Saturday, March 12, 2016

क्रिकेट में ग्राफ का प्रयोग -4

विभिन्न ग्राफ का उपयोग
क्रिकेट में दंड आलेख (bar graph), बारंबारता बहुभुज (Frequency Polygon), वैगन व्हील , पाई चार्ट इत्यादि का काफी प्रयोग होता है . यह सभी ग्राफ गणित का एक अभिन्न अंग है और बिना इसके क्रिकेट के रोमांच को आम आदमी तक पहुचाना मुश्किल है . तो बच्चो आओ हम कुछ ग्राफ के द्वारा क्रिकेट के रोमांच को यही विराम दें .


माइकल क्लार्के की बल्लेबाजी का पाई चार्ट द्वारा प्रदर्शन

सचिन तेंदुलकर द्वारा एक दिवसीय खेल का बल्लेबाजी का प्रदर्शन

रेखीय ग्राफ द्वारा दो देश के रनों का तुलनात्मक अध्ययन

क्रिकेट में दर्शाया जाने वाला यह चित्र वैगन व्हील के नाम से जाना जाता है जिसमे एक बल्लेबाज द्वारा क्रिकेट के मैदान में बनाये रन, शॉट की दिशा और पिच से दुरी को दर्शाने के लिए प्रयोग किया जाता है.
तो प्यारे बच्चो तुम्हे क्रिकेट का गणित कैसा लगा ?
बच्चे :- अंकल सचमुच ये सब जानकर मजा आ गया की गणित की उपयोगिता एक क्रिकेट खिलाड़ी के लिए भी उतनी ही जरुरी है जितने हमारे लिए .
नीलभ :- पापा, क्रिकेट में गणित पर रोचक जानकारी देकर तो आपने मुझे गणित की सार्बभोमिकता के बारे में बता कर मुझे और मन से गणित पढने के लिए प्रेरित कर दिया . पापा मेरे दो प्रशन है –
1. किसी ऐसे मशहूर गणितज्ञ के बारे में बता सकते हैं जो क्रिकेट का दीवाना रहा हो ?
2. क्या फुटबॉल में गणित की उपयोगिता है ?

(अगले अंक में जारी )

डॉ राजेश कुमार ठाकुर
09868060804

क्रिकेट में संखियिकी (statistics) का अनुप्रयोग -3

संखियिकी (statistics) का अनुप्रयोग
क्रिकेट में सांखियिकी का अनुप्रयोग बल्लेबाज, गेंदबाज, उद्घोषक क्रिकेट के दौरान और विश्लेषक खेल के दौरान और खेल के पश्चात् भी आंकड़ो को सहेज कर रखते है और ये आंकड़े सांखियिकी से सम्बंधित होते हैं. ये आंकड़े किसी खिलाड़ी के लिए उसके पुरे क्रिकेट करियर में साथ रहते हैं. क्रिकेट के विभिन्न प्रकार के लिए अलग – अलग आंकड़े जुटाए जाते हैं. टेस्ट मैच , एक दिवसीय , राज्य स्तरीय खेल के लिए अलग अलग आंकड़े की आवश्यकता होती है.

एक बल्लेबाज ने कितने मैच खेले , कितने इन्निंग्स में बल्लेबाजी की , कितनी बार नोट आउट रहा, कितने रन बनाये, एक इनिंग में सर्बाधिक कितने रन बने, कितने अर्ध शतक और कितने शतक बनाये ये सब आंकड़े एक बल्लेबाज के दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. एक बल्लेबाज के लिए यह भी महत्वपूर्ण है की उसका बल्लेबाजी का औसत क्या है

औसत = कुल रन / इनिंग – नोट आउट
यह औसत दशमलब के दो अंको तक निकाला जाता है.

येही नहीं बल्लेबाज द्वारा प्रत्येक 100 बॉल पर बनाये रनों के औसत को क्रिकेट की भाषा में स्ट्राइक रेट कहते है . एक बल्लेबाज जिसका स्ट्राइक रेट अच्छा है उसके सम्बन्ध में ये कहा जाता है की वह तेजी से रन बना सकता है

स्ट्राइक रेट को भी दशमलव के बाद दो अंको तक निकाला जाता है
इसी तरह एक बॉलर भी आंकड़ो का बखूबी इस्तेमाल करता है. जैसे उसका स्ट्राइक रेट , बोलिंग औसत , मेडेन ओवर की संख्या, सर्वश्रेष्ठ बोलिंग , एक इनिंग में 5 विकेट की संख्या यह सब सांखियिकी का ही रूप है . एक बॉलर के लिए उसका इकॉनमी रेट काफी मायने रखता है.

इकोनोमी रेट = रन x 6 / बॉल

खेल में गणित की इतनी सारी ज्ञान की बात सुनकर मेरे मित्र अमित चन्दन की बिटिया शाम्भवी ने क्रिकेट में ग्राफ के उपयोग पर प्रकाश डालने का अनुरोध किया जिसे मैं ठुकरा नहीं पाया.
राजेश ठाकुर:- हाँ शाम्भवी बेटा, क्रिकेट में ग्राफ का प्रयोग अक्सर दोनों टीम के बीच के रनों की तुलना करने के लिए , वैगन व्हील ग्राफ का प्रयोग बल्लेबाजों द्वारा मैदान के चारो ओर लगाये रनों को दर्शाने के लिए किया जाता है , साथ ही बल्लेबाज के एक ओवर में बनाये रनों को दर्शाने के लिए भी हमें ग्राफ की जरुरत होती है.


