क्या आप जानते हैं ?
डॉ राजेश
कुमार ठाकुर
गणित के क्षेत्र में अगर भारत के सबसे प्रसिद्ध गणितज्ञों की बात करें तो बरबस
ही श्रीनिवास रामानुजन का नाम हमारे दिमाग में आता है. एक ऐसा छात्र जिसने गरीबी
से ऊपर उठकर पुरे विश्व पटल में अपनी दृढ इच्छा शक्ति के जरिये अपना नाम अंकित किया. इनके नाम पर गणित के क्षेत्र में दो पुरस्कार
प्रदान किये जाते हैं जिनमे –रामानुजन मेडल, ICTP रामानुजन पुरस्कार और SASTRA रामानुजन पुरस्कार प्रमुख है. रामानुजन के नाम से सबसे पहले पुरस्कार स्थापित
करने का श्रेय इंडियन नेशनल साइंस अकादमी को जाता है जो 1962 से लगातार गणित के
क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति को श्रीनिवास रामानुजन मेडल देकर सम्मानित करती
है. सबसे पहले यह पुरस्कार एस. चन्द्रशेखर को 1962 में प्रदान किया गया था.
रामानुजन कुम्भकोनम के जिस घर में जन्मे आज उसी घर को एक मयूजिय्म बना दिया
गया है . SASTRA रामानुजन पुरस्कार भी कुम्भकोनम में एक अंतर्राष्ट्रीय
समारोह के दौरान 32 वर्ष से कम उम्र के किसी गणितज्ञ को रामानुजन के जन्मदिन 22
दिसम्बर को प्रत्येक वर्ष प्रदान किया जाता है. चूँकि रामानुजन की मृत्यु 32 वर्ष
की अवस्था में हुई थी इसलिए इस पुरस्कार के चयन के लिए 32 वर्ष की उम्र सीमा रखी
गयी है. यह पुरस्कार वर्ष 2005 से लगातार रामानुजन द्वारा शोध किये गये गणितीय
विषयों पर काम करने वाले किसी गणितज्ञ को 10000 अमेरिकी डॉलर पुरस्कार स्वरुप
प्रदान की जाती है. भारतीय मूल के मंजुल भार्गव को 2005 में और अक्षय वेंकटेश को
2008 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया और मजेदार बात यह है की इन दोनों को
2014 और 2018 में क्रमशः गणित के नावेल पुरस्कार कहे जाने वाले फील्ड मेडल से
सम्मानित किया गया.
वहीँ ICTP रामानुजन पुरस्कार इटली की संस्था इंटरनेशनल सेंटर फॉर
थ्योरेटिकल फिजिक्स द्वारा 45 वर्ष से कम उम्र के ऐसे शोधार्थी को प्रदान की जाती
है जिन्होंने विकसित देश में रहते हुए
रामानुजन से प्रभावित किसी विषय पर शोध किया हो. यह पुरस्कार भी पहली बार 2005 में
प्रदान किया गया. इस पुरस्कार के लिए भारत के विज्ञान और प्रोद्योगिकी विभाग तथा
नोर्वे अकादमी ऑफ़ साइंस एंड लेटर्स के द्वारा प्रदान किया जाता है.
भारत में गणित के क्षेत्र में अग्रणी संस्था अखिल भारतीय रामानुजन गणित क्लब
द्वारा भी प्रत्येक वर्ष रामानुजन पुरस्कार और आर्यभट पुरस्कार प्रदान किया जाता
रहा है. रामानुजन क्लब गुजरात के राजकोट में स्थित एक स्वयंसेवी संस्था है जो गणित
को बढ़ावा देने के लिए देश के कोने कोने में गणितीय परिचर्चा आयोजित करती है और
गणित में प्रतिस्पर्धा करती है . यह संस्था 1993 में डॉ चंद्रमौली जोशी ने स्थापित
की.
इनफ़ोसिस संस्था द्वारा भी प्रत्येक वर्ष अन्य क्षेत्रों के अलावा गणित के
क्षेत्र में भी काम करने वाले गणितज्ञों को 2008 से लगातार 1 लाख डॉलर पुरस्कार
स्वरुप प्रदान की जाती है. यह पुरस्कार इनफ़ोसिस साइंस फाउंडेशन द्वारा दिया जाता
है.
भारत के महान गणितज्ञों में से एक भास्कराचार्य की पुत्री लीलावती जिसपर
भास्कराचार्य ने गणित विषयक पुस्तक भी लिखी के नाम पर भी एक पुरस्कार – लीलावती
पुरस्कार प्रदान की जाती है. यूँ तो यह पुरस्कार
गणित के क्षेत्र में शोध की जगह गणित को जन-जन तक पहुँचाने हेतु दिया जाता
है पर इस पुरस्कार की स्थापना के बाद से ही इसके प्रति लोगों का रुझान कुछ इस कदर
रहा की इंटरनेशनल कौंसिल ऑफ़ मैथमेटिक्स द्वारा इसे प्रत्येक चार वर्ष में एक बार
इंटरनेशनल कौंसिल ऑफ़ मैथमेटिक्स की बैठक के समापन में प्रदान किया जाता है. भारतीय
मूल के गणित लेखक साइमन सिंह को 2010 में गणित को लोकप्रिय बनाने के लिए दिया गया.
इस पुरस्कार को इनफ़ोसिस फाउंडेशन द्वारा सहायता प्रदान किया जाता है .
भारतीय खगोल संघ द्वारा खगोल और अन्तरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में महती
उपलब्धि के लिए प्रत्येक वर्ष आर्यभट पुरस्कार प्रदान किया जाता है . यह संस्था
1958 में स्थापित की गयी और इस पुरस्कार में 1 लाख भारतीय रुपया प्रदान किया जाता
हैं.
डॉ राजेश कुमार ठाकुर
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