1. संख्याओं को लिखने की ढेरो प्रणाली अबतक विकसित
हुई. बेबीलोनियन ने 60 को आधार मानकर संख्याओं को लिखने की प्रणाली का विकास किया
तो माया सभ्यता में 20, भारतियों ने 10 को आधार मानकर 0 से लेकर 9
अंकों की एक श्रंखला बनाई जिससे बड़ी- बड़ी संख्याओं को स्थानीय मान के आधार पर
लिखना आसान हुआ पर प्राचीन भारतीय मनीषियों ने अंको की एक नई प्रणाली जिसमे सिर्फ
दो अंक की मदद से बड़ी- बड़ी संख्या लिखने में सफलता प्राप्त की उसे हम द्विआधारी
पद्धति के नाम से जानते हैं. आचार्य पिंगल ने अपनी पुस्तक छंदशास्त्र में इसका
जिक्र किया है. हम भारत के राष्ट्रपिता के जन्मदिन 2 अक्टूबर यानि 2/10 को इस
पद्धति का एक उदाहरण समझ सकते हैं जिसमे 2 इस पद्धति का द्योतक तथा 1 और 0 इस
पद्धति के प्रयुक्त अंक से लगा सकते हैं. पिंगल ने अंको को लघु और दीर्घ अक्षरों (दीर्ध
अक्षर दो लघु अक्षर के बराबर होता है ) के रूप में व्यक्त किया है जो निश्चित रूप
से संख्याओं को निरूपण का आधुनिक कंप्यूटर के लिए एक वरदान साबित हुआ है पर इसकी
यात्रा बड़ी ही रोचक है. ग्यारहवी शदी में शाओ यांग ने संख्या लिखने के लिए एक नयी
पद्धति का बिकास किया जो द्विआधारी के समान था जिसने सत्रहवीं शदी में लिबनिज़ को
इसपर काम करने के लिए प्रेरित किया. दरअसल शाओ यांग द्वारा एक हेक्साग्राम 0 से
111111 तक की द्विआधारी संख्याओं से संगतता रखता था और यह प्रतिचित्रण द्विआधारी
संख्या के विकास में मील का पत्थर साबित हुआ. सन 1854 में अपनी शोध में यह साबित
किया की किस तरह द्विआधारी संख्याओं की
मदद से गणितीय संक्रिया की जा सकती है जिसने कंप्यूटर में इस प्रणाली का राह
प्रशस्त्र किया .
10 को द्विआधारी में
1010 लिखा जाएगा और 1010 को दाशमिक प्रणाली में लिखा
जायेगा.
2. माया
सभ्यता जो गणितीय ज्ञान का सिरमौर रहा के समय की एक कलाकृति जिसे चिचेन इटजा के
रूप में जाना जाता है के भीतर के 78 फीट लम्बा महल है जिसकी संरचना ज्योतिष
प्रणाली पर हुई है. इसके दोनों ओर बने 52 पैनल माया चक्र में बर्षो की संख्या का
प्रतिनिधित्व करती हैं , इसपर चढने के लिए बनी सीढियों के 18 स्तर माया कैलेंडर के
18 माह को तथा एल कैस्टिलो दर्पण के भीतर बने 365 कदम
बर्ष के 365 दिनों का प्रतिक है.
3. लगभग 3800 वर्षों तक मानव निर्मित सबसे बड़ी और
ऊँची संरचना रही गीजा का पिरामिड गणितीय ज्ञान का भी एक अमूर्त रूप है. लम्बाई की
पहली दर्ज इकाई – क्यूबिट्स के हिसब से
पिरामिड की परिधि 365.24 क्यूबिट्स के बराबर है जो वर्ष के दिनों की संख्या है.
साथ ही पिरामिड की परिधि और इसकी ऊंचाई के दोगुने से भाग देने पर पाई का मान
निकलता है .
4. गणित में एक बड़ी रोचक संख्या है जिसे गोल्डन
संख्या कहते हैं और इसे फाई के द्वारा सूचित किया जाता है. अगर आप फिबोनिकी संख्या
को क्रम से लिखें और पहले 5 को छोड़ दें तो प्रत्येक फिबोनिकी संख्या और इसकी पिछली
संख्या का अनुपात लगभग 1.618 के बराबर होता है. दुनिया के कई इमारतों के निर्माण
में इस सुंदर संख्या का प्रयोग देखने को मिलता है. पर जो मजेदार बात मैं आपको
बताना चाह रहा हूँ वो ये है की यह एक ऐसी संख्या है जिसका वर्ग संख्या से 1 अधिक
होता है.
मोनालिसा की पेंटिंग में इस
संख्या के प्रयोग को देखा जा सकता हैं
डॉ राजेश कुमार ठाकुर
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