क्या आप जानते हैं
गणित की रोचकता की बात करें तो हर संख्या अपने आप में रोचक
है. यहाँ आप कुछेक रोचक संख्याओं के बारे में जानेंगे जो आपको गणित के भीतर छिपे
रहस्यों को जानने और आपको गणित के पास लाने में मदद करेगी.
1. क्या आपने संख्या
1 को 998001 से भाग देने की कोशिश की है. चलिए आपको ये बता दूँ की ये प्रयास आपको
अपनी कॉपी और पेन के द्वारा खुद कर देखना हैं क्योंकि कैलकुलेटर या कंप्यूटर पर
दिए गये कैलकुलेटर से आपको सही और मजेदार हल मिलने की सम्भावना कम है. चलिए इस
उम्मीद के साथ की आप इसका हल जानने की कोशिश करेंगे मैं आपको बता दूँ की सही उत्तर
बेहद रोचक है और इसमें 0 से लेकर 9 तक के सभी अंक तीन बार अर्थात 000 से लेकर 999
तक के सभी तीन अंको की संख्या मौजूद रहेगी. है ना मजेदार
यहाँ 000 से लेकर 100 तक की सभी संख्या आपको दिख रही है , अब
आगे आप प्रयास करें और गणितीय रोचकता का लुत्फ़ उठाये.
2. गणित में संख्या 1 बड़ी ही रोचक है. क्या आपने 1 के बारे
में जानने की कोशिश की. 1 तो बड़ी मजेदार संख्या है जो हर ज्यामिति संख्या के आरम्भ
में होती है चाहे संख्या – त्रिभुजाकार , वर्गाकार , घन, पंचभुज या षटभूजकार हो
परन्तु जिस प्राकृत संख्या का आरभ 1 से होता है उसे पिनो (Peano)
ने प्राकृत संख्या की पहली संख्या के समूह में नही रखा.
11 x 11 = 121;
111 x 111 = 12321
1111 x 1111 = 1234321
------------
111111111 x 111111111 = 12345678987654321
3. भारतीय गणित की कोई
भी बात शुल्व शुत्र के बिना संभव नही. शुल्व सूत्र जिसमे रस्सियों की सहायता से
भूमि की लम्बाई और चौड़ाई नापने के लिए प्रयोग किया जाता था. यहाँ तक की पाइथागोरस
प्रमेय और पाइथागोरस त्रिक के बारे में भी इस पुस्तक में उल्लेख मिलता है पर ये सभी
प्राचीन ज्ञान प्रायोगिक ज्ञान की वजह से उल्लखित था पर इनका कोई प्रमाण की इस
प्रश्न को हल करने के लिए दिए गये सूत्रों तक कैसे पंहुचा गया ज्ञात नही था और
शायद इसी कारण इसे लोगों तक पूर्ण रूप से नही पहुचाया जा सका. यहाँ तक की 2 के वर्गमूल
निकालने के लिए भी शुल्व सूत्र में एक श्लोक का उल्लेख
किया है
समस्य द्विकरणी।
प्रमाणं तृतीयेन
वर्धयेत्तच्च चतुर्थेनात्मचतुस्त्रिंशोनेन सविशेषः।
वर्ग का विकर्ण (समस्य द्विकरणी) - इसका मान (भुजा)
के तिहाई में इसका (तिहाई का) चौथाई जोड़ने के बाद (तिहाई के चौथाई का) 34वाँ अंश
घटाने से प्राप्त होता है।
4.
प्राचीन भारतीय गणित की प्राचीन पुस्तकों में एक और पुस्तक है – वक्षाली
पाण्डुलिपि है जो आधुनिक पाकिस्तान के बक्षाली गांव में एक किसान को खेत की जुताई
करते वक्त मिली थी. शारदा लिपि में लिखी इस ग्रन्थ के 70 पत्ते मौजूद हैं जिनमे
गणित के कई भागों पर चर्चा की गयी है और सबसे रोचक तो वर्गमूल निकालने की विधि है
साथ ही इसमें शून्य के लिए एक मोटे गोल बिंदु का प्रयोग किया गया है.यह ग्रन्थ
तीसरी और चौथी शताव्दी के मध्य में लिखा गया है और आजकल ये पुस्तक ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के बोडलियन लाइब्रेरी
में रखा गया है
बोडलियन लाइब्रेरी में रखी पुस्तक शून्य का
प्रयोग को दर्शाता बक्षाली पाण्डुलिपि
राजेश कुमार ठाकुर
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