क्या आप जानते हैं?
संख्याओं से खेलना किसे अच्छा नहीं लगता. जब ऐसी ही खेल आपके मन को कुछ इस तरह झकझोर दे और आपको कुछ ऐसा करने की जिजीविषा से भर दे की आप कुछ अनोखा कर जायें. गणित विषय का उपयोग प्राचीन समय में अपने जरूरतों के लिए गणना करने में किया जाता रहा और उस गणना चाहे वो त्रिकोणमिति सारिणी बनाने में हो, खगोलीय गणना के लिए बड़ी संख्या का गुणा या भाग करना हो. ये परेशानी गणितज्ञों के लिए परेशानी का कारण रहा की गणना को सरल कैसे किया जाये खासकर जब आपके पास कैलकुलेटर या कंप्यूटर जैसे संसाधन ना हों. 1593 में पॉल विटिच और कैल्विन ने संयुक्त रूप से एक पुस्तक लिखी जिसका नाम – डी एस्ट्रोलैबे जिसमे त्रिकोणमिति सारिणी का प्रयोग कर गणना को सरल करने पर जोर दिया. इसके अलावा स्टेविनस ने व्यापारिक गणित में उपयुक्त गणना को सरल करने के लिए एक सारिणी का निर्माण किया. कुल मिलाकर मकसद एक ही था गणना को सरल कैसे किया जाये.
यहाँ दो उदाहरण से आपको ये समझ आ गया होगा कि गुणा करना जोड़ने से मुश्किल प्रक्रिया है और खासकर अगर संख्याएं बड़ी हो तो मामला और ही पेंचीदा हो जायेगा. शायद यही कारण रहा होगा की स्कॉटलैंड में जन्मे जॉन नेपियर ने गणना को सरल बनाने के लिए लघुगुणक सारिणी बनाने का विचार किया होगा. जॉन नेपियर के समय तक त्रिकोणमिति सारिणी का अविष्कार हो चूका था और शायद आरम्भ में नेपियर ने त्रिकोणमिति का प्रयोग किया होगा.
हमें
पता है की . चलिए देखते हैं की त्रिकोणमिति का प्रयोग कर आप गुणा को
कैसे सरलता से हल कर सकते हैं . मान लीजिये आपको
करना हैं तो त्रिकोणमिति सारिणी से sin 45 = 0.7072 तथा cos12
= 0.9781 होता है.
sin45.
cos12 = तथा
. अतः sin45.
cos12 =
यदि आप इसे ध्यान से देखें तो आप पाएंगे कि
त्रिकोणमिति सारिणी से प्राप्त परिणाम दशमलव के बाद के तीन अंक तक सही है. अब आप
सोच रहे होंगे की यह सारिणी कैसे बनाया जायेगा. लघुगुणक सारिणी जो नेपियर ने बनाया
उसकी कहानी को थोडा विराम देकर सारिणी पर चर्चा करें. नेपियर के समय तो घातांक
सम्बंधित नियम नहीं प्रयोग में आये थे और ना ही कैलकुलस और युलर द्वारा प्राकृतिक
लघुगुणक के लिए e = की खोज. नेपियर ने जो सारिणी बनाई वो आधार 1/e के करीब थी . यदि x एक
संख्या है तो नेपियर logx आधार 1/e पर
के
लघुगुणक के बराबर होगा और आधुनिक परिभाषा के अनुसार
होगा.
आधुनिक लघुगुणक सारिणी तो 10 के घात पर
आधारित है. किसी संख्या x, आधार b और घातांक n, के लिये .
चूँकि
2 = अतः
इसी तरह
3 = अतः
पुनः 5 = 10/2 से, .
ये सारे मान आसन्न हैं और मौजूदा सारिणी से थोड़े अंको तक ही मिल सकते हैं पर आपने
देखा की आप कैसे खुद लघुगुणक सारिणी बना सकते हैं. पर अब मूल प्रश्नों पर आते हैं
कि लघुगुणक और नेपियर का सम्बन्ध कैसा रहा? 1614 में नेपियर द्वारा लिखी पुस्तक मिरिफिसी लॉगेरिथमोरम केनोनिस
डिसक्रिप्शियो (Mirifici
logarithmorum canonis descriptio) शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित हुआ जिसने पुरे यूरोप में गणित में एक
क्रांति ला दी. इसी तरह की सारिणी अंग्रेज गणितज्ञ हेनरी ब्रिग्स ने बनाया और
ब्रिग्स ने नेपियर को इस बात के लिए राजी किया की लघुगुणकों आ आधार 10 बना दिया
जाए जिसे नेपियर ने मान लिया. इस तरह नेपियर और ब्रिग्स की मेहनत ने गणना करने की
एक प्रभावशाली तकनीक द्वारा विश्व को अनुगृहित किया.
डॉ राजेश कुमार ठाकुर
No comments:
Post a Comment