Tuesday, July 15, 2025

कोणार्क सूर्य मंदिर और गणित

 

क्या आप जानते हैं –

मंदिरें सिर्फ उपासना का घर नहीं बल्कि ज्ञान – विज्ञान पर आधारित एक अनकही इमारतें हैं. वास्तुकला का उत्तम नमूना यह मन्दिर आस्था और विज्ञान का केंद्र भी है. चाहे बात करें काशी- विश्वनाथ मन्दिर के मन्दिर पर आधारित किंवदंती से निकले हनोई टावर की या ग्वालियर के चतुर्भुज मन्दिर के राम पट्टी की जिसपर शून्य के चिन्ह को उकेरने की कहानी लिखी है. आज ऐसे ही किसी मन्दिर क बात करते हैं . उड़ीसा के पूरी जिले में स्थित कोणार्क का सूर्य मन्दिर चन्द्रभाग नदी के मुहाने पर 13 वीं शदी में राजा नरसिंहदेव के शासनकाल में बनाया गया था. इस मन्दिर को काला पैगोडा भी कहा जाता है क्योंकि इसका निर्माण काले पत्थर से किया गया हैं. कोणार्क  का शाब्दिक अर्थ है – कोण + अर्क (सूर्य). सूर्य को समर्पित इस मंदिर में दीवारों पर उकेरे बड़े-बड़े पहिये जिसका व्यास लगभग 9 फीट 9इंच तक बड़े हैं जिसे सूर्य के लिए बनाये रथ जिसे 7 घोड़े द्वारा खींचा दिखाया गया है, सप्ताह के 7 दिनों को इंगित करता है. मंदिर में 12 युग्म के पहिये साल के 12 महीने और कुल 24 पहिये दिन के 24 घंटो के लिए बनाये गये हैं  .

13 वीं शदी में बने कोणार्क मंदिर अभियन्त्रिक और खगोल विज्ञान का अद्भुत नमूना है. इसकी मदद से दिन के किसी समय का मान मिनट तक सही रूप से निकाला जा सकता हैं. इस मंदिर में बने कई सूर्य घड़ी और चन्द्र घड़ी सही समय बताने का काम बड़ी बखूबी से करने के लिए उपयुक्त हैं .

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बड़े बड़े सूर्य घड़ी के अंदर 8 मोटे छड हैं जो पुरे दिन के 24 घंटे को 3 घंटे के बराबर अन्तराल में बांटते हैं. ये 8 छड दिन के 8 प्रहर को बताने के लिए है. इसके अलावा इन मोटे छड के ठीक बीच में 8 पतले छड हैं जो प्रत्येक 3 घंटे को दो बराबर हिस्से में बांटते हैं अर्थात एक मोटे और एक पतले छड के बीच 90 मिनट का समय दर्शाने के काम आता है. इन मोटे और पतले छड के बीच में 30 मोतीनुमा दाने बने हैं जो 90 मिनट को 30 बराबर अन्तराल में बाटने के लिए बनाया गया है अर्थात प्रत्येक दाने 3 मिनट को बताने का काम करते हैं. ये मोती के दाने काफी बड़े हैं अतः सूर्य के छाया का मोती के दाने पर पड़ना या इन मोतियों के बीच पड़ना समय के मिनट तक सही समय का आकलन करता है.

 

दोपहर के समय जब सूर्य पूरब से पश्चिम की तरफ गुजरता है तो सूर्य की परछाई दीवार पर बने सूर्य घड़ी पर नहीं पड़ती इसलिए दीवार पर बने सूर्यघड़ी दोपहर को समय नहीं बता पाएंगे

इस समस्या को हल करने के लिए मन्दिर में पश्चिम की ओर भी सूर्य घड़ी बनाये गये हैं . यह घड़ी पूरब के दिशा में बने सूर्य घड़ी से मेल खाते हैं. अर्थात सुबह से दोपहर तक समय जानना हो तो आप पूरब दिशा में दीवारों पर बने सूर्य घड़ी का प्रयोग और दोपहर से शाम तक पश्चिम दिशा में बने सूर्य घड़ी का प्रयोग कर समय जान सकते हैं. अब सबाल उठता है की क्या सिर्फ दिनमे ही इसमें समय देखने का काम हो सकता है ? इस मन्दिर में सूर्य घड़ी के तर्ज पर चन्द्र धड़ी भी बनी है. 24 चन्द्र घड़ी रात को समय बताने का काम करता है. प्राचीन समय में गणित की इतनी बारीकियों को समेटे यह मंदिर ना सिर्फ स्थापत्य कला का उदाहरन हैं बल्कि उस समय गणित,खगोल और अभियन्त्रिकी का अद्भुत नुमना है.

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डॉ राजेश कुमार ठाकुर

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