क्या आप जानते हैं
कैलकुलस
गणित की एक महत्वपूर्ण शाखा है जिसकी उत्पत्ति यूनानी भाषा के केलिकस शब्द से हुई.
इसका अर्थ है कंकड़ का छोटा टुकड़ा. 15 वी शदी ईशापूर्व में रोम के एक इंजीनियर
विटरुवियस ने एक पहिया जिसकी परिधि ज्ञात
थी द्वारा घुमने के उपरांत तय दुरी ज्ञात करने के लिए इसे एक छोटे फ्रेम के अंदर इस तरह बिठाया की
इसे जमीन के अनुदिश हाथ से घुमाने पर इसमें रखे पत्थर हर एक चक्कर में एक के हिसाब
से पत्थर गिरना शुरू हो गया और इस तरह से पहिये द्वारा तय दुरी को पत्थरों की
संख्या की मदद से ज्ञात करना आसान हो गया. कहते हैं आर्कमिडीज
और पाइथागोरस भी पत्थरों के छोटे दाने की मदद से गणितीय रचना करते थे. पाइथागोरस
ने तो इन पत्थरों को ज्यामितिक रूप में सजाते हुए – त्रिभुजाकार , चतुष्फलक,
पंच्भुजाकर, पिरामिड ... की आकृति तक बनाई
और मामूली सा दिखने वाला ये पत्थर गणित को जीवंत कर गया.
छोटे छोटे पत्थरों की
मदद से आप ऐसे त्रिभुज के आकार में संख्या को निरुपित कर सकते हैं. यहाँ संख्या का
अनुप्रयोग करके आप एक पैटर्न बना सकते हैं जिसकी मदद से आप किसी भी त्रिभुजाकार
संख्या में उपयोग लायी जाने वाली पत्थरों की संख्या को गिन सकते हैं. यदि आप
इन्हें ध्यान से देखें तो आपको ज्ञात होगा की ये 1 + 2 + 3 + - - - + n = सूत्र पर आधारित हैं. मान लीजिये की किसी लाल
बत्ती पर कुछ गाड़ियाँ कतार में एक के पीछे एक खड़ी है और हर बार हरी
बत्ती जलने पर 1, या दो या कुछेक गाड़ियाँ
सिग्नल पास करती है यदि कतार में n गाड़ियाँ हो तो लाल
बत्ती के हरे होने और पुनः लाल होने के बीच कितनी गाड़ियाँ बत्ती पार करेगी. इसे आसानी से समझने के लिए मान लीजिये की तीन
गाड़ियाँ कतार में खड़ी है जिन्हें हम A,B
एवं C कह सकते हैं अब हरी
बत्ती के लाल होने तक गाड़ियों के पार करने की निम्न सम्भावना है – एक बार बत्ती
बदलने में तीनों गाड़ियाँ पास हो जाये – ABC.
दूसरी सम्भावना है की एक बार बत्ती बदलने पर 1 और दूसरी बार 2 गाड़ियाँ गुजरती है –
पहली बत्ती बदलने पर A और दूसरी बार अन्य दो BC.
तीसरी सम्भावना है की पहली बत्ती पर 2और अगली बार 1 गाड़ी गुजरे – AB
और C और अंतिम सभावना है की हर बत्ती बदलने पर
सिर्फ एक ही गाड़ी गुजर पाए – A, B,C.
इन सब परिस्थितियों में एक बार बत्ती बदलने पर पार होने वाली कुल गाड़ी की संख्या - ABC, AB, BC, A, B, C
अर्थात 6 हैं.
वर्ग
संख्या को भी इन्ही पत्थरों की मदद से बनाया जा सकता है. अगर पत्थरों को आप
वर्गाकार रूप में सजाते हैं तो जो आकृति बनती है वो निश्चित रूप से 1,
4, 9,
16, 25,.
. . जैसी वर्ग संख्या है
अब इन
वर्ग संख्या में भी आप त्रिभुज संख्या के दर्शन कर सकते हैं. दो लगातार
त्रिभुजाकार संख्या का योग एक वर्ग संख्या है.
4 = 1
+ 3 9 = 3 + 6 16 = 6 + 10 25 = 10 + 15
पर
सबसे मजेदार बात ये है की कुछेक संख्या ऐसी है जिन्हें आप त्रिभुज और वर्ग दोनों
रूप में रख सकते हैं. आप भी पत्थरों को सजाने का प्रयास करें. एक उदाहरण तो आप
आसानी से बना सकते हैं – 1 त्रिभुज और वर्ग दोनों आकृति में रखा जा सकता है , इसी
क्रम में अगली संख्या 36 है जो त्रिभुजाकार और वर्गाकार संख्या दोनों है. अगली
संख्या थोड़ी बड़ी है - 1225, 41616, 1413721,---
संख्या
का संसार है ही निराला
डॉ
राजेश कुमार ठाकुर
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