(अगले अंक में जारी)

डॉ राजेश कुमार ठाकुर
09868060804











बोलिंग और बल्लेबाजी में गणित -2

BOWLING ACTION

मान लीजिये की बॉल का भार M और त्रिज्या a है यदि स्लाइडिंग घर्षण μ हो तो बॉल पर लगने वाला घर्षण बल F = μMg होगा और ये घर्षण बॉल पर एक रेखीय गति को कम करेगा तथा बल का संवेग दक्षिणावर्त कोणीय त्वरण पैदा करेगा जो बॉल को घुमने में मदद करेगा.
एक दायें हाथ के ऑफ स्पिन बॉलर की बात करें तो हम पातें है की स्पिन दक्षिणावर्त (CLOCKWISE) है . यदि घूर्णन का अक्ष क्षैतिज और आगे की ओर हो तो बॉल काफी तेजी से घूमते हुए अपनी दिशा बदलेगी वही यदि घूर्णन का अक्ष उर्ध्वाधर हो तो बॉल जमीन पर गिरने के बाद अपनी दिशा नहीं बदलेगी . यदि घूर्णन का अक्ष विकर्ण के अनुदिश बायीं ओर हो तो यह पहले दायीं ओर जाती दिखेगी पर जमीन पर गिरने के बाद यह बायीं ओर मुड़ जाएगी. अतः ऑफ स्पिन बॉलर घूर्णन के अक्ष को बदल बदल कर बॉल को घुमा सकता है और उसी तरह बाएं हाथ के लेग स्पिन बॉलर भी बॉल को अपनी इच्छा से घुमा कर बैट्समैन को चकमा दे सकता है.

बल्लेबाजी का गणित
न्यून कोण त्रिभूज समकोण त्रिभुज

एक बल्लेबाज अपनी खेल में कई तरह की ज्यामिति रचना का प्रयोग करते हुए रन बनाता है. बल्लेबाजी के दौरान वह कई बार समकोण और तो कई बार न्यून कोण बनाते हुए रन बनाता है . साथ ही जब एक बल्लेबाज गेंद पर प्रहार कर उसे बाउंड्री के बाहर छह रन के लिए भेजता है तो गेंद एक परबलय की रचना करती है. जिसका गणितीय समीकरण y^2 = 4ax होता है .

डॉ राजेश कुमार ठाकुर
09868060804

क्रिकेट में गणित -1

मशहूर फुटबॉलर पेले भारत आ रहे हैं यह खबर अखबार में पढ़ते ही नीलभ की आंखे चमक उठी . वह मन ही मन पेले से मिलने के सपने देखने लगा. नीलभ को यह तो पता था की जिस तरह ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है और सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान उसी तरह पेले को फुटबॉल की दुनिया में पूजा जाता है.
शाम का वक्त था, खाली समय में नीलभ की इच्छा विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय दो खेलों के बारे में जानने की हुई और गहराई से जानने की इसी चाह ने उसे इन्टरनेट से जानकारी जुटाने के लिए बाध्य किया . इन्टरनेट पर क्रिकेट और फुटबॉल के बारे में जानने तथा इन दोनों खेलों से सम्बंधित जानकारी को नीलभ अपनी कॉपी पर नोट करता जा रहा था . अचानक उसके पिता की नजर उस पर पड़ी और उत्सुकतावश उन्होंने पूछा – बेटा क्या स्कूल में कोई प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए दिया है जो इस तल्लीनता से इन्टरनेट से जानकारी जूटा रहे हो

नीलभ :- नहीं पिताजी , क्रिकेट और फुटबॉल के और खेल के बारे में जानकारी इकठ्ठा कर रहा हूँ.

पिता: - अद्भुत ! बेटे, क्या आपको इस बात की जानकारी है की फुटबॉल और क्रिकेट में गणित है . गणित के कई क्षेत्र जैसे ----क्षेत्रमिति , ज्यामिति ,गति विज्ञानं, सांख्यकी व गणित की कई विधाओं का प्रयोग होता है.

नीलभ यह सुनकर चौक गया कि खेल में गणित कैसे हो सकता है. काफी सोच विचार कर उसने अपने पिता से इस रोचक विषय पर प्रकाश डालने का अनुरोध कर डाला.

पिता:- बेटा रविवार को आप अपने दोस्तों के साथ शाम को आना और मैं विस्तार से इस विषय पर चर्चा करूँगा.
नीलभ ने अपने कई दोस्तों से इस बारे में बात की और रविवार नियत समय पर सभी दोस्त नीलभ के घर पर इकठ्ठा हो गए. सभी हॉल में आज के मजेदार विषय खेल में गणित पर चर्चा कर रहे थे की तभी नीलभ के पिता श्री राजेश ठाकुर जी वहां आ गए.

