Tuesday, July 15, 2025

555 से 666 तक का सफर

 

क्या आप जानते हैं ?

धरती पर रहने वाले समस्त व्यक्ति को यह पता तो है कि पृथ्वी गोल है पर आपको यह जानकर बेहद ख़ुशी होगी की सूर्यसिद्धांत के भूगोल अध्याय में इसका विवरण मिलता है –

सर्वत्रैव महीगोले स्वस्थानं उपरिस्थितं मन्यते

खे यतो गोलस्त्स्य क्वोधर्व क्य च व्याप्यधः

अर्थात, पृथ्वी गोल है अतः इसपर रहने वाले समस्त जीवों को यह लगता है की वह इसके उपर स्थित है जबकि पृथ्वी का केंद्र नीचे की ओर स्थित है.

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आर्यभट ने 5 वी शदी में पृथ्वी के गोल होने की बात की थी जिसे पश्चिमी वैज्ञानिकों ने 14 वी शदी में में माना. आर्यभट ने 499 इसवी में लिखी अपनी पुस्तक आर्यभटीय के चौथे अध्याय के छठे श्लोक में पृथ्वी के गोल होने की बात की है

वृतभपञ्रमध्ये कक्ष्यापरिवेष्टितः खमध्यगतः |

मृज्ज्लशिखिवायुमयो भगोल: सर्वतो वृतः ||

पृथ्वी एक ग्लोब जैसे गोलाकार फ्रैम के केंद्र में अंतरिक्ष में निलंबित रहता है जो ग्रहों की कक्षाओं से घिरा होता है और स्वयं इसके केंद्र में रहता है ; यह पानी, मिट्टी, आग और हवा का हिस्सा है और गोलाकार है.

पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में भी आर्यभट ने बताया . वो लिखते है की सभी वस्तुएं हमारे गृह की सतह से चिपकी हुई है जैसे गोलाकार कदम्ब के फूल की पंखुडियां.

आर्यभट ने निकोलस कॉपरनिकस से लगभग 1000 वर्ष पहले ही पृथ्वी के अपने धुरी पर घुमती है की घोषणा की और ये भी बताया की पृथ्वी के घूर्णन के कारण ही दिन और रात होते है.

दक्षिण भारत के विजयनगर साम्राज्य के राजा बुक्का के दरबार में कार्यरत एक मंत्री सायन जो वैदिक साहित्यों के विद्वान माने जाते थे ने ऋग्वेद के एक श्लोक की टिप्पणी और उसपर व्याख्या कर हमे यह बताया की प्रकाश की गति 186,413.22 मील/ सेकेण्ड है.

तथा च स्मर्यते योजनानां सहस्रे द्वे द्वे शते द्वे च योजने एकेन निमिषार्धेन क्रममाण नमोस्तु ते इति

हे सूर्य, आपको नमन है. आप आधे निमिष में 2202 योजन की दुरी तय करने में सक्षम हैं.

एक योजन में 9 मील 110 गज होता है जिसका मान 9.06625 होता है. महाभारत के शांति पर्व के अनुसार आधा निमिष का मान 8/75 सेकंड होता है. अर्थात

= 2202 x 9.066 मील प्रति 8/75 सेकंड
= 187156.2375
प्रति सेकंड है.

अब कुछ मजेदार बात करते हैं.

एक संख्या है 555. थाई भाषा में 5 को हा कहते हैं और इस तरह जब किसी युवा को कोई हंसी के लिए या कोई मजेदार चुटकुला सुनने के बाद अपनी प्रतिक्रिया को सन्देश रूप में भेजना होता है तो वो 555 लिखते हैं. इसी तरह एक और संख्या है जो और भी मजेदार है वो है – 666. गणित में इसे जानवर रूपी संख्या कहते है. इसे अशुभ माना जाता है और बाइबिल में इसका जिक्र भी मिलता है. शायद इसीलिए जब आप लूडो खेलते है और आपके तीन लगातार बार 6 आ जाये तो आपको अशुभ मानकर दुबारा अपना चाल चलना पड़ता है. पर इसके गणितीय और कुछ मजेदार पक्ष पर बात करें. पहले 36 प्राकृत संख्याओं का योग 666 होता है.

1 + 2 + 3 + - - - + 36 = 666

सबसे मजे की बात ये है की इसे 1 से 9 तक के लगातार संख्याओं का प्रयोग करते हुए अनोखे रूप से लिखा जा सकता है. 666  = 9 + 87 + 6 + 543 + 21 = 123 + 456 + 78 + 9 = 1 + 2 + 3 + 4 + 567 + 89

अंत में पहले 7 अभाज्य संख्याओं के वर्गों का योग भी यही मजेदार संख्या है.

 2^2+3^2+5^2+7^2+11^2+13^2+17^2=666,

डॉ राजेश कुमार ठाकुर

 

 

 

 

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