क्या आप जानते हैं?
गणित एक ऐसा विषय है जिसमें रोमांच हैं. कुछ नया करने का
अवसर हर समय उपलब्ध है. सबसे मजेदार बात ये है की इसमें खोजकर्ता कई बार अपनी पूरी
जिन्दगी में सिर्फ नगण्य सा खोज पाता है और कई बार एक खोज को सिद्ध करने में कभी 1
दिन, कई साल और कई बार कई शताब्दी तक बीत जाती है. आज कुछ ऐसे
ही खोजों पर चर्चा करेंगे जिससे आपको गणित के प्रति लोगों की दीवानगी का भान हो.
आज आपके पास गूगल है और आप छोटी से छोटी चीजों की जानकारी
भी पलक झपकते गूगल कर पता लगा सकते हैं पर कल्पना कीजिये उस समय का जब गणित और
विज्ञान में गणना करने के लिए ना तो कैलकुलेटर था और ना ही कंप्यूटर. सारा काम
आपको हाथों से करना पड़ता था. एक ऐसे ही गणितज्ञ थे – लुदोल्फ़ वेन सुलेन (Ludolf Vin
Ceulen) (1540-1610) जिन्होंने अपने जीवन के 25 साल पाई के दशमलव के बाद 35 अंक
निकालने में बिता दिया. आप सोच रहे होंगे 35अंक(3.14159265358979323846264338327950288) निकालना कौन सी बड़ी बात है. पर ध्यान रखें सुलेन ने यह
गणना अपने हाथ से की. यह 35 अंक सुलेन के मृत्यु के पश्चात् उनके कब्र पर अंकित
किया गया. पाई का मान 3.14 मानकर हर वर्ष 14 मार्च को पाई दिवस मनाया जाता है और
2019 में इसी दिन गूगल ने 31.4 ट्रिलियन अंक निकाल कर एक नया कीर्तिमान बनाया.
पाई का मान निकालने का सबसे मजेदार प्रयास आर्कमिडीज ने
किया जिन्होंने एक षट्भुज के अंदर और बाहर वृत्त खीच इसके परिधि और व्यास का
अनुपात निकालने की कोशिश की और यह कोशिश उन्होंने 92 भुजा वाले बहुभुज के साथ भी
की और पाया की वृत्त की परिधि और व्यास का अनुपात के बीच पाया और
इनका माध्य लगभग 22/7 के बराबर है और इसी
लिए आज पाई का आसन्न मान जो 22/7 हम प्रयोग में लाते हैं
वो आर्कमिडीज के कारण है. आपको जानकर यह
आश्चर्य होगा की आर्कमिडीज जिस गोले और बेलन से बेहद प्यार करते थे वो उनके मरने
के बाद उनके कब्र पर अंकित करवाया गया.
अगर वृत्त
की परिधि और व्यास के मान 3.1416—की बात करें तो यह श्रेय हमारे देश के महान
गणितज्ञ आर्यभट को जाता है . आर्यभट ने पांचवी शदी में लिखी अपनी पुस्तक आर्यभटीय
के गणितपाद के दसवें श्लोक में पाई का मान निकालने का उल्लेख किया है.
चतुराधिक
शतमष्टगुण दवाश्तिष्टस्तथा सहस्राणम
अयुतद्यस्य विष्कम्भस्य आस्न्नौ वृतपरिणाह.
100 में 4 जोड़ें और इसे 8 से
गुणा करें और इसमें 62000 जोड़ें , यह 20000 व्यास वाले वृत्त की परिधि है. इन्हें
भाग देने पर आपको पाई का मान 3.1416 आता है. सबसे मजेदार बात यह है की आर्यभट को
यह पता था की यह मान आसन्न मान है ना की सम्पूर्ण. पाई के लिए संकेत देने का श्रेय जॉन विलियम्स को
जाता है जिन्होंने परिधि और व्यास के अनुपात के लिए पाई के लिए π चिन्ह का प्रयोग 1706 में किया.
पाई का मान निकालने के लिए बफन ने एक अनोखा प्रयोग किया.
उन्होंने 3408 बार अलग- अलग लम्बाई की सुई
को फेंक कर पाई का मान 355/113 निकाला जो दशमलव के बाद 6 अंको तक सही था. ऐसे
355/113 का मान कोई नया मान नहीं था पर सुई द्वारा किया यह प्रयोग बिलकुल अनूठा
था.
एक और अनूठी संख्या से हम इस अंक को समाप्त करेंगे- मार्कोव
संख्या. इसकी खोज आंद्रे मार्कोव ने की थी. यह एक ऐसी संख्या है जिसे के रूप में लिखा जा सकता है. जहाँ x,y,z धनात्मक संख्या है. जैसे - 1, 2, 5, 13, 29, 34, 89, 169, 194, 233, 433,
डॉ राजेश कुमार ठाकुर
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