Wednesday, July 12, 2023

a/b ÷ c/d = ad/bc क्यों हो जाता हैं ?

 

भिन्न में भाग


छोटे बच्चे के मन में एक प्रश्न अक्सर उठता है कि भिन्न में भाग देते समय दायीं ओर के भिन्न को पलटने कि आवश्यकता क्यों पड़ती है. मान लिया ये एक नियम है पर ऐसे नियम के पीछे क्या गणितीय राज छिपे हैं? किसी विषय को आसान बनाने के लिए हम अक्सर उसमें हम कुछेक शब्दों को जोड़ एक स्मृति सहायक शब्द (mnemonic) बना लेते है जिससे कार्य करना आसान हो जाता है. भिन्न के भाग के लिए KCF (KeepChangeFlip) स्मृति सहायक हैं जिसका अर्थ है पहले भिन्न को वैसा ही रखना है (keep) – चिन्ह को बदलना (Change) करना है , अर्थात भाग को गुणा से बदलना है – और दुसरे भिन्न को पलटना (Flip)  करना है.  अब ये तो बात हो गयी समझने की जिससे आप पहले से ही वाकिफ़ हैं. आगे इसके कारणों को समझने का प्रयास करते हैं. 


2 का व्युत्क्रम ½ होता है और किसी संख्या को उसके व्युत्क्रम के साथ गुणा करने पर उत्तर 1 आता है- अर्थात 2 x ½ = 1. इसी प्रकार किसी संख्या को 1 से भाग देने पर परिणाम वही संख्या आती है. जैसे - 1000 / 1 = 1000,  यहाँ तक समझना विल्कुल आसान है.

दिए उदाहरण में   


को हल करना है. यहाँ अंश और हर में 2/5 के व्युत्क्रम 5/2 से गुणा कर दिया गया है ताकि हर 1 हो जाये. और किसी संख्या को 1 से भाग देने पर परिणाम में कोई फर्क नहीं पड़ता. चूँकि गणितीय प्रश्नों को हल करते समय हम इतनी सारी गंतिविधियों को दिखाने कि जगह सिर्फ भाग देने वाले भिन्न को पलट कर अपना समय बचा लेते हैं और जल्द उत्तर प्राप्त कर लेते हैं. आप इसे अन्य तरीके से भी समझ सकते हैं. भाग का अर्थ है – किसी संख्या के व्युत्क्रम से गुणा करना. 


 यहाँ आप देख पा रहे हैं कि भाग देने वाली संख्या पलट जाती है और जिस संख्या में भाग दिया जा रहा है उसके साथ गुणा हो जाती है.

इतिहास कि नजरों से :- भिन्न को अंग्रेजी में fraction कहते हैं जो लैटिन शब्द fractus से बना है जिसका अर्थ है टुटा होना. मिस्र में एक राजा थे जिनका नाम था होरस. एक धर्मयुद्ध में उनके आँखों में एक तीर लग गया और उसके 6 टुकड़े हो गये. चूँकि आँख एक था और टुकड़े 6 थे जो


 क्रमशः 

 इसलिए मिस्र के लोग इकाई भिन्न का प्रयोग करने लगे. ऐसे मान्यता के अनुसार ये छः हिस्से अलग- अलग मानवीय बोध का द्योतक हैं. 1/2 गंध ,1/4 दृष्टि , 1/8 विचार, 1/16 सुनने , 1/32 स्वाद तथा 1/64 स्पर्श का प्रतिनिधित्व करता है.

भिन्न के लिखने के तरीकों में समय के साथ बदलाव होता रहा.  भारत कि बात करें तो स्थानांग सूत्र जो एक जैन ग्रन्थ है जिसका काल 150 ईसा पूर्व है में भिन्न और उसकी संक्रिया का उल्लेख मिलता है, भिन्न के बारे में आधुनिक समय में आर्यभट ने भिन्नराशि का प्रयोग किया है और इसी कर्म में ब्रह्मगुप्त और भास्कराचार्य ने भी अपनी पुस्तकों में भिन्न का उल्लेख और इससे सम्बंधित संक्रियाओं का उल्लेख किया है परन्तु भिन्न को लिखने में रेखा कि प्रथा उन दिनों नहीं थी. भास्कर (प्रथम) ने भिन्न को जिस तरीके से अपनी पुस्तक में उल्लेख किया है उसका आधुनिक अर्थ नीचे दिखाया गया है


मोरक्को के मुस्लिम गणितज्ञ अल- हसर ने भिन्न में अंश और हर के बीच क्षैतिज रेखा का प्रयोग पहली बार किया परन्तु यह आज के जैसे नहीं था. वो लिखते हैं कि अगर आपको तीन का पांचवा हिस्सा और पांचवे हिस्से कि तिहाई एक साथ लिखनी हो तो इसे आप

 लिखेंगे. अरब से यह निशान इटली पहुंचा और फिबोनिकी के प्रयास से यह आगे बढ़ा परन्तु पुरे यूरोप में भिन्न में रेखा का प्रयोग 16 वी शदी तक प्रयोग में आया. वही तिरछी रेखा( 18/7) द्वारा भिन्न दिखाने का सफल प्रयोग 1845 में डी मॉर्गन द्वारा किया गया.



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गणित और रामायण

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