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गणित
हमेशा से ही संभावनाओ का दरवाजा खोलता रहता है. गणित आपको अलग तरीकों से सोचने पर
विवश करता है. ऐसे ही करामाती सोच के धनी थे जर्मन के गणित शास्त्री डेविड
हिल्बर्ट. गणित में अलग- अलग तरह की संभावनाओं पर इन्होने गणित सम्मेलन में चर्चा
कर गणितज्ञों को सोचने के लिए मजबूर किया की गणित सिर्फ गणनाओं का क्षेत्र नही है
यह अपार और असिमीत सोच को उजागर करने का एक जरिया है. 1924 में एक गणित सम्मेलन
में बोलते हुए डेविड हिल्बर्ट ने एक ऐसे काल्पनिक होटल की समस्या पर विचार करने को
कहा जिसमे असीमित कमरे हैं .अब कल्पना कीजिए की किसी शहर में एक ऐसा होटल है जिसमे
असीमित कमरे हैं. इस असिमीत कमरे के सभी कमरे को किसी विशेष प्रयोजन के लिए किराये
पर ले लिया गया है और तभी उस होटल में एक विशिष्ट अतिथि जो शहर का मेयर है आ गया
जिसे अपने किसी मेहमान के लिए एक कमरा चाहिए था. अब जब एक भी कमरा खाली ना हो तो होटल का मालिक कमरे की व्यवस्था कैसे
करे. इसी समस्या में उलझे मालिक के दिमाग में एक विचार आया क्यों ना सभी कमरे में
ठहरे मेहमान को एक एक कमरा आगे रहने के लिए कहा जाये. अर्थात कमरा संख्या 1 के
मेहमान को कमरा 2, कमरा 2 को 3.... कमरा संख्या n
वाले को n+1 कमरे में शिफ्ट किया जाये. मेहमान
को यह सुचना दी गयी और मेहमान राजी हो गये और इस तरह कमरा संख्या 1 खाली हो गया और
मेयर साहब के मेहमान को कमरा संख्या 1 में ठहरा दिया गया.
अब एक बार उसी शहर में
किसी मंत्री के बेटे की शादी होने वाली थी और जिस तारीख को शादी तय हुई थी उस दिन
भी दुर्भाग्य से ग्रैंड इनफिनिटी होटल के सारे कमरे भरे हुए थे. मंत्री जी ने अपने
रसूख का इस्तेमाल कर पुरे शहर को दावत दी और होटल को अपने बेटे की शादी के लिए
सारे कमरे की बुकिंग का आदेश दिया और इसके साथ ही सख्त चेताबनी भी की अगर कमरे
खाली नही मिले तो होटल बंद करा दिया जायेगा.
इस बार होटल
मेनेजर ने एक नई उक्ति निकाली. उन्होंने उक्त दिन जब सारे कमरे भरे थे और बारात के
लोग होटल में रहने के लिए आये तो होटल के मेहमान को एक सामूहिक अनुरोध किया की सभी
मेहमान अपने कमरा संख्या के दुगुने नम्बर वाले कमरे में चले जाएँ और खाली कमरों
में बारातियों को ठहरा दिया जाये.
· अब जब बात
अनंत की हुई है तो आपको ये जानकार आश्चर्य होगा की किसी संख्या से शून्य को भाग
देने पर कोई उत्तर नही प्राप्त होता है अगर आप कैलकुलेटर में किसी संख्या को
0(शून्य) से भाग देंगे तो आपको E दिखेगा अर्थात एरर. पर मजेदार बात है की भास्कराचार्य
ने इस प्रश्न का सही जबाब अपनी पुस्तक में दिया. – ख भाजितो राशि खहर स्यात.
अर्थात अगर किसी राशि का हर शून्य हो तो उसे खहर कहते हैं. भास्कराचार्य जी
लिखते हैं की अगर किसी राशि का भाजक शून्य हो तो उत्तर अनंत होता है और इसमें कुछ
जोड़ने और घटाने पर कोई अंतर नही होता जैसे पूरी प्रकृति ईश्वर से बनी है और सभी
जीवों की उत्पति और विनाश से ईश्वर के अस्तित्व में कोई परिवर्तन नहीं होता ना ही
जीवों की उत्पति से ईश्वर पतला और जीवो के विनाश के बाद ईश्वर में समा जाने के बाद
मोटा होते हैं.
इस अनंत के चिह्न की खोज
अंग्रेज गणितज्ञ जॉन वालिस ने की.
· अंग्रेज
गणितज्ञ जोर्ज केंटर ने 1880 में वेन डायग्राम की खोज की जिसमे चित्र द्वारा दो
समूहों के बीच सर्वनिष्ट, सम्मिलन , अंतर या पूरक को प्रदर्शित किया जाता है.
चित्र –
1 चित्र – 2
दो या दो से अधिक समुच्चय या संबंधो के लिए वेन डायग्राम
बहुत आसान है पर जैसे जैसे संबंधो की संख्या बढती जाती है ये मुश्किल होता जाता है
जैसे चित्र 1 में तीन समूहों के बीच संबंधो को वृत्त के माध्यम से आसानी से दिखाया
गया है पर 6 समूहों के बीच संबंधो को चित्र 2 में काफी जटिलता से दिखाया गया है.
डॉ राजेश कुमार ठाकुर
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