राजेश ठाकुर: - नमस्ते बच्चों, कैसे हो ?

बच्चे :- नमस्ते अंकल , हम ठीक है और आज इस परिचर्चा के लिए काफी उत्साहित है की गणित का अनुप्रयोग खेल में कैसे हो सकता है.
राजेश ठाकुर:- बच्चों यूँ तो प्रत्येक जगह गणित मौजूद है पर आज के परिचर्चा का विषय को हम और संक्षेप में लेते हुए क्रिकेट और फुटबॉल पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे. आपके लिए यह जानना भी आवश्यक है की गणित का सम्बन्ध प्रकृति, पेंटिंग , डांस , संगीत , फल, फूल, रसोई , व्यापार, वास्तुकला, सांख्यकी , अभियाँत्रिक, खेल और ऐसे ही अन्य विषयों के साथ सम्बन्ध है पर आज का हमारा विषय गणित का खेलों में अनुप्रयोग है और जैसा की मैंने बताया हम सिर्फ महत्वपूर्ण खेल पर अपना ध्यान रखेंगे . तो आइये हम सबसे पहले क्रिकेट से अपनी परिचर्चा को आगे बढ़ाते हैं.

क्रिकेट

क्रिकेट बल्ले और गेंद से खेले जाने वाला एक ऐसा खेल है जिसमे दो टीम के 11 -11 खिलाड़ी एक मैदान के बीचो-बीच बने 22 गज के एक आयताकार पिच के इर्द- गिर्द खेलते है. जिसमे एक टीम के 2 खिलाड़ी बल्ले से गेंद पर बारी – बारी से प्रहार करते है जबकि दुसरे टीम के 11 खिलाड़ी गेंद को रोकने का प्रयास करते हैं . यह खेल 5 दिन , 50 ओवर या 20 ओवर का होता है जिसमे एक ओवर में 6 बॉल फेकने होते हैं.

ICC ने क्रिकेट मैदान के लिए यूँ तो किसी तरह के दिशा निर्देश जारी नहीं किये हैं कि मैदान कितना बड़ा होना चाहिए परन्तु एक निम्न सीमा जरुर तय की है जिसके अनुसार क्रिकेट मैदान की कम से कम व्यास 137.16 मी. तथा पिच से बाउंड्री की निम्न सीमा 65 गज (59.50 मी.) तथा अधिकतम लम्बाई 90 गज ( 82.29 मी.) तय की है. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की क्रिकेट के पिच से बाउंड्री को देखने पर यह दीर्ध वृत्त सा दिखता है .


(सौजन्य:- http://www.sportsknowhow.com/cricket/dimensions)

क्रिकेट पिच का आकार


एक क्रिकेट पिच की लम्बाई 22 गज (20.12 मी.) तथा चौड़ाई 10 फीट (3.05 मी.) होती है , जिसमे पोप्पिंग क्रीज़ के बीच की दुरी 17.68 मी. होती है.
तभी वहां पड़ोस में रहने वाली सारिका कश्यप का छोटा बेटा स्वरित अपने बल्ले और बॉल के साथ नीलभ को खेलने बुलाने आ गया. जब उसने देखा की नीलभ के पापा बच्चो के साथ क्रिकेट पर चर्चा कर रहे है तो उससे रहा नहीं गया.

स्वरित:- अंकल, क्या बल्ले और बॉल में भी गणित का प्रयोग हो सकता है.

राजेश ठाकुर :- हाँ बेटा, तुम्हारे पास जो ये बल्ला और गेंद है इसमें भी गणित छुपा है. पहले यहाँ बैठो और फिर मैं तुम्हे बिस्तर से इसके बारे में बताता हूँ . यही नहीं क्रिकेट के स्टंप और गिल्ली में भी गणित के नियमों का अनुप्रयोग होता है.

बल्ला और गेंद का आकार:-




क्रिकेट के नियम 6 के अनुसार एक क्रिकेट बल्ले की लम्बाई 38 इंच तथा इसकी चौड़ाई 4.25 इंच से अधिक नहीं हो सकती . बल्ले का वजन 1.2 से 1.4 किग्रा तक हो सकता है .
एक बॉल की परिधि 8 13/16 से 9 इंच ( 22.4 सेमी से 22.9 सेमी) तथा इसका वजन 5.5 से 5.75 औंस ( 155.9 ग्राम से 163 ग्राम) तक होता है.

बेल और स्टंप का आकार


क्रिकेट पिच के दोनों तरफ 3 लकड़ी के डंडे होते हैं जिन्हें विकेट या स्टंप कहते हैं जिसकी लम्बाई 28 इंच (71.1 सेमी) होती है तथा इन्हें इस प्रकार लगाया जाता है की तीनो स्टंप के चौड़ाई 9 इंच से अधिक न हो . इनके ऊपर रखे बेल की ऊंचाई 0.5 इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए.
बच्चों ये तो हुआ क्रिकेट का साधारण ज्ञान जिसमे लम्बाई, चौड़ाई, ऊंचाई ,क्षेत्रफल और वजन पर हमने चर्चा की जिसमे गणित का प्राथमिक ज्ञान शामिल है . आओ हम एक बोलर को बॉल फेंकने में गणित कैसे सहायक होगा इसकी चर्चा करें.

