Tuesday, July 15, 2025

पुष्पमाल संख्या

 

क्या आप जानते हैं ?

गणित सब पढना और सीखना चाहते हैं पर असल में गणित जानने वाला है कौन – वो छात्र जो परीक्षा में 100 अंक ले आये या वो शिक्षक जिसने गणित की कई परीक्षाओं में अपना सर्वोतम देने का प्रयास किया है ? महावीराचार्य के अनुसार गणितज्ञ के अंदर 8 खूबी मौजूद होनी आवश्यक हैं ---

लघुकरणोहापोहानालस्यग्रहणधारणोपायैः।

व्यक्तिकरांकविशिष्टैर् गणकोऽष्टाभिर् गुणैर् ज्ञेयः॥

 एक गणितज्ञ को आठ गुणों से जाना जाता है: संक्षिप्तता, अनुमान, विश्वास, कार्य और प्रगति में जोश, समझ, मन की एकाग्रता , समाधान खोजने की क्षमता और जांच द्वारा सत्य को उजागर करना।

गणित संसार के रहस्यों को उद्घाटन करने का एक जरिया है और शायद इसीलिए गॉस इसे सभी विषयों की रानी तो कोई गणित को सर्पों के सर पर जडित मणि से तुलना करता है. महावीराचार्य जो मैसूर के राजा अमोघवर्ष के दरवारी थे ने अपनी पुस्तक गणित सार संग्रह जिसे अंकगणित की प्रथम पुस्तक कहा जाता है में गणित को इस प्रकार परिभाषित किया है –

लौकिके वैदिके वापि तथा सामयिकेऽपि यः।

व्यापारस्तत्र सर्वत्र संख्यानमुपयुज्यते॥

तीनों लोकों में मौजूद सभी चीजें गणित के मजबूत नींव के बिना मौजूद नहीं रह सकती.

महावीराचार्य की पुस्तक जिनमें 9 खंड हैं में सबसे मजेदार हैं – रुपान्शक भिन्न. रूपांशक भिन्न  ऐसा भिन्न है जिसका अंश एक हो. मिस्र के गणितज्ञ ने अहमस पेपिरस (1550 ईसा पूर्व) में इकाई भिन्न से सम्बंधित एक सारिणी पुस्तक में दी है जिसे  सारिणी भी कहते हैं , जहाँ n का मान 1 से 49 तक लिया गया था.

इसे दुसरे प्रकार से भी लिख सकते हैं -

महावीराचार्य ने इकाई भिन्न के लिए 6 नियम प्रतिपादन किये.

अ)   1 से आरम्भ करके 1/3 से गुणा करते हुए संख्या लिखना अब पहले हर को 2 और अंतिम हर को 2/3 से गुणा कर समस्त भिन्नों को जोड़ दें|  1 =   

आ)  दूसरी विधि थोड़ी आसान है -                                                                            

इसके अलावा पुस्तक में 5 और विधि है.  अब इसी पुस्तक से लिए एक प्रश्न की बात करें

जम्बूजम्बीरनारंगचोचमोचाम्रदाडिमम | अक्रषीद्द्त्यपडभागद्वादशांशकविन्शकै:

हेम्नस्त्रिशचतुविर्शेनाष्टमेन यथा क्रमम | श्रावको जिनपूजायै त्ध्योगे कि फलं वद

एक श्रावक ने जिन पूजा के लिए जम्बूफल , निम्बू , नारंगी , नारियल , केले , आम और अनार क्रमशः स्वर्ण मुद्राओं के खरीदे , मुझे बतलाओं की जब इन भिन्नों का योग किया जाय तो क्या परिणाम होगा .

महावीराचार्य ने अपनी पुस्तक में पुष्पमाल संख्या का भी जिक्र किया है जिसे हम पेलिंड्रोम संख्या भी कहते हैं. यह संख्याएं बाएं और दायें से पढने में एक समान दिखती हैं

अनलाब्धिहिमगुमुनिशरदुरिताक्षिपयोधिसोममास्थाप्य

शैलेन तू गुणयित्वा कथय त्वं राजकन्ठिकाभरणं  ||

142857143 को 7 से गुणा करो और राजा के लिए 142857143 मोतियों की माला बनाओं . यहाँ मोतियों की संख्या एक पुष्पमाल संख्या है जिसे आप किसी तरह से पढ़िए एक समान प्रतीत होगा. इस युग में जो व्यक्ति 1991 और 2002 इसवी के साक्षी रहें है वो हजार साल में दो पुष्पमाल वर्ष में रहने वाले पहले व्यक्ति होंगे. अब सवाल है ऐसे संख्या का निर्माण कैसे करें. किसी संख्या और उसके अंको को विपरीत क्रम में रख इन्हें जोड़ने से पुष्पमाल संख्या का निर्माण होता है.

23 + 32 = 55  या अगर संख्या 75 हो तो 75 + 57 = 132 => 132 + 231 = 363  अगर संख्या 86 हो तो 86 + 68 = 154 => 154 + 541 = 605 => 605 + 506 = 1111 . यदि संख्या 98 हो तो आप 24 चरणों में पुष्पमाल संख्या प्राप्त कर सकते हैं और यदि आपने संख्या 196 से आरम्भ किया तो आगे आप खुद देख लें की आप कितने चरणों के बाद ऐसी मनमोहक संख्या पाते हैं.

डॉ राजेश कुमार ठाकुर

 

 

 

 

 

 

 

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