Tuesday, July 15, 2025

मित्रवत संख्या

 

क्या आप जानते हैं ?

संख्या 9 का संसार बड़ा अनोखा है. आपको पता है की किसी संख्या को 9 से गुणा करने पर प्राप्त परिणाम के अंको को योग करने से अंतिम परिणाम 9 ही आता है. मसलन 12 x 9 = 108 और 108 के अंको का योग 1 + 0 + 8 = 9. इसी नियम का प्रयोग करते हुए अलग- अलग सिद्धांत – नवांश या नौ की अधिकता या चीनी शेषफल प्रमेय का जन्म हुआ जिसका प्रयोग गणित में आधारभूत संक्रियाओं की शुद्धता की जांच करने में किया जाता है. अब अगर आपको 8 अंको की ऐसी संख्या चुनने के लिए कहा जाये जिसके सभी अंक अलग हों तथा जिसे 9 से गुणा करने पर एक नौ अंक की ऐसी संख्या मिले जिसमें सभी नौ अंक (1 से लेकर 9 तक के अंक) मौजूद हों तो आपके कुछ हल इस प्रकार होंगे – 

81, 274, 365  9 = 731, 469, 285                            72,645,831  9 = 653, 812,479

58,132,764  9  = 523, 194, 876                             76,125,483  9 = 685, 129, 347

संख्या के इसी अनोखे संसार को आगे बढ़ाते हुए अब हम एक अवधारणा की बात करेंगे जिसे 3n + 1 सिद्धांत या कोलाज अनुमान या अभिगृहीत कहते हैं. लोथर कोलाज ने अपनी पीएचडी की डिग्री मिलने के दो वर्ष उपरांत 1934 में विषम संख्या को 3 से गुणा कर 1 जोड़ने और सम परिणाम को 2 से भाग देने की लगातार अवस्था में अंतिम परिणाम 1 होने की घोषणा की. इसे 4 – 2 – 1 पहेली भी कहते हैं.

मान लीजिये आपने एक संख्या 12 ली है जो सम संख्या है तो प्रथम चरण में इसे 2 से भाग दें और इस प्रकार परिणाम 6 आया, यह सम है इसलिए इसे पुनः 2 से भाग दें और इस तरह परिणाम 3 आया जो विषम है और इस कारण इसे 3 से गुणा कर इसमें 1 जोड़ना पड़ेगा. यही प्रक्रिया दोहराएँ और परिणाम 4 – 2 – 1  प्राप्त होगा.

12 ->6 ->3->10->5 - > 16 ->8 ->4 ->2 ->1

संख्या की ऐसी ही विशेषता समेटे जब पाइथागोरस ने देखा की यदि 6 के गुणनखंड (स्वयं को छोडकर )1, 2 एवं 3 का योग संख्या 6 के बराबर हो गया अर्थात S(n) = n जैसे S(6) = 1 + 2 + 3 = 6 तो इन्हें परिपूर्ण संख्या कहा गया और पाइथागोरस ने इसी क्रम में यह पाया की S(220) = 284 तथा S(284) = 220 तो ऐसी संख्याओं को मित्रवत संख्या कहा. यहाँ 220 के गुणनखंड का योग 284 तथा 284 के गुणनखंड का योग 220 होता है .

1 + 2 + 4 + 5 + 10 + 11 + 20 + 22 + 44 + 55 + 110 = 284 तथा 1 + 2 +  4 + 71 + 142 = 220

बाइबिल में परिपूर्ण संख्या से सम्बंधित जानकारी तो मिलती ही है पर साथ ही कुछ ऐसे उदाहरण मिलते हैं जिससे यह पता लगता है कि बाइबिल में मित्रवत संख्या का समझदारी से प्रयोग किया गया है. याकूब ने अपने भाई एसाब का प्यार पाने के लिए और उससे दोस्ताना सम्बन्ध रखने के लिए उसे भेंट में 220 बकरियां और 220 भेड़ें उपहार में दी क्योंकि वह जानता था 220 के गुणनखंड के योग से प्राप्त नई संख्या 284 अपने अंदर तिलस्मी ताकत समेटे हुए हैं . पाइथागोरस के अलावा युक्लिड ने मित्रवत संख्या के युग्मों के बारे में अपनी पुस्तक एलिमेंट में लिखा और इसे निकालने का एक सूत्र भी दिया पर 9वीं शदी में इब्न कुर्रा ने पाया की अगर 

                                  

अभाज्य संख्याओं के समूह हों तो         


मित्रवत संख्या के समूह बनाते हैं.  यदि n = 2 हो तो 11, 5, 71 अभाज्य संख्या के समूह से पहला मित्रवत युग्म 220 तथा 284 मिलता हैं. यूलर और फर्मा ने 64 ऐसे युग्मों की खोज की पर इसमें 2 युग्म गलत थे. 1866 इसवी में निकोलो पगिनिनी  जो मात्र 16 वर्ष के थे ने  दूसरी मित्रवत  संख्या (1184,1210) की खोज की जो अबतक नहीं खोजी जा सकी थी.  जो इस बात को इंगित करता है की गणित को अपन मित्र बनाने के लिए आपको इसे प्यार करना ही पड़ेगा.

डॉ राजेश कुमार ठाकुर

No comments:

Post a Comment

बारिश में अधिक कौन भीगेगा

  क्या आप जानते हैं – अली नेसिन को टर्की में गणित ग्राम की स्थापना और गणित के प्रचार -प्रसार के लिए 2018 में लीलावती पुरस्कार प्रदान किया ...