यह एक क्रिकेट पिच की स्तिथी है जिसमे पोप्पिंग क्रीज़ से पोप्पिंग क्रीज़ के बीच की दुरी 17.68 मीटर होती है. मान लीजिये की ग्लेन मैकग्रा 150 किमी / घंटा के हिसाब से बोलिंग कर रहा है तो वह बॉल सामने खड़े बैट्समैन तक पहुँचने के लिए लगभग 0.424 सेकंड का समय लेगा. अब कल्पना करो की मैकग्रा ने पोप्पिंग क्रीज़ से D दुरी पीछे से बॉल फेंकी तो अब उसकी 150 किमी /घंटे की स्पीड बैट्समैन तक पहुँचने में कम हो जाएगी और यह स्पीड (17.68 x 150) / (17.68 + D) किमी / घंटा रहेगी . मान लीजिये की सोहेब अख्तर 150 किमी / घंटा के स्पीड से बोलिंग कर रहा है परन्तु नो- बॉल न हो पाए इस लिए पोप्पिंग क्रीज़ से 20 सेमी पहले ही सामने खड़े बैट्समैन को बॉल कर देता है तो बैट्समैन तक बॉल
(17.68 x 150) / (17.68 +0.20) किमी / घंटा = 148.32 किमी / घंटा के स्पीड से पहुंचेगी . इससे यह पता चलता है की अगर एक क्रिकेट खिलाड़ी गणित में भी अच्छी जानकारी रखता हो तो उसे नो- बॉल कम करने में मदद मिलेगी और साथ ही अपनी स्पीड को नियंत्रित रखने और अपनी बालिंग में सुधार करने में मदद मिलेगी.

डॉ राजेश कुमार ठाकुर
09868060804

Friday, March 11, 2016

गणितीय क्षमता बढ़ाने के लिए अवश्य पढ़े



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Thursday, March 10, 2016

घन करने के आसान तरीके

घन करने के आसान तरीके
घन करने का अर्थ किसी दी हुई संख्या को आपस में तीन बार गुणा करना है. यदि आपसे यह कहा जाये की आप 2 का घन निकाले तो आपको 2 को आपस में तीन बार गुणा करना पड़ेगा; इसी तरह 3 का घन निकालने के लिए आप 3× 3× 3 = 27 करेंगे

यदि आपको 2 या 3 अंक की किसी संख्या का घन निकालने के लिए कहा जाये तो आप जो मौजूदा तरीके अपनाएंगे वह काफी उबाऊ और समय बर्बाद करने वाला होगा परन्तु हम यहाँ जिन विधियों की चर्चा करेंगे वो काफी आसान, कम उबाऊ और आपके समय को बचाने वाला होगा लेकिन इसके लिए आपको पहले 10 संख्याओं का योग करना पड़ेगा. आपकी सुविधा के लिए यहाँ पहले 10 संख्या का घन दिया गया है
संख्या 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10
घन 1 8 27 64 125 216 343 512 729 1000

इस तालिका को याद रखने के बाद आपको तीव्र गणना करने में मदद मिलेगी. चलिए हम सबसे पहले घन करने की सबसे आसान विधि के बारे में जानें. शुरू करने से पहले आपसे अनुरोध करूँगा की आप सबसे पहले गुणा करने की कुछ विधि को जो इस पुस्तक में दी गयी है को दुबारा आत्मसात कर ले और सबसे महत्वपूर्ण बात की आपको दो लगातार संख्या का तीव्र गुणन करना आना चाहिए.
क्या आप नए विधि को जानने के लिए उत्सुक हैं. तो आइये बिना समय गवाएं हम इस नयी विधि को सीखें. आप जानते हैं की -
a^3 = a^3 – a + a
= a (a^2 – 1) + a
= (a – 1) × a × (a+1) + a

उपरोक्त उदाहरणों से यह स्पष्ट हो जाता है की आपको तीन संख्या का गुणा करना आना आवश्यक है तभी आप तीव्रता से घन कर पाएंगे. मैंने इसी पुस्तक में तीन लगातार संख्या को गुणा करने की विधि की बात की है.
उदाहरण:- 11 का घन बताएं
हल:- यहाँ a = 11 है अतः इसके पूर्ववत और अगली संख्या क्रमशः 10 और 12 होंगे. सबसे पहले आप 10 , 11 एवं 12 को गुणा करें और परिणाम में 11 जोड़ दें.

उदाहरण:- 25 का घन बताएं
हल:- यहाँ a = 25 है अतः इसके पूर्ववत और अगली संख्या क्रमशः 24 और 26 होंगे. सबसे पहले आप 24 , 25 एवं 26 को गुणा करें और परिणाम में 25 जोड़ दें.

