क्या आप जानते हैं ?
आपने
शकुंतला देवी का नाम तो सुना ही होगा. शकुन्तला देवी जिन्हें मानव कंप्यूटर के नाम
से भी जाना जाता है. हाल ही में आपने उनके ऊपर बने फिल्म भी देखें होंगे. उनकी ही
जैसी गणितीय प्रतिभा के धनी एक अमेरिकन अश्वेत महिला कैथरीन जॉनसन थी जिनकी गणितीय
प्रतिभा का लोहा अमेरिकन स्पेस संस्था नासा में सभी गणितज्ञ और वैज्ञानिक मानते
थे. 1962 में नासा ने जॉन ग्लेन को स्पेसशिप में पुरे विश्व के चक्कर लगाने के लिए
चुना उन्हें पृथ्वी की कक्षा का तीन चक्कर लगाना था. नासा ने सभी कंप्यूटर को
स्पेशशिप के रास्ते के कंट्रोल करने के लिए तैयार किया और कंप्यूटर से सारी गणना
भी की गयी परन्तु जॉन ने सभी इंजिनियर से कहा- अगर कैथरिन इन सभी गणना को स्वयं
बिना कंप्यूटर की मदद से जांच कर सही बता दे तो मैं स्पेसशिप में बैठने के लिए
तैयार हूँ और जॉन सफलतापूर्वक पुरे विश्व की परिक्रमा कर इतिहास रच पाने में
कैथरिन की विश्वस्त गणना की वजह से सफल हो पाए. 24 फरवरी 2020 को 101 वर्ष की उम्र
में कैथरीन ने संसार को अलविदा कहा.
गणितीय प्रतिभा की बात
चली है तो लियोनार्ड यूलर का नाम भी इसी श्रेणी में आता है. 1707 में जन्मे युलर
ने महज 20 वर्ष की उम्र में सेंट पीटर्सबर्ग विश्वविद्यालय में गणित के प्राध्यापक
की नौकरी कर ली. कहते हैं यूलर पूरी किताब , बड़ी बड़ी संख्याओं के पहाड़े याद करने
में माहिर थे . 1730 में खुली आँखों से सूर्य ग्रहण देखने का प्रयास करते समय उनकी
एक आँख खराब हो गयी पर वो अपनी एक आँख से
ही गणित पर शोध करते रहे और जब 1771 इसवी में वो पूरी तरह से अंधे हो गये तब भी
उन्होंने गणित पर अपना काम बंद नही किया बल्कि वो हर हप्ते एक रिसर्च पेपर लिखते
थे और पूरी गणितीय गणना का काम वो अपने मस्तिष्क में करते थे. उनकी मृत्यु के बाद
उनके लिखे शोध पत्रों को प्रकाशन करने का काम चलता रहा. 1910 में गुस्तव
एनेस्ट्रोम ने यूलर के सभी 866 शोधपत्रों और पुस्तकों की सूचि बनाई तो सूचि पत्र
ही 388 पेज का बना.
1911 में स्विस अकादमी
ने यूलर के ओपेरा ओमनिया का प्रकाशन का काम आरम्भ किया और हैरानी की बात ये है की
चार श्रृंखला में 75 पुस्तकों में लगभग 25000 पन्नों में युलर के काम को समेटा जा
सकता और ऐसा करने में स्विस अकादेमी को लगभग 100 वर्ष का समय लगा. सबसे अधिक शोधपत्र
प्रकाशन का मामला हो या गणित के क्षेत्र में सबसे अधिक योगदान की बात हो तो इस
श्रेणी में यूलर का नाम गर्व से लिया जाता रहेगा. गणित में यूलर के नाम से 96 गणितीय
नाम – यूलर रेखा, यूलर स्थिरांक
इत्यादि को जगह मिली है जो गॉस के
70 और कौशि के 33 नामों से काफी अधिक है.
गणितीय
मस्तिष्क की बात करें तो जॉन न्यूमेन जो एक हंगेरियन गणितज्ञ थे की बात बड़ी निराली
है. जब वो महज 6 वर्ष के थे वो दो 8 अंको की संख्या को अपने मस्तिष्क में भाग देकर
सही सही उत्तर बता सकते थे. 8 वर्ष की अवस्था में उन्होंने लाइब्रेरी में रखी
इतिहास की 46 खंडो वाली पूरी पुस्तक पढ़ ली और वो कौन सी घटना किस खंड में है ये
बताने में भी समर्थ थे. उन्हें भीड़ और शोर के बीच अपना शोध करने में कोई परेशानी
नही होती थी. वो अक्सर अपने घर में जर्मन गाने लगा कर अपना काम करते थे जिसकी तेज
आवाज से पडोसी परेशान रहते थे और एक बार उनके इस शौख की शिकायत अल्बर्ट आइंस्टीन
ने भी की थी.
राजेश
कुमार ठाकुर
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