Tuesday, July 15, 2025

रामानुजन के घर का सफर

 

                                                               क्या आप जानते हैं?

भारत के अग्रणी गणितज्ञों कि बात करें तो रामानुजन आधुनिक भारत के सर्वोच्च गणितज्ञ माने जाते हैं. ऐसे तो रामानुजन के 125 वी जन्म वर्ष को राष्ट्रीय गणित वर्ष और उसी वर्ष से 22 दिसम्बर को गणित दिवस के रूप में मनाने का कार्यक्रम पुरे देश में चलता है पर आज भी हमें रामानुजन के घरोहर को ठीक तरह से अपनाने में उतनी प्रसन्नता का अनुभव नहीं होता जितना आनंद एक विदेशी गणितज्ञ को होता है. रामानुजन इरोड के जिस घर में पैदा हुए उस घर को 2012 में टोक्यो विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर सुसुमु सकुराई और तमिलनाडु विज्ञान संस्था के निदेशक एन मणि के द्वारा पता लगाया गया. रामानुजन का यह घर शिव मन्दिर और पानी के टंकी के बीचोबीच स्थित है ; महज इसी जानकारी को लेकर अजहगिया सिन्गार गली (azhagiya singar street) के घर संख्या 18 को चिन्हित करने का काम किया गया. संभव है कुछ दिनों में यह घर आपको एक म्यूजियम के रूप में देखने को मिले. रामानुजन को जिस संख्या ने घर -घर तक पहुँचाया वह संख्या 1729 है. जैसा कि सबको पता है कि रामानुजन पटनी (Putney) के जिस नर्सिंग होम में अपने इलाज के लिए रुके थे और जहाँ प्रोफेसर हार्डी उनसे मिलने 1729 नम्बर की टैक्सी में बैठ कर आये और रामानुजन ने इस टैक्सी संख्या को दो घनों के रूप में दो तरीके से व्यक्त करने कि बात की 2017 में इसी घर के आगे 1729 संख्या का एक तख्ती लगाया गया जो अब अस्पताल कि जगह किसी व्यक्ति का निजी आवास बन चूका है.

 

इरोड में रामानुजन का घर                             पुटनी का घर जहाँ 1729 का तख्ती है

1729 = 10^3 + 9^3 = 12^3 + 1 ^3 को रामानुजन – हार्डी संख्या या टैक्सी- कैब -2 कहा जाता है क्योंकि इसे दो घनों के रूप में दो तरीके से लिखा जा सकता है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अब टैक्सीकैब संख्या 3 और 4 भी गणितज्ञों के बीच काफी प्रचलित है. जब किसी संख्या को दो संख्याओं के घन के रूप में तीन तरीके से लिखा जाये तो उसे टैक्सी- संख्या – 3 और टैक्सी संख्या – 4 में एक संख्या को दो संख्याओं के घनों के रूप में चार तरीके से लिखा जा सकता है. 1957 में जॉन लीच ने रामानुजन के टैक्सी – कैब संख्या 2 को आगे बढ़ाते हुए अगली छोटी संख्या 87539319 कि खोज कि जिसे तीन घनो के रूप में व्यक्त किया जा सकता है. आज बेशक 1729 को रामानुजन – हार्डी संख्या के रूप में प्रसिद्धी मिली हो परन्तु  इसका सबसे पहला जिक्र बर्नार्ड फेनिकल द बेस्सी ने 1657 इसवी में इस संख्या के गुण-धर्म के बारे में चर्चा युलर के द्वारा किसी समस्या को लेकर दी गयी चुनौती के सन्दर्भ में भेजे जबाब में 1729 का उल्लेख 5 बार किया गया है.

 

 

इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए 1991में इ. रोजान्स्तिल, जे.ए. दर्दिस तथा सी. आर. रोजान्स्तिल ने चौथी रामानुजन – हार्डी संख्या की खोज कि और इस क्रम में सबसे छोटी संख्या 69634723092486963472309248 है जिसका उल्लेख इस अंक में किया गया है. खोज जारी है , टैक्सी- कैब संख्या – 5 और आगे कि संख्या जो रामानुजन संख्या के नियमों का पालन करती है.

डॉ राजेश कुमार ठाकुर

 

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