उदाहरण:- 99 का घन बताएं
हल:- यहाँ a = 99 है अतः इसके पूर्ववत और अगली संख्या क्रमशः 98 और 100 होंगे. अतः सबसे पहले आप 98 , 99 एवं 100 को गुणा करें और परिणाम में 99 जोड़ दें. किसी संख्या को 100 से गुणा करने के लिए आपको परेशानी नहीं होगी.

डॉ राजेश कुमार ठाकुर
rkthakur1974@gmail.com

Tuesday, March 8, 2016

बड़ी -बड़ी संख्याओं का देश भारत

मनुष्य जन्म के साथ ही गणित की छोटी-छोटी बारीकियां समझना और समझाना शुरू कर देता है . जन्म के समय शिशु का वजन, जन्म-समय, दिन, माह साल इत्यादि अंको का ही तो खेल है. अंको का यह सफ़र मृत्युपर्यंत चलता रहता है . प्राचीन समय में लोगों की इच्छाएं सीमित थी और साधन भी अतः उन्हें हाथ और पैर की उंगलीयों पर गिन कर काम चल जाता था परन्तु कालान्तर में जैसे जैसे मनुष्य की जरूरत बढती गयी संख्याओं की जरूरत भी उतनी ही महती होती गयी और अब संख्या को लिखने के लिए शब्द की जरुरत होने लगी. जैसे 1 (एक ),2(दो), 3(तीन), 4(चार) ------10(दश) इत्यादि . प्रस्तुत लेख में हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म में संख्याओं के सफ़र पर संक्षिप्त चर्चा करेंगे.
हिन्दू धर्म
हिन्दुओं का सबसे प्राचीनतम और महानतम ग्रन्थ वेद है. वेद का अर्थ होता है – जानना. वैदिक संस्कृति हमारी सांस्कृतिक धाती है और वेद हमारी अतीत गाथा की उद्गाता. वेदों की संख्या चार है – ऋग्वेद, सामवेद , अथर्ववेद और यजुर्वेद. प्रस्तुत लेख में वेदों के अलावा रामायण , महाभारत और गीता पर भी चर्चा करने का भरसक प्रयास रहेगा. वेदों में शून्य के साथ- साथ 10^19 तक की संख्या का उल्लेख मिलता है. ऋग्वेद में 10^12 तक की संख्या के बारे में बर्णन है तो यजुर्वेद में 10^19. रामायण के बाल कांड में 10^60 तक की संख्याओं के बारे में पता चलता है . कृष्ण यजुर्वेद की इस श्लोक को देखिये जिसमे 1, 2, 3, 4, ---10, 100 , 1000 ---- अनंत की बात हुई है.


हे अग्नि देव आपको 1 बार, 2 बार , 3 बार --- 10 बार, 100 बार , 1000 बार --- अपरिमित बार नमस्कार है.
इतना ही नहीं वेदों में विषम संख्याओं पर भी चर्चा हुई है. विषम संख्या 2 से विभाजित नहीं होने वाली संख्या है जैसे – 1, 3, 5, 7, 9----


इस श्लोक में जो संख्या का प्रयोग हुआ है वह निश्चित ही विषम संख्या 1, 3, 5, --- 33 का एक समूह है . यही नहीं वेदों में एक ऐसा श्लोक दीखता है जो आपको सम संख्या के अलावा , समान्तर श्रेणी और 4 के गुनज के रूप में चर्ची की हुई है.


इस श्लोक में 4, 8, 12, 16,... 48 तक की संख्याओं को जो 4 के गुणज है साथ ही एक समांतर श्रेणी का निर्माण करते है जिसका प्रथम पद 4 , सार्व-अंतर और = 4 और अंतिम पद 48 है .
वेदों में दशगुणोत्तर गणना के बारे में भी चर्चा का उल्लेख मिलता है. याजुर्वेद्द के वाजसनेयी संहिता के 17वें अध्याय में गणना के लिए 13 नाम की सूचि दी गयी है.


यहाँ 1 (एक), 10(दश), 100(सौ), 1000(सहस्र), 10000(अयुत), 100000(नियुत),1000000(प्रयुत), 10000000(अर्बुद), 100000000(न्यर्बुद),1000000000(समुद्र), 10000000000(मध्य), 100000000000(अन्त) और 1000000000000(परार्ध) का प्रयोग किया गया है. इसी सूचि को आगे बढ़ाते हुए यजुर्वेद के तैतरीयसंहिता में 10^12 से आगे की संख्या के नाम मिलते है – 10^13 (उसस) , 10^14(वयुष्टि), 10^15(देशयत) , 10^16(उद्धयत), 10^17(उदित), 10^18(सुबर्ग) और 10^19(लोक) का वर्णन मिलता है . यदि मैं वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड की बात करूँ तो हमें वहां 10^60 तक की संख्या का पता चलता है . श्री राम जब अपनी सेना के साथ समुद्र पर 100 योजन लम्बा और 10 योजन चौड़ा पुल निर्माण कर लंका में दाखिल हुए तो रावण इतनी बड़ी सेना को देख डर सा गया और उसने तुरन्त अपने गुप्तचर शुक को सेना की ताकत और संख्या का पता लगाने भेजा और शुक ने वापस आकर जब राम की सेना का बखान किया तो सब अचंभित हो गए .


