क्या आप जानते हैं ?
डॉ राजेश कुमार ठाकुर
भारत के महान गणितज्ञों में से एक हैं – नारायण पंडित. मैं
हितोपदेश के लेखक कि नहीं बल्कि गणित कौमुदी के लेखक कि बात कर रहा हूँ. कौमुदी का
अर्थ चाँद की रोशनी से है. नारायण पंडित मानते थे कि जिस तरह चाँद कि रोशनी अंधकार
को दूर करती है उसी प्रकार उनकी पुस्तक गणित कौमुदी प्रत्येक व्याक्ति के जीवन में
गणितीय प्रकाश लाने में मदद करेगी. उनकी यह पुस्तक भास्कराचार्य की लीलावती के बाद
दूसरी सबसे उपयोगी गणित कि पुस्तक मानी जाती है.
1356 में लिखी इस पुस्तक में 475 सूत्र और 395 उदाहरण मौजूद
है जिसे 14 अध्यायों में विभाजित किया गया है जिनमें अंकगणित, बीजगणित, प्रायिकता और ज्यामिति के
महत्वपूर्ण सिद्धांत कि चर्चा कि गयी है. सबसे मजेदार बात यह है कि इसमें भद्रगणित नामक एक अध्याय है जिसमे जादुई वर्ग
के 60 नियम और 17 उदाहरण शामिल हैं.
नारायण पंडित कि इस पुस्तक में फिबोनिकी के खरगोश जैसा गाय पर एक समस्या दी
गयी है. जो बहुत शानदार है. एक बार फिबोनिकी के खरगोश समस्या पर विचार करें- खरगोश कि एक जोड़ी एक महीने के
पश्चात एक नये जोड़े को जन्म दे सकता है , अगर हर बार जन्मे जोड़े में एक नर और एक
मादा हो तो 12 महीनों में कितने खरगोश कि जोड़ी होगी.
इसे आप यूँ समझिये कि जनवरी में 1 जोड़ा है जो फरवरी में 1
नये जोड़े को जन्म दे रही है. अब मार्च में ये दोनों जोड़े नये जोड़े को जन्म देगी और
इस तरह बढ़ते जोड़े क्रमशः एक पैटर्न का निर्माण करेंगे 1, 1, 2, 3, 5, 8, 13, 21 - - है जिसमे हर अगली संख्या पिछले दो के योग के बराबर है.
अब बात करें नारायण के गाय पर दिए गये नये प्रश्न पर – एक
गाय चार वर्ष में नये बछड़े को जन्म दे सकती है , अगर गाय सिर्फ मादा बछड़े को जन्म
दे तो 17वर्ष में कितने गाय हो जायेंगे.
वर्ष |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
पहली पीढ़ी |
1 |
1 |
1 |
1 |
1 |
1 |
दूसरी पीढ़ी |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
तीसरी पीढ़ी |
0 |
0 |
0 |
1 |
3 |
6 |
कुल |
2 |
3 |
4 |
6 |
9 |
13 |
इन 6 वर्षों के
आंकड़े देखने से पता चलता है कि चौथे वर्ष में गायों कि संख्या पहले और तीसरे वर्ष
में जन्मे गायों के कुल संख्या के बराबर है. इसी तरह पांचवे वर्ष में गाय कि कुल
संख्या दुसरे और चौथे वर्ष में गाय के कुल संख्या के योग के बराबर है
. इस प्रकार 17 वर्ष
में गाय कि संख्या क्रमशः = 2, 3, 4, 6, 9, 13, 19, 28, 41, 60, 88, 129, 189, 277, 406, 595, 872 होगी . इस प्रश्न कि
बारीकियों और इसके उपयोग पर आजकल गणितज्ञ काफी काम कर रहे हैं. जैसा आप देख रहे
हैं कि 1 वर्ष के बाद गाय और उसके बच्चे होंगे और इन्हें संगीत के साथ जोड़ने पर
आपको लगता है कि यह दीर्ध- लघु रचना करते हैं. दुसरे साल पहली पीढ़ी के एक और दूसरी
पीढ़ी के 2 बच्चे होंगे अर्थात – दीर्ध- लघु- लघु तथा तीसरे वर्ष प्रथम पीढ़ी के एक
और दूसरी पीढ़ी के 3 नये बच्चे हो जायेंगे जो दीर्ध- लघु- लघु- लघु संगीत का
निर्माण करेंगे. चौथे बर्ष में पहले वर्ष में जन्मे बछड़े कि क्षमता नया शिशु देने
कि हो गयी इसलिए यह दीर्ध- लघु- लघु – लघु- दीर्ध- लघु संगीत कि रचना करेंगे. आप
देख पा रहे होंगे कि नारायण के गाय समस्या को गणित और संगीत से जोड़ा जा सकता है.
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