संख्या
गिनती की संख्या “ प्राकृत “ कहलाती है
शून्य जोड़ते ही “ पूर्ण “ बन जाती है
अगर “ ऋणात्मक ” अंक साथ में जोड़ा जाये
यह संख्या “ पूर्णांक” समूह बतलाती है .
p/q के रूप में संख्या को लिख सको तुम
“ भिन्नात्मक संख्या ” परिमेय बन जायेगा
लेकिन शर्त मानना पड़ेगा यारों फिर
q का मान “शून्य ” न होने पाए
शून्य “अंश” में होते ही फिर होगा अंत
अगर डाल दिया “हर” में तो हो – अनंत
पाइथागोरस ने खोजी थी कुछ ऐसी संख्या
जिसका मान अनंत काल तक चलता जाता
√2 , √3 ... ऐसी ही संख्या है
जिसका समूह फिर “अपरिमेय ” कहलाता
आत्मनिर्भर होती है , कुछ संख्याये भी
जो सिवा स्वयं न आती किसी पहाड़े में
ऐसा संख्या समूह “अभाज्य ” कहलाता है
जो साथ 1 लड़ जाती है अखाड़े में
---- डॉ राजेश कुमार ठाकुर
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