100 लाख = 1 कोटि = 10^7
1 लाख कोटि = 1 शंकु = 10^12
1 लाख शंकु = 1 महाशंकू = 10^17
1 लाख महाशंकु = 1 वृन्द = 10^22
1 लाख वृन्द = 1 महा वृन्द = 10^27
1 लाख महा वृन्द = 1 पद्म = 10^32
1 लाख पद्म = 1महापद्म = 10^37
1 लाख महापद्म = 1 खर्व = 10^42
1 लाख खर्व = 1 महाखर्व = 10^47
1000 महाखर्व = 1 समुद = 10^50
1 लाख समुद्र = 1 ओघ = 10^55
1 लाख ओघ = 1 महा औघ = 10^60

इस लक्षगणनोत्तर प्रणाली द्वारा राम की सेना में सैनिको की कल्पना आप बखूबी कर सकते हैं. महाभारत में भी बड़ी संख्या का प्रयोग तो दीखता है पर वह इतनी बड़ी नहीं है. परार्ध संख्या से आगे महाभारत में मुझे कुछ नहीं मिला पर एक मजेदार घटना का उल्लेख मैं अवश्य करूँगा . युद्ध समाप्ति के बाद जब युधिष्ठिर हस्तिनापुर लौटे और घृतराष्ट्र से मिलने गए तो उन्होंने युद्ध में मरे सैनिकों और बचे सैनिकों के बारे में जानकारी मांगी जिसका जवाब युधिष्ठिर ने कुछ यूँ दिया –


अर्थात मरने वाले सैनिकों की संख्या = 1000,000,000 + 660,000,000 + 20000 = 1660020000 तथा जीवित सैनिकों की संख्या = 240165 थी .आपने महात्मा बुद्ध का नाम तो अवश्य सुना होगा. महाराज दण्डपाणी की पुत्री गोपा से जब उनका विवाह ठीक हुआ तो उन्हें उस समय के रीति के अनुसार परीक्षा देना पड़ा और जब बारी गणित के आई तो गुरु अर्जुन ने उनसे पूछा – राजकुमार गौतम क्या तुम कोटि से आगे की शतोत्तर गणना जानते हो ? राजकुमार का जबाब हाँ में था और उन्होंने 10^53 = तल्लक्ष्ण तक की संख्या बता दी इसके आगे भी उनहोंने अग्रसारा एक संख्या का उल्लेख किया जिसका मान आजके सबसे बड़े सख्या गुगोल (10^100) से अधिक है .
1अग्रासारा = 10^421.
महात्मा बुद्ध द्वारा बताई गयी संख्या इतनी ही नहीं है , अगर आप ललितविस्तर पुस्तक पढ़े तो सबसे बड़ी संख्या ज्योतिबा दिखती है जिसका मान 10^ 80000 अनंत के बराबर है. अगर हम वेदों की बात करें तो हम पाते हैं की ऋग्वेद में 10 के गुणज यथा 20, 30 ---- के बारे में भी समान रूप से उल्लेख मिलता है.


इस श्लोक में 10, 20, 30, 40, 50, 60, 70, 80, 90, 100 तक की चर्चा की गयी है. संख्याओं को नाम देने में जोड़, घटा व् गुणन के सिद्धांत का भी बखूबी पालन किया गया है. पंचदश(15 = 5 + 10), सप्त-विंशति (27 = 7+ 20) , एकन्न चात्वरिशत (39 = 40 – 1), इसी क्रम को आगे बढ़ाएं


यहाँ संख्या को 3339 = 33 + 303 + 3003 के रूप में विस्तारित कर लिखा गया है .


में 60099 = 60 × 1000 + 90 + 9 के रूप में लिखने का अर्थ संख्या के विस्तारण का अर्थ प्राचीन वैदिक काल के ऋषियों को था यह हम स्पष्ट रूप से कह सकते हैं . इतना ही नहीं अर्द्ध (1/2) , त्रिपाद(3/4), पंचमश्य चतुर्विंश ( 1/5 का 1/24) इत्यादि का उल्लेख उनके भिन्न के जानकारी का ध्योतक है. अब सवाल उठता है की क्या वेदों में शून्य के सम्बन्ध में कुछ कहा गया है की नहीं . कई विद्वान इसे न में उत्तर देंगे तो कई इसे हाँ कहेंगे और इसमें मैं भी शामिल हूँ. मैंने धर्म और गणित नाम से जव अंग्रेजी में एक पुस्तक लिखी जिसमे कई धार्मिक ग्रंथो को वर्षों पढने के बाद पाया की अथर्ववेद में अनुपलब्धता को दिखने के लिए शुन्येषी शब्द का प्रयोग हुआ है.

