क्या आप जानते हैं ?
1953 के करीब गणितज्ञों के पास एक समस्या आई की क्या ऐसी तीन पूर्णांक हो सकते हैं जिनके घनो का योग एक नियतांक हो सकता है जिनका मान 1 से लेकर 100 के बीच में हो.
के दो हल (1,1,1) और (4, 4, -5) हैं तो क्या इसका तीसरा हल भी निकल सकता है. गणितज्ञों को आरम्भ में इस प्रश्न के दो ही हल समझ आये फिर पता चला इसका तीसरा हल भी संभव है जो 21 अंको का है -
फिर पता चला की इसका चौथा हल भी
संभव है जिसमे सभी पूर्णांक 28 अंक लम्बी और बड़ी संख्या होगी. इसका अर्थ ये हुआ कि
इस समीकरण के अन्नत हल होंगे. प्रयास जारी है इसका पांचवा हल ढूंढने की.
गणितज्ञों के पागलपन के किससे भी कम
प्रेरणादायक नहीं है. न्यूटन सेव के पेड़ के नीचे बैठे- बैठे एक सेव गिरने से
गुरुत्वाकर्षण के तीन नियम खोज देता है तो नियामक ज्यामिति के प्रणेता कहे जाने
वाले रेने दकार्ते भी कम मशहूर नही है. कहते हैं एकबार दकार्ते अपने बिस्तर पर
लेटे- लेटे कमरे में उड़ रही मक्खी के स्थान बदलने की घटना देख रहे थे और उन्हें
लगा वो मक्खी का सही स्थान दीवार और उसकी ऊंचाई के सापेक्ष बता सकते हैं और फिर
किसी वस्तु का नियत स्थान बताने के लिए निर्देशांक ज्यामिति का प्रयोग आया जिसने
गणित जगत को एक नई ऊंचाई देने का काम किया. आज जीपीएस में भी इसी ज्यामिति का प्रयोग कर हम सुगमता से एक
जगह से दुसरे जगह जाते हैं.
गणितज्ञों ने खगोलीय पिंडो को खोजने
में काफी योगदान किया. कुछ गणितज्ञ तो खगोलविद भी रहे और कुछेक ने खगोलशास्त्री को
गणना कर खगोलीय पिंडों की सही स्थिति का आकलन करने में मदद की. शायद इसी कारण कई
क्षुद्रग्रहों के नाम गणितज्ञों के नाम पर रखे गये. क्षुद्रग्रह की पहली खोज करने का श्रेय इतालवी
गणितज्ञ पियाजी को जाता है पर मजेदार बात ये है की इन छोटे तारों तक पहुंचने का
रास्ता दिखाने का काम गणितज्ञों के राजकुमार कहे जाने वाले कार्ल फ्रेडरिक गौस ने
की. गॉस के नाम पर एक क्षुद्रग्रह गौस्सिया 1001 रखा
गया है. यहाँ चित्र में हरे पट्टी पर क्षुद्रग्रह गौसिया को दिखाया गया है .ऐसे तो
भारत के गणितज्ञ आर्यभट , भास्कराचार्य और श्रीनिवास रामानुजन के नाम पर भी
क्षुद्रग्रहों के नाम रखे गये हैं.
दोस्त सिर्फ मनुष्यों और सजीव ही
नही होते बल्कि गणित में तो कुछ संख्या भी आपस में मित्र होते हैं. मसलन – 220 और
284 आपस में मित्रवत व्यव्हार करते हैं. यदि 220 के गुणनखण्डों (स्वयं को छोडकर )
देखें - 1, 2, 4, 5, 10, 11, 20, 22, 44, 55, 110 हैं और इनका योग 1+2+4+5+10+11+20+22+44+55+110
=284 होता
है वहीं 284 के सभी गुणनखंड - 1,
2, 4, 71, 142
का योग 1+2+4+71+142
= 220 होता
है. इसलिए 220 और 284 मित्रवत संख्या (amicable numbers) को परिभाषित करती हैं. इस तरह की कुछेक संख्या तो और
भी मजेदार गुणों का प्रदर्शन करती हैं. अगर बात करें (69615, 87633) की तो इनके अंको का
योग दोनों ही स्थिति में समान है 69615 के अंको का योग (6+9+6+1+5) = 27 तथा 87633
के
अंको का योग (8+7+6+3+3)
= 27 है. मित्रवत संख्याओं की खोज में
पाइथागोरस, फ़र्मा, दकार्ते ने भी अपन योगदान दिया है पर सबसे अधिक योगदान युलर का
रहा जिन्होंने 64 से ज्यादा मित्रवत संख्याओं का युग्म ढूंढने में सफलता पाई.
डॉ राजेश कुमार ठाकुर
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