Sunday, June 4, 2017

संख्याओं के प्रकार - कविता




संख्या

गिनती की संख्या “ प्राकृत “ कहलाती है
शून्य जोड़ते ही “ पूर्ण “ बन जाती है
अगर “ ऋणात्मक ” अंक साथ में जोड़ा जाये
यह संख्या “ पूर्णांक” समूह बतलाती है .

p/q के रूप में संख्या को लिख सको तुम
“ भिन्नात्मक संख्या ” परिमेय बन जायेगा
लेकिन शर्त मानना पड़ेगा यारों फिर
q का मान “शून्य ” न होने पाए

शून्य “अंश” में होते ही फिर होगा अंत
अगर डाल दिया “हर” में तो हो – अनंत

पाइथागोरस ने खोजी थी कुछ ऐसी संख्या
जिसका मान अनंत काल तक चलता जाता
√2 , √3 ... ऐसी ही संख्या है
जिसका समूह फिर “अपरिमेय ” कहलाता

आत्मनिर्भर होती है , कुछ संख्याये भी
जो सिवा स्वयं न आती किसी पहाड़े में
ऐसा संख्या समूह “अभाज्य ” कहलाता है
जो साथ 1 लड़ जाती है अखाड़े में


---- डॉ राजेश कुमार ठाकुर

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