शून्य की खोज जीवन में एक क्रांति की तरह है और आपको महेंद्र कपूर का यह गाना तो याद होगा –
जब जीरो दिया मेरे भारत ने , दुनिया को तब गिनती आई
इसी बात को प्रो. हालस्टीड ने अपने शब्दों में यूँ व्यक्त किया है –
शुन्य के अविष्कार तथा इसके महत्व की जितनी भी प्रशंसा की जाये कम है . कुछ नहीं वाले इस शून्य को न केवल एक स्थान , नाम , चिन्ह या संकेत प्रदान करना, वल्कि इसमें उपयोगी शक्ति भरना, उस भारतीय मस्तिष्क की एक विशेषता है जिसने इसे जन्म दिया . यह निर्वाण को विद्युत शक्ति में बदलने जैसा है. गणित के किसी अन्य अविष्कार ने मानव की बुद्धि और शक्ति को इतना अधिक बलशाली नहीं बनाया है .
आचार्य पिंगल ने अपनी पुस्तक छंदशास्त्र में इसा पूर्व 200 सदी में शून्य को गायत्री मन्त्र से जोड़ दिया. गायत्री मन्त्र में 4 पद हैं और इसमें प्रत्येक पद में 6 अक्षर है . यदि इसे आधा कर इसमें 1 घटा दिया जाये और फिर इसे आधा कर पुनः इसमें 1 घटा दिया जाये तो हमें शून्य प्राप्त होता हैं .


0 = ½ {1/2 of 6 – 1} - 1
आधुनिक समय में शून्य के लिए जो हम संकेत की बात करते है वह संकेत ग्वालियर के विष्णु मंदिर में स्थित राम शिला पर उधृत है . जहाँ 270 में 0 का वही संकेत मौजूद है जो हम उपयोग करते हैं.


हमारे धर्मशास्त्रो में अनंत की असीम कल्पना की गयी है – हरि अनंत हरी कथा अनंता द्वारा ईश्वर की अनन्त होने की कल्पना दिखती है. ईशोपनिषद् में एक श्लोक आता है -


जिसका अर्थ है – यदि हम पूर्ण में पूर्ण को घटाए तो शेष भी पूर्ण ही रहता है. इसी बात की पुष्टि हमारे ग्रन्थ श्रीमद भगवद्गीता में भी मिलता है.


आपने यहाँ देखा की धर्मग्रन्थ में संख्या के बारे में इतनी जानकारी दी गयी है की आप इसे सुनना ही चाह रहे होंगे परन्तु मैं अपने सुधि पाठकों को पहले इसे आत्मसात करने को कहूँगा और फिर किसी अन्य विषय जैसे ज्यामिति , अंकगणित , वेदांग गणित , ज्योतिष , त्रिकोणमिति पर चर्चा करूँगा .

डॉ. राजेश कुमार ठाकुर
235 , पॉकेट- जी एच -4, सेक्टर -28 , रोहिणी
दिल्ली -110042
फ़ोन- 9868060804
email :- rkthakur1974@gmail.com

Monday, March 7, 2016

महत्तम समापवर्तक -२

पिछले अंक में आपने लघुत्तम पर आधारित सवालों को हल करने की पूर्णविधि और सूक्ष्म विधि के बारे में जाना और साथ ही लघुत्तम और महत्तम के बारे में जानकारी हासिल की . प्रस्तुत अंक में हम महत्तम और आधारित प्रश्नों को हल करना सीखेंगे तथा साथ ही कुछ ऐसे प्रश्नों को हल करना सीखेंगे जिसमे लघुत्तम और महत्तम दोनों को आधार बनाया जा सके.

उदाहरण :- दो संख्या का गुणनफल 7168 है और इनका महत्तम 78 है तो संख्या ज्ञात करें .
हल :- संख्या अपने महत्तम का गुणनफल होंगी . माना संख्या क्रमशः 16a और 16b है, जहाँ a और b क्रमशः परस्पर अभाज्य हैं.
16a x 16b = 7168
ab = 28

a और b के गुणनखंड क्रमशः (1,28) ,(2,14) तथा (4,7) है. 14 और 2 परस्पर अभाज्य नहीं है अतः हमें अन्य युग्म पर विचार करना पड़ेगा. अतः संख्या 28 x 16, 1x 16 ; 7 x 16, 4 x16 अर्थात (448,16) तथा (112, 64) होगा .

उदाहरण :- दो संख्या का योग 150 है और उनका म.स. 25 है तो संख्या ज्ञात करें .
हल :- माना संख्याए a और b है. संख्या अपने महत्तम का गुणनफल होंगी . अतः संख्या क्रमशः 25x और 25y है, जहाँ x और y क्रमशः परस्पर अभाज्य हैं.
25x + 25y = 150
x + y = 6
ऐसी संख्याओं के जोड़े जिनका योग 6 है – ((1,5) , (2,4) (3,3). इसमें (2,4) (3,3) परस्पर अभाज्य नहीं है. अतः अभीष्ट संख्या का युग्म (1,5) है . संख्या क्रमशः 25 x 1 और 25 x 5 होंगी. संख्या = 25, 125 है .

