Monday, July 14, 2025

कापरेकर के कारनामे - राजेश कुमार ठाकुर

 

क्या आप जानते हैं – 95

भारत में अबतक कितने गणितज्ञ हुए यह बताना तो मुश्किल कार्य है क्योंकि इसका कोई ब्यौरा रखने और सहेजने में किसी की दिलचस्पी नहीं हैं. हो भी क्यों जब इसका कोई आर्थिक महत्व नहीं है. गणित के कई लोगों को तो इसमें मिलने वाले सम्मान की जानकारी तक नहीं है. सन 1781 में कलकत्ता मदरसा, सन 1784 में एशियाटिक सोसाइटी तथा 1791 में बनारस विश्वविद्यालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य ही भारतीय परम्परागत कला तथा विज्ञान का आधुनिक रूप में विकास करना था.  1833 इसवी में गुलाम हुसैन जौनपुरी का ‘जमी- बहादुर – खानी’ गणित विज्ञान में लिखा फ़ारसी विश्वकोश है जिसे बाहर के मुल्कों में भी काफ़ी सराहना मिली. इसी क्रम में वेणुगोपाल हेरुर द्वारा – द हिस्ट्री ऑफ़ मैथमेटिक्स एंड मैथमेटीसियन ऑफ़ इंडिया भी एक अच्छी पुस्तक है. पर भारत के लोगों को रामानुजन, भास्कराचार्य, ब्रह्मगुप्त और आर्यभट के आगे बताने का काम करना और पिछले एक दो शदी में गणित की ऊँचाइयों की बात करें जो भारतियों ने हासिल की तो गिने चुने लोगों के पास ही ऐसी जानकारी मिलेगी .

खैर अलीगढ उत्तरप्रदेश में जन्मे श्री वीरेंद्र कुमार की बात ही कुछ निराली है. इनकी लिखी पुस्तक आधुनिक भारत के दिवंगत गणितज्ञ में 18वी शदी से 2017 तक जन्मे गणितज्ञ, कंप्यूटर वैज्ञानिक, खगोलशास्त्री का विवरण का सम्पूर्ण संग्रह (218 गणितज्ञ ) है जो एक सराहनीय प्रयास है भारतीय कला और विज्ञान को आगामी पीढ़ी तक पहुँचाने का. ऐसे महती प्रयास के लिए वर्तमान पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी श्री वीरेंद्र कुमार के प्रयास को नमन करती रहेगी.  आज के अंक में इसी पुस्तक की कुछेक जानकारी आपसे साझा करूंगा.

दत्तात्रय रामचंद्र कापरेकर जिनका जन्म महाराष्ट्र में 1905 में हुआ था की कई खोज के बारे में सब जानते हैं. खासकर कापरेकर स्थिरांक 6174 की जानकारी तो आज स्कूलों में भी दी जाने लगी है. इसके अलावा हर्षद संख्या, डेमलो संख्या और कापरेकर संख्या के बारे में लोग जानते हैं . आज कापरेकर और दत्तात्रय संख्या के बारे में जानकारी देने का प्रयास इसी पुस्तक के माध्यम से करूंगा. कापरेकर संख्या में संख्या के वर्ग संख्या में प्रयुक्त संख्याओं के योग के बराबर होता है.

452 = 2025   ; 20 + 25 = 45                                        992 = 9801          ;             98 + 01 = 99

552 = 3025  ; 30 + 25 = 55                                         7032 =   494209  ;                  494 + 209 = 703

27282 = 7441984 ; 744 + 1984 = 2728                    52922 = 28005264 ;         28 + 005264 = 5292

8571432 = 734694122449 ; 734694 + 122449 = 857143   

अब बात करें दत्तात्रेय संख्या की तो ये धनात्मक पूर्णांक जिनका वर्ग करने से प्राप्त संख्या को ऐसे खंडो में विभक्त किया जा सकता है जो वर्ग संख्याएं हैं यथा –

132 = 169    यहाँ 16 और 9 दोनों वर्ग संख्या हैं जो क्रमशः 4 और 3 का वर्ग है. 572 = 3249 इनके खंड करने पर 324 तथा 9 दो वर्ग संख्या प्राप्त होती है जो 18 तथा 3 का वर्ग है. 402042 = 1616361616 के खंड 16, 16, 36, 16, तथा 16 सभी वर्ग संख्याएं हैं 16022 = 2566404 के खंड 256, 64 तथा 04 सभी वर्ग संख्या हैं और इस प्रकार हम कह सकते हैं कि 13, 57, 1602 तथा 40204 सब दत्तात्रेय संख्या के उदाहरण हैं.

यदि बात करें डेमलो संख्या की तो डेमलो रेलवे स्टेशन पर ट्रेन की प्रतीक्षा में बैठे कापरेकर को इस नये संख्या का विचार आया. ऐसी संख्या को किसी संख्या के साथ 11, 111 , 1111 ... से गुणा करने पर प्राप्त होता है जैसे – 234 × 1111 = 259974 तथा 35 × 11 =  385 इत्यादि .

डॉ राजेश कुमार ठाकुर

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