Tuesday, July 15, 2025

दो स्थानों के बीच की हवाई और समतल दुरी

 

क्या आप जानते हैं – 62

हमें ज्ञात है की किसी समतल पर दो बिन्दुओं के बीच की दुरी एक सरल रेखा होती है. यदि आप किसी आयताकार या वर्गाकार खेत में एक कोने से दुसरे कोने तक जाना हो तो आप विकर्ण के सदिश ही चलेंगे क्योंकि सरल रेखा में विकर्ण के सापेक्ष न्यूनतम दुरी तय किया जा सकता है. परन्तु क्या यही स्थिति गोलाकार पट्टी या पृथ्वी पर हो सकती है? गोलाकार वस्तु या पृथ्वी पर स्थित दो विन्दुओं के बीच की दुरी को अगर सरल रेखा में ज्ञात करें तो आप पाएंगे की इन दो जगहों के बीच की दुरी सरल रेखा में अधिक और वक्रीय रेखा में कम होती है. हवाई जहाज इसी सिद्धांत का काम करते हुए दुरी तय करती है. इसे विस्तार से समझने के पहले देश के दो शहर दिल्ली और कोलकत्ता के बीच की दुरी पर बात करते हैं. इन दो शहरों के बीच की राज मार्ग दुरी 1443.29 किमी है जबकि हवाई दुरी 1306.6 किमी है. अर्थात एक हवाई जहाज को सरल रेखा की जगह वक्रीय पथ (curve path) पर करीब 136.69 किमी कम दुरी तय करना पड़ेगा.

 

 


 अब मान लीजिये की एक हवाई जहाज जिसकी क्षमता 192 पैसेंजर को ढोने की है प्रति किलोमीटर 4.18 लीटर ATF का इस्तेमाल करती है. बात करें अगस्त 2021 की तो दिल्ली में प्रति किलोलीटर ATF 69137.42 रुपया है तो इस हिसाब से यदि हवाई जहाज भी वक्रीय पथ की जगह सरल रेखा में गमन करे तो 136 किमी के अंतर के लिए प्रति पैसेंजर किराया कितना बढेगा यह आप सोचिये. अब बात करते हैं युक्लिड की ज्यामिति की जहाँ न्यूनतम दुरी को सरल रेखा में ज्ञात किया जाता है, यदि किसी तल में दो विन्दु जिनके निर्देशांक (co-ordinate) (x1 , y1) (x2 , y2) हों तो इनके बीच की दुरी 


 
होगी. अब बात करें  गोलाकार आकृति की तो यहाँ न्यूनतम दुरी निकालने के लिए दीर्धवृत्त के चाप (arc of great circle on sphere) के सापेक्ष दुरी निकाली जाती है और यह दोनों स्थानों के अक्षांश और देशांतर पर निर्भर करता है. यदि गोले पर स्थित दो बिन्दुओं के द्वारा गोले के केंद्र पर बना कोण



जहाँ φ1φ2  दोनों बिन्दुओं का अक्षांश तथा λ1λ2 दोनों विन्दुओं का देशांतर है तथा इन दोनों स्थानों के बीच की दुरी को

सूत्र द्वारा निकाला जाता है . इसकी विस्तृत जानकारी के लिए आपको गोलीय ज्यामिति (spherical geometry) का सहारा लेना पड़ेगा. यहाँ यह स्पस्ट करना भी आवश्यक है की यूक्लिड ज्यामिति में एक त्रिभुज तीन रेखाखंड से घिरी एक आकृति है और यहाँ त्रिभुज के तीन कोणों का योग 180 डिग्री होता है पर इसके उलट यदि एक गोलाकार आकृति से एक त्रिभुजाकार रचना काट कर निकाली जाये तो इस प्रकार बने त्रिभुज के कोणों का योग 180 डिग्री से अधिक होगा जबकि किसी वक्रीय सतह में बने अतिपरवलिय त्रिभुज  (hyperbolic triangle) के तीनों कोणों का योग 180 डिग्री से कम होगा. गैर- युक्लिड ज्यामिति में यह दोनों स्थिति संभव है और इस विचार ने गणित में कई अनसुलझी रहस्यों को हल करने में मदद की.


चित्र 1 में एक अतिपरवलीय त्रिभुज है और चित्र 2 में एक गोलीय त्रिभुज है. पहली स्थिति में त्रिभुज के कोणों का योग 180 अंश से कम, दुसरे में 180 अंश से अधिक होगा जबकि साधारण त्रिभुज में 180 अंश के बराबर होगा .

बच्चों को कक्षा में जानकारी देते समय इस तरह के प्रश्न उनकी जिज्ञासा को बढ़ाने में काम करती है

डॉ राजेश कुमार ठाकुर

 

 

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