क्या आप जानते हैं ?
डॉ राजेश कुमार ठाकुर
·
बेबीलोनियन
गणित की जानकारी देने में प्लिम्पटन 322 पट्टी का अहम योगदान है. अमेरिका के
न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले एक इतिहासविद और प्रकाशक जॉर्ज प्लिम्पटन ने 1922 में एक दुकानदार से यह पट्टी 10 डॉलर में
खरीद कोलंबिया विश्वविद्यालय को भेंट कर दी और विश्वविद्यालय के संग्रहालय में इस
पट्टी का क्रम 322 होने और प्लिम्पटन द्वारा भेंट करने की वजह से इस बेबीलोनियन
पट्टी को प्लिम्पटन322 के नाम से जाना जाता है. यह साधारण सी दिखने वाली पट्टी
1800 ईशापूर्व में लिखी गयी थी जिसकी लम्बाई 9सेमी, चौड़ाई 13 सेमी और
मोटाई इस पट्टी में कुल 4 स्तम्भ और
15 पंक्ति है. दूसरी और तीसरी स्तम्भ में
लिखी जानकारी तो स्पष्ट तौर पर पढ़ी जा सकती है परन्तु पहली स्तम्भ के कुछ हिस्से
टूटे होने की वजह से इसे पढना मुश्किल है. कुछेक इतिहासकारों का मानना है की इस
पट्टी में बीजगणित, त्रिकोणमिति जैसे प्रश्नों के हल दिए गये हैं. क्यूनीफार्म
लिपि में लिखी यह पट्टी बेबीलोनियन गणित प्रणाली जिसमे 60 को आधार मानकर संख्या को
लिखने की परम्परा थी के बारे में अहम जानकारी देने में सफल हुई है. मजे के बात ये
है की इस पट्टी में पाइथागोरस त्रिक पर
आधारित संख्या 3, 4, 5 .. भी मौजूद है.
जब बात पाइथागोरस प्रमेय या बौधायन प्रमेय तक पहुंच ही गयी
तो आपको ये बता दूँ की गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अनुसार इस प्रमेय के 367 हल
अबतक मौजूद है जिसे एलिशा स्कॉट लूमी ने अपनी पुस्तक पाइथागोरियन प्रोपोजीशन में
उधृत किया है . आपको यह भी पता है की इस प्रमेय के अनुसार सबसे बड़ी भुजा (कर्ण) का
वर्ग अन्य दो भुजाओं के वर्गों के योग के बराबर होता है. इस हिसाब से सबसे प्राथमिक प्राकृत संख्या जो
इस शर्त को पूरा करे वो निश्चय ही 3- 4- 5 है और यदि ऐसे त्रिभुज की बात करें जिनकी
भुजा लगातार क्रम में लिखी संख्याएं हों तो यह इकलौता ऐसा त्रिभुज है जिनकी भुजाएं
क्रम में है और इसका क्षेत्रफल (6) इनकी भुजाओं के योग (3 + 4 + 5 = 12) से आधा
है. अगर बात की जाये ऐसे समकोण त्रिभुज की जिनकी दो भुजाएं क्रमागत संख्या हों तो 3-4-5 के बाद इस
शर्त को 20-21-29 पूरा करता है और इस तरह का दसवां त्रिभुज
27304196-27304197-38613965 है. 1643 में फ्रेंच गणितग्य फरमा से पूछा गया की क्या
क्या वे ऐसे समकोण त्रिभुज के भुजा के बारे में बता सकते हैं जहाँ a + b
तथा c दोनों एक वर्ग संख्या है तो उन्होंने सबसे छोटे ऐसे त्रिभुज
की भुजाएं कुछ इस तरह बतायीं – 4,565,486,027,761 – 1,061,652,293,520-
4,687,298,610,289 हैं.
पाइथागोरस प्रमेय को भारत और बेबीलोनियन गणित में पाइथागोरस
के जन्म से पूर्व जाना जाता रहा है. बौधायन के शुल्वसूत्र में इसका जिक्र तो मिलता
ही है साथ ही YBC 7289 बेबीलोनियन पट्टी में भी इसका जिक्र मिलता है. यहाँ विकर्ण पर लिखी
संख्या 1, 24, 51,10
को अगर आधुनिक रूप में लिखा जाए तो इसका मान 2 के वर्गमूल के बराबर होगा
1+24/60+51/60 x 60 +10/60 x 60 x 60 =1.414213
डेनिस
रामसे लिखते हैं की बेबीलोनियन पट्टी में एक प्रश्न है जिसमे यदि किसी त्रिभुज की
लम्बाई 4 और विकर्ण 5 हो तो उसकी चौड़ाई निकालने के लिए पाइथागोरस प्रमेय का प्रयोग
किया गया है.
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