जैसा
की पिछले अंक में बताया गया था की रामानुजन की माँ मंदिर में भजन गाती थीं , आज की
श्रृंखला यहीं से आगे बढ़ाते हैं.
1. रामानुजन की माँ कोमलतम्म्ल सारंगपाणी मंदिर में
भजन गाती थी और इसका प्रभाव रामानुजन के जीवन पर भी पड़ा. रामानुजन के अंदर धर्म ,
आध्यात्म और वैदिक ज्ञान की लालसा भी फलवती होती गयी. रामानुजन ने यूँ तो गणित की
शिक्षा किसी से नही ली पर भगवती नामगिरी देवी के वो अनन्य भक्त थे और उन्होंने
अपने ज्ञान का पूरा श्रेय विष्णुप्रिया नामगिरी को दिया. उनकी माँ बताती है की
रामानुजन कई बार गणित करते-करते सो जाते थे और आधी रात को उठकर अपने अधूरे काम को
करने लगते . रामानुजन का कहना था की सपने में आकर नामगिरी देवी उन्हें प्रश्नों को
हल करना सिखाती हैं. खैर, रामानुजन के गणितीय प्रतिभा की चर्चा पुरे जिला
में फ़ैल गयी थी. इस बात से उनके प्रशंसक काफी खुश थे पर कुछ मित्रों को रामानुजन
का गणित पर आधिपत्य रास नहीं आता और उनके मित्रों में से एक राजागोपालन ने उनकी
परीक्षा लेने के लिए एक मुश्किल सा दिखने वाला एक दो चरों वाले समीकरण को हल करने
को कहा जिसका उत्तर रामानुजन ने एक मिनट से भी कम समय में दे दिया. अब उस प्रश्न
को आप भी हल करने की कोशिश कीजिये.
इस
प्रश्न का उत्तर x = 4 , y = 9 आता है. ये घटना स्कूल के दिनों की हैं जब रामानुजन ने
दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की थी.
2. दसवीं की परीक्षा में रामानुजन ने फिर पुरे
प्रान्त में अपने ज्ञान का परिचय दिया और
दक्षिणी भारत के कैंब्रिज कहे जाने वाले कुम्भकोनम गवर्मेंट कॉलेज में दाखिला
लिया. कॉलेज में रामानुजन की दिलचस्पी गणित और गणितीय शोध में और हो गयी. वे अन्य
विषयों की कक्षा में भी सिर्फ गणित के प्रश्नों को हल करते. यह बात जब गणित के
प्राध्यापक पी. शेशु अय्यर को पता चला तो उन्होंने डांटने की वजाय गणित के
प्रश्नों को अपनी और अन्य कक्षा में हल
करने की छुट दे दी और साथ ही लंदन गणितीय गजट नामक जर्नल के प्रश्नों को हल करने
का सुझाव भी दिया. अब रामानुजन ने अन्य विषयों की पढाई बंद कर दी और गणित के
प्रश्नों को हल करना उनके दिनचर्या में शामिल हो गया. इसका दुष्परिणाम ये हुआ की
रामानुजन एफ.ए (इंटरमीडिएट ) की परीक्षा में अनुतीर्ण हो गये. घर और आस-पड़ोस के
मित्र उनकी हंसी उड़ायेंगे ये सोच रामानुजन ने घर छोड़ने का फैसला कर लिया. इस घटना
को उस समय की प्रतिष्टित अखबार हिन्दू में जगह मिली और परिणाम रामानुजन को उनके मित्र उनके घर ले
आये.
3. एफ.ए परीक्षा में पास होने के लिए दुबारा
रामानुजन ने 1904 एवं 1905 में पचियाप्पा कॉलेज में दाखिला लिया पर यहाँ भी किस्मत ने साथ नही दिया
और रामानुजन फिर असफल रहे. परन्तु इस दौरान ने ऑयलेर स्थिरांक का मान दशमलव के 15 अंकों
तक निकालने में सफलता पाई . रामानुजन की शादी इस बीच जानकी के साथ कर दी गयी जिससे
उनपर दोहरी मार पड़ गयी. एक तो असफलता और दूसरा पारिवारिक बोझ पर रामानुजन ने गणित
से अपन प्रेम कम नही होने दिया. रामानुजन ने इंडियन मैथमेटिकल सोसाइटी द्वारा
प्रकाशित जर्नल में बर्नौली संख्या पर अपन पहला शोध कार्य प्रकाशित करवाया और फिर घातीय
व्यंजक पर एक प्रश्न भी जो कुछ इस प्रकार था
पर छ: मास के बाद रामानुजन ने खुद इस प्रश्न का हल पत्रिका में
भेजा जिसमें प्रश्न का हल x
= 3 आया. आप स्वयं इसका मान निकालें और गणित का आनन्द लें.
डॉ राजेश कुमार ठाकुर
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