Tuesday, July 15, 2025

पाइथागोरस का भारतीय तरीके से प्रमाण

 

क्या आप जानते हैं –

कई दिनों से व्हाट्सएप्प पर एक चर्चा हो रही है कि पाइथागोरस प्रमेय को तमिल कवि बोथयानर ने इस प्रमेय का सरलीकरण करने का प्रयास किया है और यह कवि पाइथागोरस से पहले पैदा हुए. चलिए आज इसकी सत्यता कि जांच करते हैं पर पाइथागोरस के इतिहास की बात कर लें. यह बात आज दावे से नहीं कहा जा सकता कि पाइथागोरस ने ही प्रमेय को खोजा क्योंकि कई गणितज्ञ और गणित इतिहासकार इस बात को मान रहे हैं कि पाइथागोरस भारत आकर इस प्रमेय को सीख कर यूनान वापस गये या उन्होंने यह जानकारी भारतीयों से सीखीं. प्रो. एस. जी. रव्लिंसन ने लिखा - "यह अधिक संभावना है कि पाइथागोरस मिस्र की तुलना में भारत से प्रभावित था. पाइथागोरस द्वारा सिखाए गए लगभग सभी सिद्धांत, धर्म, दार्शनिक और गणितीय ज्ञान  छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत में जाने जाते थे. "ऐसा लगता है कि कर्ण के चतुर्भुज के तथाकथित पाइथागोरस प्रमेय को पुराने वैदिक काल में पाइथागोरस से पहले ही भारतीयों के द्वारा जाना जाता था.

पाइथागोरस द्वारा बताये इस प्रमेय को भारतीय मनीषी बौधायन, कात्यायन और मानव ने शुल्वसूत्र में वर्णन किया है. बौधायन ने इसे भुजा कोटि -कर्ण न्याय का नाम दिया. इस बात को उन्होंने इस श्लोक के माध्यम से कहने का प्रयास किया -

दीर्धचतुरश्रस्य अक्ष्णयारज्जु पार्ष्वमानी तिर्यंगमानी

च यत् पृथग्भूते कुरूतः तदुभयं करोति ।

आपको बता दें कि पाइथागोरस या बौधायन प्रमेय को 370 तरीके से किया गया है जिनमे यूक्लिड, आइंस्टीन, अमेरिकी राष्ट्रपति जेम्स गारफिल्ड द्वारा किया गया है. अब बोथयानर द्वारा बताये तरीके पर  लौटे. इस प्रमेय कि सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें वर्गमूल निकालने कि भारी-भरकम तरीके को शामिल नहीं किया गया है बल्कि एक साधारण तरीके से कुछेक के सही और कुछेक के आसन्न मान कि बात कि गयी है. इसके अनुसार यदि आप बड़े भुजा को 8 हिस्से में बाँट दें और उनके एक हिस्से को हटा दें. यदि इस मान को दुसरे भुजा के आधे में जोड़ दें तो कर्ण का मान निकाला जा सकता है. यदि समकोण त्रिभुज के दो भुजा a और b हैं तथा  तो कर्ण =   इसकी सत्यता के लिए अगर हम कर्ण = c मान लें तो

 

*                64a2 + 64 b2 = 49b2 + 56ab + 16a2

*                48a2 + 15b2 = 56ab

*                48a2 – 56 ab+ 15b2 = 0

*                48a2 – 36 ab – 20 ab+ 15b2 = 0

*                (12a – 5b) (4a – 3b) = 0

*                a/b = ¾ , 5/12

इसका अर्थ है कि यह सूत्र सिर्फ (3x, 4x, 5x) (5x, 12x, 13x) के लिए सही है. अन्य राशि के लिए यह सही नहीं बल्कि आसन्न होगा. कुछेक उदाहरण से इसे समझने का प्रयास करें. यदि a = 6 तथा b = 8 हो तो c =

अब कुछ अन्य मान के लिए इसे देखते हैं. अगर
होगा जो वास्तविक मान से थोडा भिन्न है. इसी तरह है जो वास्तविक मान 25 के करीब है. इस प्रकार यह प्रमेय (7,24,25) या (9, 40, 41) के लिए सही नहीं है पर आज से 2000 साल से अधिक समय पूर्व अगर आसन्न मान तक पहुंचने का भी तरीका किसी व्यक्ति ने देने का प्रयास किया है तो वह सही है और सबसे अच्छी बात जो आप इसके प्रमाण में देख रहें है कि कवि हर मान के लिए इसकी सत्यता का दावा भी नहीं करता.

राजेश कुमार ठाकुर

 

 

 

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