Tuesday, August 8, 2023

बज्र गुणन विधि कैसे काम करती है ?

 

ऐसा क्यों होता है – 8

बज्र गुणन (Cross Multiplication)-  क्या , क्यों और कैसे?

बज्र गुणा का प्रयोग आपने भी ऐसे समीकरणों को हल करने में किया होगा जिनमे अनुपात शामिल हैं. इसका प्राथमिक उद्देश्य अज्ञात चर को ज्ञात करने से है और इसके लिए आप बाएं पक्ष के अंश को दायें पक्ष के हर से तथा बाएं पक्ष के हर को दायें पक्ष के अंश से गुणा करके दोनों पक्षों को बराबर कर अज्ञात चर को ज्ञात करने से हैं?

समीकरण 


को हल करने में आप बज्र गुणा विधि का प्रयोग करते हुए 10x = 26 लिखने के पश्चात् x का मान ज्ञात कर लेते हैं. ऐसे दो चर के युगपत समीकरण को हल करने के लिए भी हम वज्र गुणन विधि का प्रयोग करते हैं पर इस अंक में हमारा उद्देश्य सिर्फ एक चर के समीकरण पर रहेगा. वस्तुतः दो भिन्नों/अनुपात को समान करने के लिए भी हम अक्सर वज्र गुणा का प्रयोग करते हैं. यदि आपसे पूछा जाये कि क्या 2/6 = 3/9 के ? तो आप वज्र गुणा का प्रयोग करके कहेंगे चूँकि 2 × 9 = 3 × 6 है इसलिए ये आपस में बराबर हैं. पर सवाल उठता है ये आपस में क्यों बराबर हैं ? इस प्रश्न के उत्तर से आपको वज्र गुणा के मूल सिद्धांत को समझने में मदद मिलेगी. 2/6 का अर्थ आप ये समझिये कि आप एक केक के 6 बराबर टुकड़ों में बाँटना और इसमें से 2 टुकड़े खा लेना वहीँ 3/9 का अर्थ है  एक केक के 9 बराबर टुकड़ों में से 3 को खा लेना. इसे आप दूसरी तरह से समझिये. आपके पास 9 केक हैं और प्रत्येक केक के आपने 6 टुकड़े किये हैं. अर्थात 9 × 6 = 54 टुकड़े.  2 × 9 टुकड़े = 3 × 6 टुकड़े का अर्थ है कुल 54 टुकड़ों में से 18 टुकड़े लेना = 18/54 = 1/ 3 टुकड़े खाना .

 



इतिहास के झरोखे से :- गणित में “त्रैराशिक नियम या तीन का नियम ” को गणित का स्वर्णिम नियम भी कहते हैं जिसमे तीन राशि (परिणाम , फल और ईच्छा) का प्रयोग करके चौथी राशि ज्ञात कि जाती है. उदाहरण :- यदि 4 मीटर कपड़े की कीमत 100 रुपये है, तो 10 मीटर कपड़े की कीमत कितनी होगी? यहां A=4, B=100 और C=10 है इसका उत्तर - 100×10/4 = 250 रुपये. यह नियम वज्र गुणन कि मूल अभिव्यक्ति करता है जहाँ चर को निकालने के लिए तीन राशियों का प्रयोग होता है. भारत में ईसा पूर्व लिखे ग्रंथों कि बात करें तो बक्षाली पोथी में इसका जिक्र है. आर्यभट, ब्रह्मगुप्त , श्रीधर, महावीर , भास्कराचार्य सबने इस नियम का प्रयोग किया है. भारत से यह नियम अरब होते हुए यूरोप गया. यूरोपीय देशों में इसका प्रयोग 15 वी शदी के आस पास दिखता है. दूसरी शदी में चीनी ग्रंथो में इस नियम का जिक्र मिलता है.



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गणित और रामायण

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