Monday, July 14, 2025

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गणितज्ञों का योगदान - डॉ राजेश कुमार ठाकुर


भारत के स्वतंत्रता दिवस के इस 75 वें वर्षगांठ पर हमारे प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी ने एक नारा दिया – देश प्रथम, हमेशा प्रथम. अब बात करें देश के विकास की तो गणित और विज्ञान की सेवा के बिना देश की प्रगति के बारे में सोचना एक असंभव कार्य है. अब  देश के आम जनों ने स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया , छात्रों , महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया पर सवाल उठता है क्या भारत के गणितज्ञों और वैज्ञानिकों ने भी कुछ भूमिका स्वतंत्रता आन्दोलन में निभाई. आज का यह लेख इसी पर केन्द्रित है.

भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में से एक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को तो सब जानते हैं. पर आपको जानकर ताज्जुब होगा उनके पिता श्री आशुतोष मुखर्जी पराधीन भारत में गणित और भौतिकी विषय में एम एस सी की दो डिग्री लेने वाले पहले भारतीय थे जो पेशे से तो जज थे परन्तु कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति भी थे. बंगाल तकनीकी संस्था जो आज जाधवपुर विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है की स्थापना तथा कोलकाता मैथमेटिकल सोसाइटी की स्थापना का श्रेय इन्ही को जाता है और गणित में दर्जनों शोध पत्र लिखने का श्रेय मुखर्जी को जाता है.  परतंत्र भारत में 1930 में विज्ञान के लिए सी वी रमण को नोबेल पुरस्कार मिला और जब रमण को पुरस्कार ग्रहण करने के लिए स्टेज पर बुलाया गया तो नोबेल पुरस्कार लेते हुए भी उनके आँखों में आंसू थे. जब लोगों ने इस अवसर पर उनके रोने का कारण पूछा तो रमण ने बड़ा सुंदर जबाब दिया- यह पुरस्कार ग्रहण करते समय मेरे पीछे स्वतंत्र भारत का झंडा नहीं बल्कि अंग्रेजी हुकुमत का झंडा लहरा रहा था और यही उनके दुःख का कारण था.

इसी कड़ी में गणित के प्राध्यापक प्रो. उदित नारायण सिंह भी बड़े आदर से लिया जाता है.  प्रो. सिंह , दिल्ली विश्वविद्यालय के उप- कुलपति और गणित के प्राध्यापक प्रो. दिनेश सिंह के पिता थे. स्वतंत्रता आन्दोलन में इन्होने इलाहबाद में अपने सैकड़ों मित्रों के साथ एक संगठन बनाया और इलाहबाद में रेलवे पटरी को डायनामाइट से उड़ाने की योजना बनाया. गणित के प्राध्यापक रहते हुए भी देश की सेवा में योगदान देकर इन्होने भारतीय मस्तक को और ऊँचा उठाने का काम किया.

बाल गंगाधर तिलक के बारे में  तो सब जानते है. तिलक एक वकील के आलावा उच्च कोटि के गणितज्ञ थे जिन्होंने ना सिर्फ स्वतंत्रता आन्दोलन में अपनी भूमिका निभाई बल्कि भारतीय पंचांगों में हो रही गड़बड़ी के बारे में लोगों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए 1906 में अखिल भारतीय ज्योतिष परिषद की बैठक बुलाई और पंचांगों में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया. इसी प्रकार भारत रत्न डी के कर्वे  जो एक सच्चे देशभक्त के आलावा एक अच्छे गणितग्य भी थे और पूना में गणित विषय के प्राध्यापक भी रहे ने स्वतंत्रता आन्दोलन में बढ़चदकर हिस्सा लिया. ऐसे तो कई गणितज्ञ और वैज्ञानिकों ने देश की प्रगति के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया जिनमें प्रख्यात गाँधी विद प्रह्लाद चुन्नीलाल वैध का नाम कौन भूल सकता है. बनवारीलाल शर्मा एक प्रसिद्ध गाँधीवादी, जाने-माने गणितज्ञ, पूर्व प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष - गणित, इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा आजादी बचाओ आंदोलन के संस्थापक और राष्ट्रीय संयोजक थे जिन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग तो लिया ही स्वतंत्रता के पश्चात् भी राष्ट्रीय समस्या का मुखर होकर विरोध किया.  हिंदी भाषा को जन सुलभ बनाने के लिए जीरो नामक एक संस्था की स्थापना की जो गणित को हिंदी भाषा में लोकप्रिय करने का काम करती रही.  बिभूति भूषण दत्ता, के आनंद राव, एस पिल्लई , पी सी महलनोविस जैसे कई बड़े नाम हैं जिन्होंने देश की प्रगति में गणित और विज्ञान को आधार बनाया.

प्रो यु एन सिंह                         बाल गंगाधर तिलक                 पी सी कर्वे

डॉ राजेश कुमार ठाकुर


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