गणित के इतिहास में मिस्र और बेबीलोनियन द्वारा किये गये कार्यों से विश्व को एक ठोस और प्रमाणिक जानकारी देने का श्रेय ऑस्ट्रियाई गणितज्ञ ओटो न्यूगेबॉयर को जाता हैं जिन्होंने प्राचीन गणित और खगोल विज्ञान के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया. मिस्र के लोगों के द्वारा प्राचीन समय लगभग 3100 ईसा पूर्व में भी बड़ी- बड़ी संख्या लिखने का प्रमाण ऑक्सफ़ोर्ड म्यूजियम में स्थित एक विशाल गदा पर अंकित अंको से पता चलता है. यहाँ आपको उसी विशालकाय गदा के आगे और पीछे का चित्र दिखाया गया है. इस गदे पर अंकित चित्र में मिस्र के राजा जो सबसे बायीं ओर एक ध्वज के नीचे बैठे हैं के सामने बंदी सैनिक, बैल, और बकरी को पेश करते हुए दिखाया गया हैं . इस गदे पर चित्रलिपि जो मिस्र की एक लिपि है में 120000 कैदी , 400000 बंदी बनाए जानवर और 1422000 बंदी बनाए बकरी का उल्लेख मिलता हैं जो मिस्र के लोगों की गणितीय क्षमता को प्रदर्शित करता है.
ऐसा नहीं है की सिर्फ मिस्र ने ही गणित को सबकुछ दिया बल्कि सुमेर के लोगों के द्वारा गणित के क्षेत्र में किये कार्यों को कोई नजरअंदाज नहीं कर सकता है. सुमेर या बेबीलोनियन को सिक्के के प्रयोग से पहले हीं व्याज, खाता-बही, नाप- तौल इत्यादि के बारे में अच्छी जानकारी थी. अंकगणित के अलावा बेबीलोन के लोगों को ज्यामिति में भी बड़ी दिलचस्पी थी. ऑस्ट्रियाई गणितज्ञ ओटो न्यूगेबॉयर के अनुसार 2000 – 1600 ईसापूर्व तक बेबीलोनियन के द्वारा कई ज्यामितिक उत्पत्ति के प्रयोग के प्रमाण मिले हैं जिनमे –
आयत
का क्षेत्रफल उनके आसन्न भुजाओं के गुणनफल के बराबर होता हैं – समकोण त्रिभुज के
क्षेत्रफल का मान समकोण बनती भुजाओं के गुणनफल के आधे के बराबर होता है – अर्धवृत
का कोण समकोण होता है – व्यास का मान वृत्त की परिधि का एक तिहाई होता है तथा
वृत्त का क्षेत्रफल इसके परिधि के वर्ग का बारहवां हिस्सा होता है – इसके अलावा घन,
बेलन के आयतन सम्बन्धी भी कई जानकारी उनके पास मौजूद थी. छिन्नक का आयतन तथा
वर्गाकार पिरामिड का आयतन निकालने का भी उनके पास सूत्र मौजूद था. यदि वर्गाकार
पिरामिड के वर्गाकार आधार की लम्बाई अगर a
और b हों तो तथा इसकी ऊंचाई h
हो तो इनका आयतन V का मान –
होगा.
हीरोन को इस सूत्र के बारे में लगभग 1700 वर्ष बाद पता चला. सबसे मजेदार खोज तो ओटो न्यूगेबॉयर नें प्लिम्पटन 322 पट्टी के खोज
के दौरान पाया. यह पट्टी कोलंबिया विश्वविद्यालय में मौजूद हैं. इस पट्टी पर
पाइथागोरस त्रिक को सिद्ध करते हैं. यदि l सबसे
बड़ी भुजा , s छोटी भुजा और h
कर्ण हो तो इस पट्टी में पहले दोनों सारिणी में h
तथा s और तीसरी सारिणी में h/l
का वर्ग दिखाया गया हैं . 15 पंक्तियों में समकोण त्रिभुज की
भुजाओं पर बनी इस पट्टी में 13 त्रिभुजों की भुजाएं अभाज्य संख्या हैं तथा सबसे
बड़ी त्रिभुज की भुजाएं क्रमशः 650700 , 649909 तथा 1080541 है.
बेबीलोनियन गणित की जानकारी फ्रांस के म्यूजियम में रखे एक पट्टी से मिलता हैं जिसपर
1 + 2 + 2^2 + - - - + 2^9 = 2^9 + 2^9 – 1 तथा 1.1 + 2.2 + 3.3 + - - - -+ 10.10 = (1
इस लूव्र संग्रहालय में रखे पट्टी जो 300 ईसा पूर्व की है
पर चार सवाल लिखे हुए हैं जो आयत जिसका क्षेत्रफल 1 इकाई है और उसकी अर्ध परिमाप
पर आधारित हैं . यदि किसी आयत की भुजा x,
y हो तथा इसकी अर्ध परिमाप a
हो तो xy = 1
तथा x + y
= a हो तो इस प्रश्न को सूत्र की मदद से हल
करने पर एक द्विघात समीकरण आता है जिसका मान
आता है और बेबीलोनियन को ऐसे समीकरण का धनात्मक
मान निकालना आता था.
डॉ
राजेश कुमार ठाकुर
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