क्या आप जानते हैं ?
एलन टूरिंग कंप्यूटर कोडिंग के जनक माने जाते हैं. द्वितीय
विश्वयुद्ध के समय जर्मनी सेना के द्वारा भेजे गये कूट सन्देश को डिकोड करने का
काम एलन टूरिंग करते थे. मजेदार बात ये है की टूरिंग एक धावक भी थे और लंदन के
किंग्स कॉलेज में दाखिले के बाद उन्होंने दौड़ने के प्रति अपना रुझान दिखाना शुरू
किया. वो कैंब्रिज से एली तक रोज दौडकर आते जाते थे जिसकी दुरी करीबन 50 किमी थी.
नेशनल फिजिक्स लैब में नौकरी करने के बाद तो उन्होंने अपने दौड़ने की गति में जबरदस्त
सुधार किया. वे राकेट की तरह आवाज करते हुए सरपट दौड़ लगाते थे और जबतक कोई उन्हें
कुछ कहे वे आँखों से ओझल हो जाते. एक बार जब उनसे पूछा गया की वो इतना क्यों दौड़ते
हैं तो उन्होंने कहा – मेरी नौकरी मुझे मानसिक रूप से काफी थका देती है और इसी
तनाव को दूर करने के लिए मैं दौड़ता हूँ जिससे मैं शारीरिक रूप से भी थक जाऊ.
पढने के लिए एक विशेष ललक चाहिए और कोई भी मुश्किल आपके
हौसले के आगे झुक नहीं सकता इसका मिशाल आपको पीटर रामोस के जीवन में देखने को
मिलेगा. 1558 में पैदा हुए रामोस के पिता सडक बनाने का काम करते थे और इनकी कमाई
इतनी नहीं थी की घर में खुशियाली हो. इसी
बीच रामोस के पिता की मृत्यु से तो घर-परिवार पर एक आफत ही आ गयी. पढने -लिखने के
शौक़ीन रामोस पेरिस आ गये पर गरीबी इतनी थी की कोई काम नहीं मिलने से उन्हें अपने
घर वापस जाना पड़ा. रामोस ने अपनी जिजीविषा
बनाई रखी. 12 साल के रामोस को एक अमीर छात्र के पास खाना बनाने की नौकरी
मिल गयी. रामोस दिन में घरेलू काम- काज करते और रात में अपनी पढाई करते. इसी तरह
के छोटे-छोटे कार्यों को करते हुए रामोस ने अपनी मास्टर तक की पढाई पूरी की और
गणित के प्राध्यापक बन गये.
ऊंचाई किसे अच्छी नहीं लगती. सफलता के
बाद उस स्वाद को दुनिया तक बिना किसी लालच के पहुँचाना ही वास्तब में शिक्षा को
आगे बढ़ाने का काम करती है. 13 जून 1966 को जन्मे ग्रिगोरी पेरेलमन एक रुसी गणितज्ञ
हैं जिन्हें रीमान ज्यामिति,
टोपोलॉजी पर काम करने के लिए हम जानते है. 1996 में यूरोपियन गणित संघ द्वारा दिया
जाने वाला पुरस्कार इन्होने यह कह कर लेने से मना कार दिया क्योनी इनकी नजर में ये
इस पुरस्कार के योग्य नहीं हैं. 2006 में इन्हें फील्ड मैडल के लिए चुना गया पर
उन्होंने इस पुरस्कार को लेने से यह कह कर मना कर दिया की मैं पैसे या सोहरत का
भूखा नहीं हूँ और मैं चिड़ियाघर के जानवरों की तरह प्रदर्शनी में विश्वास नहीं
रखता. यहाँ यह जानना आवश्यक है की फील्ड मेडल को गणित के क्षेत्र में नोवल
पुरस्कार कहा जाता है और यह 40 वर्ष से कम के गणितज्ञों को उनके मौलिक शोध के लिए
दिया जाता है. इतनी ऊंचाई वाले पुरस्कार को पाना लोगों का सपना होता है पर ऐसे
पुरस्कार को पाकर उसे ठुकरा देने का साहस विरले के अंदर होता है. 2010 में
पोइंकारे अनुमान पर अपने खोज के लिए इन्हें पहला क्ले मिलेनियम पुरस्कार के लिए चयनित किया गया परन्तु एक मिलियन डॉलर के
इस पुरस्कार को लेने से पेरलमन ने मना कर दिया और साथ ही उन्होंने चयन समिति के
निर्णय पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया क्योंकि उनकी नजर में उनका खोज रिचर्ड एस
हैमिलटन के खोज की तुलना में नगण्य है. सफलता के साथ जब व्यक्ति के जीवन में एक
ठहराव आ जाये तो बाहरी आडम्बर,
पुरस्कार, अख़बार में नाम के लिए ललक
ये सब गौण हो जाता है और शोध का एक ही उद्देश्य हावी रहता है – मानवता की सेवा
क्योंकि इससे बढकर जीवन में कुछ भी नहीं है.
डॉ राजेश कुमार ठाकुर
No comments:
Post a Comment