क्या आप जानते हैं ?
गणित
विषय कितना रोचक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है विश्व में कई ऐसे
महान गणितज्ञ पैदा हुए जिन्होंने कभी गणित की पढाई आरंभिक दौर में या तो की नहीं
या जिन्होंने एक दुसरे सफल पेशे को छोड़ गणित को अपना लिया. फरमा एक सफल वकील थे,
गैलिलियो एक डॉक्टर थे . एलन टूरिंग एक धावक थे. अगर बात करें भारतीय गणितज्ञ की
तो श्रीनिवास रामानुजन ने गणित में कोई उच्च शिक्षा नहीं ली और ग्यारहवीं में तीन
लगातार बाल असफल हुए व्यक्ति का गणित के फलक पर स्थापित हो जाना गणित की विशालता
को दिखाता है. भारतीय गणितज्ञ हरीश चन्द्र ने अपनी परा- स्नातक (मास्टर्स) तक की
पढाई भौतिकी विज्ञान में की , आरंभिक शोध और लेखन का काम भी भौतिकी में किया
परन्तु बाद में ये प्रिन्सटन यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफेसर हो गये. यही नहीं स्वीडेन के मशहूर सर्जन और निश्चेतनाविज्ञानी
(anaesthesiologist) जान गुलबर्ग को ख्याति गणित और विज्ञान लेखन
की वजह से मिला. उनकी प्रसिद्ध पुस्तक – मैथमेटिक्स :- फ्रॉम द बर्थ ऑफ़ नंबर्स को
खूब सराहना मिली और अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी ने तो इस पुस्तक को समकालीन
पुस्तकों में सर्वश्रेष्ठ कह दिया. अब बात आगे बढ़ाते हैं और ऐसे दो गणित के रोचक
लेखक की बात करें जिन्हें हर कोई बड़े चाव से पढता है पर ये सज्जन गणित के साथ बढे
तो नहीं थे पर गणित ने इन्हें फलक पर बिठा दिया. मार्टिन गार्डनर का नाम आपने सुना
ही होगा. गणित की पहेली और दिमागी कसरत पर लिखी इनकी पुस्तक आज हर बड़े और बच्चों
की पसंद है. साइंटिफिक अमेरिकन पत्रिका के लिए लिखते हुए इन्होने अपना खूब नाम
कमाया और साथ ही भारतीय गणितज्ञ कापरेकर
के खोजों को पुरे विश्व में मशहूर कर दिया. महान गणितज्ञ रामानुजन की जीवनी लिखने
वाले रोबर्ट केनिगल जो पेशे से एक स्वतंत्र लेखन का काम करते हैं को उनकी पुस्तक –
वह व्यक्ति जो अनंत जानता है ( a man who knew infinity) ने मशहूर बना दिया. 2015 में बनी फिल्म man
who knew infinity इसी पुस्तक पर आधारित है.
गेरेलामो
कार्डेनो का नाम गणित में बड़े आदर से लिया जाता है. पेशे से डॉक्टर कार्डेनो ने
अपनी पढाई के बाद अपना क्लिनिक खोलने की इच्छा जताई पर सरकारी तंत्र से इनके मतभेद
की वजह से इन्हें मिलान शहर में क्लिनिक के लिए लाइसेंस नहीं दिया गया और ये शहर छोड़ दुसरे शहर चले गये जहाँ इन्होने बिना
लाइसेंस के अपना क्लिनिक खोला पर गणित के प्रति प्यार की वजह से ये मिलान में गणित
के प्राध्यापक भी बन गये और अपने क्लिनिक और गणित अध्यापन का काम करते रहे.
कार्डेनो को ऋणात्मक संख्या पर यूरोपीय देशों में सबसे पहले काम करने के लिए जाना
जाता है साथ ही बीजगणित में त्रिघात और चतुर्घात समीकरण का हल करने का श्रेय भी
इन्हें दिया जाता है. तरतगलिया के द्वारा
त्रिघात और चतुर्घात समीकरण के हल का पत्र व्यव्हार को इन्होने अपनी खोज बताकर
प्रकाशन कराया यह आरोप भी इनपर लगता है पर जब बात पत्र व्यव्हार की हो तो अनायास
कबूतर की याद आती है जो सन्देश वाहक का काम करते हैं . गणित में एक ऐसे ही
सिद्धांत को कबूतरखाना (पिजनहोल) समस्या के रूप में जानते हैं. यदि n
वस्तु को m खाने में रखा जाए जहाँ n > m तो
कम से कम एक खाना ऐसा होगा जिसमे एक से अधिक वस्तु रखी जाएगी .
यहाँ 9 खाने में 10 कबूतर बैठे है इसलिए एक खाने में एक से अधिक कबूतर बैठे हैं. इसे आप ऐसे समझे अगर आपके पास 3 मौजे हैं तो इनमे 2 मौजे या तो बाएं पैर के लिए होंगे या दायें. डाकघर में चिठ्ठी की छटाई इसी सिद्धांत के आधार पर की जाती है. यही नहीं जन्मदिन से सम्बंधित प्रायिकता के प्रश्नों के हल करने में भी यह विधि कारगर है. बस गणित के ऐसे ही अनछुए पहलू पर आगे भी चर्चा जारी रहेगी .
डॉ
राजेश कुमार ठाकुर
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