क्या आप जानते हैं ?
संख्याओं
का संसार भी बड़ा ही अजब है. हर कोई संख्या का दीवाना है. रामानुजन ने संख्याओं को
अपना मित्र बताया. पाइथागोरस ने संख्याओं के ज्यामितिक आकृति के हिसाब से संख्या
के अलग- अलग नामकरण किया जिनमे – त्रिभुजाकार संख्या, वर्ग, घन, पंचभुज, चतुष्कोण संख्या इत्यादि प्रमुख है. बीमार रामानुजन को जब हार्डी
1729 नम्बर के कार में बैठ कर उनसे मिलने अस्पताल आये और उन्होंने इसे एक नीरस
संख्या बताया तो ये रामानुजन ही थे जिन्होंने इसे ऐसी छोटी संख्या बताया जिसे दो
घनों के रूप में दो तरीके से लिखा जा सकता था. 1729
= 10^3 + 9^3 = 12 ^3 + 9 ^3.
एक कार
के नम्बर प्लेट से निकली संख्या किस तरह से कमाल दिखा सकती है यह रामानुजन जैसा
विरला ही सोच सकता है. इसी क्रम में दूसरी संख्या 4104 है – 4104 = 2 ^3 + 16^3 =
9 ^3 + 15 ^3. तथा तीसरी संख्या 13382 = 18 ^3 + 20^3 = 2 ^3 + 24 ^3 है . अब एक
और कमाल की बात – अल्बर्ट विलान्सकी एक बार अपने जीजा जी के घर पर गये. उन्होंने
पाया की उनके जीजा का फोन नम्बर 4937775
है जिसका गुणनखंड 3 x 5 x 5 x 65837 आता है. साथ ही टेलीफोन नम्बर के सभी अंकों का
योग उसके गुणनखंड में प्राप्त संख्याओं के अंको के योग के बराबर होता है. 493775
:- 4 + 9 + 3 + 7 + 7 + 7 + 5 = 42 तथा इनके गुणनखंड में प्रयुक्त संख्याओं के
अंको के योग के बराबर होता है 3 + 5 + 5 + 6 + 5 + 8 + 3 + 7 = 42. चूँकि फोन
नम्बर हेरोल्ड स्मिथ का था इसलिए इस संख्या का नाम स्मिथ संख्या पड़ गया. इस समूह
का पहला संख्या 22 है. 22 = 2 x 11 : 22 (2 + 2 = 4 ) – 2 + 1 + 1
अब ऐसे
ही एक अनोखी संख्या कापरेकर संख्या की बात करते हैं. ऐसी संख्या जिनके वर्ग से
प्राप्त संख्या में प्रयुक्त अंको को जोड़ने पर मूल संख्या मिल जाए तो इसे कापरेकर
संख्या कहते हैं
99^ 2 =
9801 ; 98 + 01 = 99 45^2 =
2025 ; 20 + 25 = 45
297^2 =
88209 ; 88 + 209 = 297
कापरेकर नासिक में जन्मे एक भारतीय गणितज्ञ थे जिन्होंने
मनोरंजनात्मक गणित को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
गणित में कई बार ऐसे खोज के पीछे गणितज्ञ पागल हो जाते हैं
जिसका कोई खास मकसद तो नहीं होता और ना ही उसका कोई उपयोग है पर दिमागी कसरत और
कुछ नया करने के फतूर में कुछ ऐसा हो जाता है जो आपके काम को अलग दिखाती है. अब तक
आपने इमानदार व्यक्ति के बारे में तो सुना है पर संख्याये भी इमानदार होती है. ऐसी
संख्या जिसे लिखने में उतने ही अंग्रेजी के अक्षर की जरूरत पड़े जो उस संख्या का
वास्तविक मान है तो ऐसे संख्या इमानदार संख्या कहलाते हैं.
चार को अंग्रेजी में FOUR लिखते हैं और FOUR लिखने में सिर्फ चार ही अक्षर की आवश्यकता पड़ती है. इसी
क्रम में दूसरी संख्या जो इमानदार है वो है आठ – EIGHT अगर उसे TWO CUBED अर्थात दो का घन के रूप में लिखा जाए दस
(TEN) को HALF A SCORE लिखने पर इनमे प्रयुक्त अक्षरों की कुल संख्या का योग संख्या
के वास्तविक मान के बराबर हो जाता है.
डॉ राजेश कुमार ठाकुर
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