क्या आप जानते हैं ?
पुराने समय में जब शून्य की खोज नहीं हुई
थी तब भी छोटी और बड़ी संख्याओं के लिए कुछ नाम रखे गये थे पर वो आज की तरह बड़ी-
बड़ी संख्या नहीं थी. शायद उन्हें लाख- करोड़ की या उससे बड़ी संख्याओं की जरूरत ही
ना पड़ती हो. जब जरूरतें सीमित हों तो गणित की इच्छाएं भी सीमित. खैर, अगर विश्व के
प्राचीनतम ग्रन्थ वेदों की बात करें तो इनमें 10 के घात 12 तक की संख्या जिसे
परार्ध कहा गया का उल्लेख मिलता है जिसे शायद आप गिन भी लें क्योंकि इसमें 1 के
आगे 12 शून्य लगे हैं. जरूरतें बढ़ी तो और बड़ी संख्याओं की आवश्यकता महसूस हुई और
फिर एक नई संख्या महौघ (10 की घात 60) का जिक्र वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड में
आया. महात्मा बुद्ध द्वारा भी तलक्षणा शब्द का प्रयोग 10 की घात 52 तक की संख्या
के लिए ललितविस्तार में किया गया. ये सब तो धर्मग्रंथों की बात हुई अब इससे आगे
गणितीय क्षेत्र में इनके प्रयोग की बात करें तो सबसे सराहनीय प्रयास आर्कमिडिज को
जाता है. ग्रीक द्वारा सबसे बड़ी संख्या मिरियड (10000) का प्रयोग किया जाता रहा
है. आर्कमिडिज जब रेत गणणक यन्त्र के बारे में खोज कर रहे थे तो उन्हें लगा की
उनके शहर सायराक्यूज के समुद्री तट पर कितने रेत हैं इसे गिनना असंभव है पर वो ऐसी
बड़ी संख्या अवश्य लिख सकते हैं जो इन रेत की संख्याओं से भी काफी बड़ी हो.
आर्कमिडिज ने मिरियड को दो बार गुणा करने पर 10000 x 10000 = 100000000 संख्या पाया और नई संख्या जिसे 10
पर घात 8 के रूप में लिखा जा सकता है को अगर दुबारा गुणा किया जाए तो यह 10 की घात
16 एक बड़ी संख्या बनेगी परन्तु रेत की संख्या का अनुमान लगाने के लिए 10 की घात 8
को 8 बार गुणा करने पर जो संख्या 10 के घात 64 बड़ी संख्या बनेगी जो रेत की संख्या
का अनुमान लगाया जा सकेगा. पर आर्कमिडिज यहीं नही रुके उन्होंने इससे बड़ी संख्या
के बारे में सोचा और फिर उन्होंने 10 की घात पर 10 के घात 8 एक संख्या लिखी जो 1
के बाद 800 मिलियन शून्य के बराबर होता है.को अगर आप संख्या कर रूप में कागज पर लिखें तो इतनी बड़ी
संख्या को 380000 पेज में लिखा जा सकेगा. संख्या को लिखने की भूख यहीं नही मिटी और
आर्कमिडिज ने जो सबसे बड़ी संख्या जो लिखी वो
थी और यह कितनी बड़ी संख्या होगी इसका अनुमान आप लगा
सकते हैं. ब्रह्माण्ड का जो हिस्सा आप देख सकते है वो 8.8 x 1023 के बराबर है जो 10 के घात 87 के बराबर
है. अब इसकी आगे आधुनिक समय में वापस लौटते है. कंप्यूटर की लोकप्रियता ने बड़ी से
बड़ी संख्या को ढूंढने में मील के पत्थर का
ककम किया. इसी क्रम में अमेरिकी गणितज्ञ एडवर्ड कसनेर ने एक बड़ी संख्या 10 के घात
100 की खोज की और जब इसके नामकरण की बात आई तो उन्होंने अपने भतीजे से इस संख्या
का नाम देने की बात की जिसका परिणाम ये रहा की इस बड़ी संख्या को गूगोल नाम दिया
गया. इसके बाद एक और बड़ी संख्या प्रकाश में आई जो गूगोल से भी काफी बड़ी संख्या थी
जिसे गूगोलप्लेक्स नाम दिया गया जिसका मान 10 पर घात गूगोल के बराबर होता है.
मजेदार बात ये है की वुल्फगैंग एच नित्स्चे ने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम है –
गूगोलप्लेक्स रिटेन आउट , जिसमें 1 के बाद कितने शून्य होंगे इसे 10,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000 खंड की पुस्तक का प्रयोग किया गया और इनके
हर पन्ने में सिर्फ शून्य की भरमार ही आपको देखने को मिलेगी और सबसे मजेदार बात ये
है की इन पुस्तकों को उन्होंने अपने हाथों से लिखा. संख्या को ढूंढने की इस खोज
में आप भी भागीदार बनें
डॉ राजेश कुमार ठाकुर
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