उदाहरण :- वह बड़ी से बड़ी संख्या ज्ञात करें जिससे 63 , 138 और 228 से भाग देने पर प्रत्येक दशा में समान शेष बचे.
हल :- वह बड़ी से बड़ी संख्या जो x, y एवं z से भाग देने पर प्रत्येक दशा में समान शेष बचे =
म.स.( x-y, y-z , z-x)
यहाँ 138 – 63 = 75 , 228 – 138 =90 तथा 228 – 63 = 165 का म.स. निकालने पर हमें अभीष्ट संख्या प्राप्त होगी .
म.स. ( 75, 90, 165) = 15

उदाहरण :- वह बड़ी से बड़ी संख्या ज्ञात करें जिससे 23 , 35 और 41 से भाग देने पर प्रत्येक दशा में 5 शेष बचे.
हल :- ऐसे प्रश्नों में सबसे पहले संख्या में शेष घटा दे और उनका म.स. निकालें.
23 – 5 = 18 , 35 – 5 = 30 तथा 41 – 5 = 36
म.स. (18, 30, 36) = 6

उदाहरण: - पांच संख्याए दी हुई है जिनका म.स. 4 है तथा इनका ल.स. 27720 है , इन पांचो संख्याओं का गुणनफल क्या होगा ?
हल :- यदि n संख्याओं का म.स. a हो तथा इनका ल.स. b हो तो इनका
गुणनफल = (म.स.)n – 1 x ल.स. होगा
यहाँ म.स. = 4 , ल.स. = 27720 है तथा n = 5 है
अभीष्ट संख्या = (4)5 – 1 x 27720 = 7096320

उदाहरण :- वह बड़ी से बड़ी संख्या ज्ञात करें जिससे 162 , 382 और 877 से भाग देने पर प्रत्येक दशा में 3 की कमी रह जाये .
हल :- अभीष्ट संख्या = 162 + 3 = 165 , 382 + 3 = 385 तथा 877+ 3 = 880 का म.स.
म.स.(165, 385, 880) = 55

उदाहरण:- वह अधिकतम लम्बी रॉड का माप क्या होगा जो 495 सेमी , 9 मी तथा 16 मी 65सेमी की लम्बाई को माप सके .
हल :- लम्बाई = म.स. (495, 900, 1665)
495 = 3 x 3 x 5 x 11
900 = 2 x 2 x 3 x 3 x 5 x 5
1665 = 3 x 3 x 5 x 37
म.स. (495, 900, 1665)= 45 सेमी

आइये कुछ और सवालों को हल करें.

उदाहरण :- तिन ड्रमो में क्रमशः 30 ,40 एवं 50 लीटर दूध है . वह बड़ा से बड़ा किस माप का डिब्बा होगा जो प्रत्येक ड्रम के दूध को डिब्बों की पूर्ण संख्या में माप दे?
हल :- यहाँ आपको 30 ,40 एवं 50 का म.स. होगा
म.स.( 30 ,40 एवं 50) = 10 लीटर

उदाहरण:- दो संख्याओं का अंतर 6 है तथा उनके वर्गों का योग 1476 है. यदि उनका लघुत्तम समापवर्तक 120 है तो उनका म.स. क्या होगा
हल :- माना संख्या x एवं y है , जहाँ x > y
(x-y)2 = x2 – 2xy + y2
36 = 1476 – 2xy
xy = 720
720 = 120 x म.स.
म.स. = 6

उदाहरण:- दो संख्याओं का योग 121 है . यदि उसके ल.स. तथा म.स. का योग और अंतर क्रमशः 341 तथा 319 हो तो संख्या बताएं?
हल :- यदि ल.स. = L तथा म.स. = H
L + H = 341
L – H = 319
L = 330 , H = 11
संख्या अपने महत्तम का गुणनफल होंगी . माना संख्या क्रमशः 11 x 5 = 55 , 11 x 6 = 66 होगी

उदाहरण :- एक आयताकार फर्श की लम्बाई 20 मी. 16 सेमी है और चौड़ाई 15 मी 60 सेमी है . इसको समान वर्गाकार टाइल लगाकर पक्का करना है तो इसके लिए कम से कम कितनी टाइल की जरुरत होगी .
हल :- 20 मी. 16 सेमी = 2016
15 मी 60 सेमी = 1560
म.स.(2016, 1560) = 24
टाइल की संख्या = 2016 x 1560 / 24 x 24 = 5460
उदाहरण:- एक वृताकार मैदान की लम्बाई 20 किमी है . तीन धावक एक ही स्थल से एक ही समय पर एक ही दिशा में दौड़ना आराम्भ करते है. यदि उनकी चाल क्रमशः 4 किमी/घ, 6 किमी/घ तथा 9 किमी/घ हो वे तीनो कितने समय बाद एक साथ मिलेंगे
हल :- समय = दुरी / चाल
अतः समय = 20/4 , 20/6 तथा 20/9 घंटा है
अभीष्ट समय = भिन्नों का ल.स.
= 20 , 20, 20 का ल.स
4, 6 , 9 का म.स.
= 20
आशा है अब आप इस तरह के ढेरों सवाल हल कर इस अध्याय के सवाल हल कर पाएंगे .

डॉ. राजेश कुमार ठाकुर

गणित और रामायण

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