क्या आप जानते हैं?
भारत आरम्भ से ही गुरुओं को ईश्वर से अधिक सम्मान की दृष्टि
से देखता रहा है. शास्त्रों में लिखा है –
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो
महेश्वरः
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः
अर्थात गुरुओं को त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और शंकर
के समतुल्य माना गया है. रामायण में गुरु की महिमा का वर्णन तो देखने को मिलता ही
है साथ ही, काकभुशुण्डी द्वारा अपने गुरु के अपमान के पश्चात् जब भगवान शंकर के अनन्य
भक्त को भगवान शंकर ने श्राप दिया तो इस श्राप से मुक्ति का रास्ता भी उसी गुरु ने
बताया. इससे गुरु का शिष्य के प्रति अनुराग दिखता है . आज के इस अंक में ऐसे
शिक्षकों के बारे में बात करेंगे जिन्होंने अपने शिष्य को आगे बढ़ाने के लिए काफी
त्याग किया.
बात की शुरुआत करते हैं आइजक न्यूटन और उनके
गुरु आइजक बैरो की. बात करें सन 1669 की , इसी वर्ष आइजक बैरो ने जो कैंब्रिज
विश्वविद्यालय में ज्यामिति के प्राध्यापक थे ने न्यूटन की प्रतिभा से प्रभावित
होकर प्राध्यापक के पद से इस्तीपा दे दिया और विश्वविद्यालय को न्यूटन के नाम का
प्रस्ताव भी दिया. यहाँ यह उल्लेख करना आवश्यक है कि न्यूटन ने बैरो के कुछेक
लेक्चर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी पर न्यूटन को कक्षा में बैरो ने कभी पढाया
नहीं.
अब बात करें कार्ल फ्रेडरिक गौस की. गॉस के
प्राथमिक शिक्षक रहे बटनर ने कक्षा में जब
गॉस की प्रतिभा को उन्होंने पहचाना तो गरीब गॉस के भविष्य की पढाई की चिंता को
लेकर वो ब्रुन्सबर्ग के राजा से मिले जिन्होंने गॉस के पढाई का सारा खर्च सरकारी
खजाने से करने का निश्चय किया.
तीसरी कहानी भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास
रामानुजन की जिनके प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक ने उनकी गणितीय प्रतिभा को देख ऐसी
बात कर दी जिसकी कल्पना मात्र ही हमें रोमांचित कर देता है. शिक्षक ने लिखा की
रामानुजन को 100 अंक नहीं 1000 अंक देकर भी मुझे ख़ुशी होती . इनके विदेशी गुरु जी
एस हार्डी ने तो लिखा – मेरे जीवन की सबसे बड़ी खोज रामानुजन है. यदि मुझे 100 में
से अंक देना हो तो मैं खुद को 25, लिटिलवुड को 30 , डेविड हिल्बर्ट को 80 और
रामानुजन को 100 अंक दूंगा. रामानुजन के इंग्लैंड प्रवास के बाद हार्डी ने अपना
सारा ध्यान और शोध रामानुजन पर केन्द्रित किया. एक बार जब परेशान रामानुजन लन्दन
मेट्रो के सामने कूदकर आत्महत्या करने जा रहे थे और उन्हें पुलिस ने पकड़ लिया तो
हार्डी ने पुलिस को झूठ बोला की रामानुजन रॉयल सोसाइटी के फेलो है और पुलिस ने
उन्हें बिना शर्त छोड़ दिया जबकि इस अपराध के लिए इंग्लैंड में आजीवन कारावास की
सजा थी. रामानुजन की जब तबियत खराब रहने लगी और वो भारत लौटना चाहते थे उस समय
प्रो हार्डी ने रॉयल सोसाइटी के अध्यक्ष को एक पत्र लिखा की रामानुजन को FRS डिग्री दे दी
जाये और प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान जबकि अध्यक्ष इंग्लैंड से बाहर प्रवास पर थे
उन्होंने हार्डी के अनुरोध को मानते हुए रामानुजन को FRS डिग्री देने की
अधिसूचना जारी कर दी .
पॉलिटेक्निक के भौतिकी के प्रोफेसर हेनरिक
वेबर, अल्बर्ट के गणित और विज्ञान में उच्च स्कोर से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने
उन्हें अपने व्याख्यानों का ऑडिट करने के लिए आइंस्टीन को आमंत्रित किया। और कॉलेज के प्रिंसिपल एल्बिन
हर्ज़ोग ने यह देखते हुए कि सोलह वर्षीय अल्बर्ट
परीक्षा देने वाले से दो साल छोटे थे, ने इसे ध्यान में रखा और अगले वर्ष उन्हें
वादा किया कि अल्बर्ट को दोबारा परीक्षा भी नहीं देनी पड़ेगी और उनका दाखिला
पोलिटेक्निक कॉलेज में हो जायेगा.
एक शिक्षक अपने छात्रों में अपना भविष्य
तलाशता है और उसे संबारने में अपना जीवन लगा देता है. सचमुच शिक्षक उस मोमबत्ती की
तरह है जो खुद जलकर दुनिया को प्रकाशित करता है .
डॉ राजेश कुमार ठाकुर
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