मैत्र

18

धृति अब्रह्म, तीर्थ, पापस्थानक, पुराण, विद्या, स्मृति

19

अतिधृति, वघ, साम,

20

नखअङ्गुलिकृति, नख, नखर,

21

स्वरप्रकृतिउत्कृतिमूर्च्छनास्वर्ग, यज्ञ, वृन्द, समिधः, समित्, स्वर्, स्वः, स्वर्ग

22

जाति, यज्ञ, वृन्द, समिधः, समित्, स्वर्, स्वः, स्वर्ग

23

विकृतिसङ्कृतिआकृति

24

गायत्रीसिद्धजिन

25

तत्वतत्त्वअतिकृति

26

उत्कृति

27

भानक्षत्र, तार, तारक, तारका, तारा, धिष्ण्य, , भानि

30

अमा, जटा, तिथि, दिन, साध्वी

32

दन्तदाशनद्विज

33

सुरदेव

40

नरक, ताल , पङ्क्ति

45

त्रिपक्षी

48

जगती

49

तान , अनिल , पवन , वायु

55

सुष्टि

59

काच, मोक्ष

64

कला      

 


कुछ शब्दों के लिए दो संख्याएं सम्भावित है । जैसे रस – लोक में 6 रस ( भोजन वाले ) होते हैं । साहित्यशास्त्र में 9 रस ( अभिनय वाले ) बताए गए हैं । ऐसे पक्ष मे से जो सामान्य और ज्यादा प्रसिद्ध है, उसका ग्रहण किया जाता है । रस मतलब 6 संख्या है ।
वृत्तरत्नाकर मे केदारभट्ट ने भूतसंख्या का उल्लेख किया है –
अब्धिभूतरसादीनां ज्ञेयाः संज्ञाऽत्र लोकतः ।

 निम्नलिखित श्लोक में माधव ने वृत्त की परिधि और उसके व्यास का सम्बन्ध (अर्थात पाई का मान) बताया है जो इस श्लोक में भूतसंख्या के माध्यम से अभिव्यक्त किया गया है-

विबुधनेत्रगजाहिहुताशनत्रिगुणवेदाभवारणबाहवः
नवनिखर्वमितेवृतिविस्तरे परिधिमानमिदं जगदुर्बुधः

इसका अर्थ है- 9 x 1011 व्यास वाले वृत्त की परिधि 2872433388233होगी।


  कहत कत परदेसी की बात।

मंदिर अरध अवधि बदि हमसौं , हरि अहार चलि जात।

ससि-रिपु बरष , सूर-रिपु जुगबर , हर-रिपु कीन्हौ घात।

मघ पंचक लै गयौ साँवरौ , तातैं अति अकुलात।

नखत , वेद , ग्रह , जोरि , अर्ध करि ,सोई बनत अब खात।

सूरदास बस भई बिरह के , कर मींजैं पछितात ॥
(भ्रमर गीत - सूरदास )

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गणित और रामायण

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